Children’s Day 2025: बाल दिवस कब मनाया जाता है, जानें सबकुछ

Children’s Day 2025: हर साल 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारे समाज को यह याद दिलाने का अवसर है कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उनकी मुस्कान, मासूमियत और सपने ही भारत की असली ताकत हैं।

बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?

बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है क्योंकि यह भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती का दिन है। नेहरू जी बच्चों से गहरा स्नेह रखते थे और उनका मानना था कि आज के बच्चे कल के भारत के निर्माता हैं। बच्चों के प्रति उनके इस प्रेम के कारण ही उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहा जाने लगा।

पहले बाल दिवस कब मनाया गया था?

भारत में बाल दिवस की शुरुआत 1956 में 20 नवंबर को हुई थी, जब इसे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित यूनिवर्सल चिल्ड्रन्स डे के रूप में मनाया जाता था। लेकिन नेहरू जी के निधन 27 मई 1964 के बाद उनकी जयंती यानी 14 नवंबर को भारत का राष्ट्रीय बाल दिवस घोषित किया गया। तब से हर साल इस दिन को बच्चों के नाम समर्पित किया जाता है।

बाल दिवस कैसे मनाया जाता है?

देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में इस दिन बच्चों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल प्रतियोगिताएं, ड्रॉइंग, निबंध लेखन और विशेष क्लास गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।कई जगह शिक्षकों और माता-पिता द्वारा बच्चों को तोहफे और मिठाई दी जाती है। मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर भी इस दिन बच्चों के अधिकारों से जुड़े संदेश साझा किए जाते हैं।

Children’s Day Speech: बाल दिवस पर शानदार भाषण

हर साल की तरह इस वर्ष भी 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस (Children’s Day) बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। बच्चों के प्रति उनके प्रेम और स्नेह के कारण उन्हें स्नेहपूर्वक ‘चाचा नेहरू’ कहा जाता है। इस दिन की धूम स्कूलों में अधिक देखने को मिलती है। बच्चे इस दिन को लेकर खास उत्साहित रहते हैं। यहां बाल दिवस के महत्व व इतिहास का जिक्र करने के लिए भाषण व निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। ऐसे में यहां हम आपके लिए बाल दिवस पर शानदार भाषण लेकर आए हैं।

Childrens Day 2025: बाल दिवस पर कोट्स

  • बच्चे बगीचे में कलियों की तरह हैं और उनका ध्यान से और प्यार से लालन पालन किया जाना चाहिए, क्योंकि वे देश के भविष्य और कल के नागरिक हैं।
  • सत्य हमेशा सत्य ही रहता हैं चाहे आप पसंद करें या ना करें।
  • जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अधिक सहायक हैं।

Bal Diwas Speech In Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, उप प्राधानाचार्य, प्रिय शिक्षकगण, अभिभावकगण और मेरे प्यारे साथियों आप सभी को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। यह दिन हम सभी के लिए विशेष है, क्योंकि यह न केवल बच्चों की खुशियों का उत्सव है बल्कि उनके अधिकारों, सपनों और भविष्य को सुरक्षित करने का संकल्प भी है।

हर साल 14 नवंबर को हम भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्हें बच्चों से बेहद प्रेम था इसलिए बच्चे स्नेहपूर्वक उन्हें चाचा नेहरू कहते थे। बाल दिवस हमें यह याद दिलाता है कि बच्चे किसी भी देश की सबसे मूल्यवान संपत्ति होते हैं। वही आने वाले कल के नेता, वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, कलाकार और राष्ट्र निर्माता बनते हैं। यदि बच्चों का आज सुरक्षित, शिक्षित और खुशहाल होगा, तभी राष्ट्र का कल मजबूत होगा।

बाल दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें बच्चों का सम्मान करना चाहिए। आज के दिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि बच्चे केवल पढ़ाई ही नहीं बल्कि अन्य चीजों में आगे बढ़ें। बच्चों का मनोबल बढ़ाएं और उनकी हर छोटी-छोटी खुशियों में उनका साथ दें। अंत में यही कहूंगा कि बच्चों के बिना दुनिया अधूरी है। इसलिए हम सबको बच्चों का सम्मान करना चाहिए। धन्यवाद।

 

Children’s Day 2025: बाल दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें इतिहास और महत्व

Children’s Day 2025: हर साल 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस (Children’s Day 2025) मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारे समाज को यह याद दिलाने का अवसर है कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। उनकी मुस्कान, मासूमियत और सपने ही भारत की असली ताकत हैं। बाल दिवस हमें याद दिलाता है कि बच्चों को सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि सम्मान और अवसर भी मिलने चाहिए। उनकी हंसी ही देश की सबसे बड़ी पूंजी है जिसे सहेजना हम सबका कर्तव्य है।

क्यों मनाते हैं बाल दिवस?

हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन होता है। पंडित नेहरू को बच्चों से बेहद लगाव और स्नेह था। वह उनमें देश का भविष्य देखते थे। उनका मानना था कि किसी भी राष्ट्र की नींव मजबूत और शिक्षित बचपन पर टिकी होती है। बच्चे भी उन्हें खूब पसंद करते थे और प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर बुलाते थे। यह आत्मीय संबंध ही था कि पंडित नेहरू के निधन के बाद, उन्हें श्रद्धांजलि देने और बच्चों के लिए उनके प्रेम को याद रखने के लिए यह तय हुआ कि उनका जन्मदिन ही देश के बच्चों को समर्पित होगा।

14 नवंबर ही क्यों?

यह जानना बहुत दिलचस्प है कि अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। यूनाइटेड नेशन ने 1954 में इस दिन को सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में घोषित किया था। बता दें कि 20 नवंबर का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 1959 में इसी दिन यूनाइटेड नेशन्स असेंबली ने बाल अधिकारों की घोषणा को अपनाया था। भारत भी इस दिवस को मानता है और बाल कल्याण से जुड़े विषयों पर इस दिन चर्चा होती है। हालांकि, भारत में मुख्य उत्सव और आयोजन 14 नवंबर को ही होते हैं। यह एक ऐसा फैसला था जिसने एक राष्ट्रीय नेता के प्रति सम्मान और बच्चों के प्रति उनके प्यार को अमर कर दिया।

बाल दिवस का उद्देश्य क्या है?

इस दिन का मुख्य उद्देश्य है, बच्चों के अधिकारों और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना। बाल श्रम, बाल अपराध और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना। बच्चों को स्नेह, प्यार और समान अवसर देना और उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने के लिए प्रोत्साहित करना। बाल दिवस हमें यह सिखाता है कि बच्चों की हंसी, उनका खेलना-कूदना और उनका पढ़ना-लिखना ही किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार है।

आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ अक्टूबर 2025

अक्टूबर 2025 के आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ अवॉर्ड्स की घोषणा हो गई है, और इस बार दोनों श्रेणियों में दक्षिण अफ्रीका ने बाजी मारी है। ऑलराउंडर सेनुरन मुथुसामी (Senuran Muthusamy) को पुरुष वर्ग में और महिला टीम की कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट (Laura Wolvaardt) को महिला वर्ग में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया है।

सेनुरन मुथुसामी: पाकिस्तान श्रृंखला के टेस्ट हीरो

दक्षिण अफ्रीकी ऑलराउंडर सेनुरन मुथुसामी ने पाकिस्तान के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट श्रृंखला (1–1) में शानदार प्रदर्शन किया।

प्रमुख प्रदर्शन:

  • पहले टेस्ट (लाहौर) में 11 विकेट झटके — हालांकि यह मैच पाकिस्तान ने जीता।

  • दूसरे टेस्ट (रावलपिंडी) में 89 रनों की बेहतरीन पारी खेली और दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी में सर्वाधिक रन बनाए।

  • दक्षिण अफ्रीका ने यह टेस्ट 8 विकेट से जीता।

  • मुथुसामी को सीरीज़ का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी (Player of the Series) घोषित किया गया।

उन्होंने इस पुरस्कार के लिए नोमान अली (पाकिस्तान) और रशीद खान (अफगानिस्तान) को पछाड़ा।

उद्धरण:

“आईसीसी द्वारा प्लेयर ऑफ द मंथ चुना जाना शानदार अहसास है, खासकर टेस्ट क्रिकेट के प्रदर्शन के लिए… मैं गेंद और बल्ले दोनों से योगदान देकर गर्व महसूस कर रहा हूं,”
सेनुरन मुथुसामी

लौरा वोल्वार्ड्ट: वर्ल्ड कप की रन मशीन

दक्षिण अफ्रीकी महिला टीम की कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट ने आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 (भारत में आयोजित) में अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया।

अक्टूबर माह का प्रदर्शन:

  • 8 मैचों में 470 रन बनाए (टूर्नामेंट में कुल 571 रन)।

  • तीन अर्धशतक और इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफ़ाइनल में करियर की सर्वश्रेष्ठ 169 रन की पारी।

  • दक्षिण अफ्रीका को फाइनल में भारत के खिलाफ पहुंचाया।

वोल्वार्ड्ट ने इस श्रेणी में स्मृति मंधाना (भारत) और एश्ले गार्डनर (ऑस्ट्रेलिया) को पछाड़ते हुए पुरस्कार जीता।

उद्धरण:

“भारत में खेले गए इतने ऐतिहासिक विश्व कप के बाद यह पुरस्कार जीतना सम्मान की बात है। भले ही हम फाइनल नहीं जीत सके, लेकिन हमारी टीम का प्रदर्शन हमारे जज़्बे और मज़बूती को दिखाता है,”
लौरा वोल्वार्ड्ट

पुरस्कार चयन प्रक्रिया

विजेताओं का चयन एक वैश्विक मतदान प्रक्रिया के माध्यम से किया गया, जिसमें शामिल थे:

  • icc-cricket.com पर पंजीकृत प्रशंसक (Fans)

  • पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और मीडिया विशेषज्ञों की विशेषज्ञ पैनल

आईसीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर क्रिकेट प्रशंसक आगे भी हर महीने के विजेताओं के लिए वोट कर सकते हैं।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

श्रेणी विजेता रनर-अप देश
पुरुष खिलाड़ी (Men’s) सेनुरन मुथुसामी नुमान अली, रशीद खान दक्षिण अफ्रीका
महिला खिलाड़ी (Women’s) लौरा वोल्वार्ड्ट स्मृति मंधाना, एश्ले गार्डनर दक्षिण अफ्रीका
माह अक्टूबर 2025
चयन प्रक्रिया आईसीसी प्रशंसक + विशेषज्ञ पैनल

बाल दिवस 2025 प्रश्नोत्तरी: सामान्य ज्ञान प्रश्न और उत्तर

बाल दिवस 2025 पूरे भारत में 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें बच्चे प्यार से “चाचा नेहरू” कहते थे। यह अवसर हमें नेहरू जी के बच्चों के प्रति प्रेम और उनके शिक्षा, विकास और खुशहाली के सपने की याद दिलाता है। इस दिन पूरे देश में बच्चों के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल, और शैक्षिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।

छात्रों के ज्ञान को बढ़ाने और इस दिन के महत्व को समझने के लिए यहां बाल दिवस 2025 पर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (GK Quiz) दी गई है, जिसमें नेहरू जी, बाल दिवस के इतिहास और इसके उत्सव से जुड़ी रोचक जानकारियाँ शामिल हैं।

बाल दिवस 2025 पर सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

पंडित जवाहरलाल नेहरू और बचपन के आनंद को समर्पित इस विशेष दिन के इतिहास, महत्व और उत्सवों के बारे में आपके ज्ञान का परीक्षण करने के लिए बाल दिवस 2025 पर एक सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रस्तुत है।

प्रश्न 1. भारत में बाल दिवस कब मनाया जाता है?

A) 26 जनवरी

B) 14 नवंबर

C) 2 अक्टूबर

D) 14 दिसंबर

S1. उत्तर (b)

प्रश्न 2. भारत में किसकी जयंती बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है?

A) महात्मा गांधी

B) सरदार वल्लभभाई पटेल

C) पंडित जवाहरलाल नेहरू

D) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

S2. उत्तर (c)

प्रश्न 3. 2025 के बाल दिवस का विषय क्या है?

A) हर बच्चा मायने रखता है

B) हर बच्चे के लिए, हर अधिकार

C) सभी के लिए शिक्षा

D) बच्चों को बचाओ

S3. उत्तर (b)

प्रश्न 4. भारत में पहला बाल दिवस “फ्लॉवर डे” ​​के रूप में किस वर्ष मनाया गया था?

A) 1947

B) 1948

C) 1951

D) 1957

S4. उत्तर: (b)

प्रश्न 5. 1948 में “फ्लॉवर डे” ​​क्यों मनाया गया?

A) नेहरू के जन्मदिन के सम्मान में

B) फूलों के टोकन के माध्यम से बच्चों के लिए धन जुटाने के लिए

C) स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए

D) भारतीय स्वतंत्रता का जश्न मनाने के लिए

S5. उत्तर (b)

प्रश्न 6. नेहरू के जन्मदिन को पहली बार आधिकारिक तौर पर बाल दिवस के रूप में कब मनाया गया?

A) 1951

B) 1954

C) 1957

D) 1962

S6. उत्तर (c)

प्रश्न 7. जवाहरलाल नेहरू ने 1955 में बच्चों के लिए किस संगठन की स्थापना की थी?

A) भारतीय फिल्म सोसाइटी

B) राष्ट्रीय बाल बोर्ड

C) भारतीय बाल फिल्म सोसाइटी

D) भारतीय युवा फाउंडेशन

S7. उत्तर (c)

प्रश्न 8. हिंदी में बाल दिवस के लिए आमतौर पर किस नाम का प्रयोग किया जाता है?

A) बाल दिवस

B) बच्चों का दिन

C) बाल महोत्सव

D) नेहरू दिवस

S8. उत्तर. (a)

प्रश्न 9. ‘”लेटर्स फ्रॉम अ फादर टू हिज डॉटर” कब प्रकाशित हुआ था?

A) 1925

B) 1928

C) 1929

D) 1934

S9. उत्तर (c)

प्रश्न 10. 1957 में पहले आधिकारिक बाल दिवस पर जारी किए गए टिकटों को क्या नाम दिया गया था?

A) राष्ट्रीय बाल दिवस (पोषण)

B) राष्ट्रीय बाल दिवस (मनोरंजन)

C) राष्ट्रीय बाल दिवस (शिक्षा)

D) उपरोक्त सभी

S10. उत्तर (d)

पंजाब संशोधित भारत नेट योजना को राज्यव्यापी लागू करने वाला पहला राज्य बना

पंजाब ने डिजिटल भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है — यह भारत का पहला राज्य बन गया है जिसने संशोधित भारत नेट योजना (Amended BharatNet Scheme) को अपने पूरे राज्य में सफलतापूर्वक लागू किया है। इस पहल से अब सीमावर्ती राज्य की लाइव मॉनिटरिंग देश के किसी भी हिस्से से संभव हो गई है। साथ ही, यह ग्रामीण भारत में डिजिटल विभाजन (Digital Divide) को पाटने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

भारत नेट योजना का उद्देश्य ग्राम पंचायतों, घरों और संस्थानों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस, ई-हेल्थ और डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा दिया जा सके।

कार्यान्वयन की प्रमुख बातें

  • पुरस्कार सम्मान: पंजाब के मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने राज्य की उत्कृष्ट कार्यान्वयन उपलब्धि के लिए बीएसएनएल पंजाब सर्कल के सीजीएम अजय कुमार करारहा से पुरस्कार प्राप्त किया।

  • गांवों में कवरेज: राज्य के 43 “शैडो क्षेत्रों” में ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। केवल एक गांव शेष है, जिसे नवंबर 2025 के अंत तक कवर कर लिया जाएगा।

  • डिजिटल अवसंरचना: यह योजना सीमावर्ती इलाकों की लाइव निगरानी को संभव बनाती है और ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस तथा ई-हेल्थ सेवाओं को मजबूत करती है।

भारत नेट योजना के बारे में

भारत नेट (BharatNet) केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य भारत के ग्रामीण डिजिटल ढांचे को सशक्त बनाना है।

मुख्य उद्देश्य

  • सभी ग्राम पंचायतों तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाना।

  • ग्रामीण क्षेत्रों के घर-परिवारों और संस्थानों तक डिजिटल सेवाओं का विस्तार करना।

  • ई-हेल्थ, ई-गवर्नेंस और डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहित करना।

योजना के प्रमुख लाभ

  1. पहला राज्यव्यापी क्रियान्वयन: पंजाब ने संशोधित भारत नेट योजना को पूरे राज्य में लागू कर देश में पहली बार यह उपलब्धि हासिल की। सीमावर्ती और दूरस्थ गांवों तक अब इंटरनेट सेवाएं पहुंच चुकी हैं, जिससे ग्रामीण डिजिटल क्रांति को नई दिशा मिली है।

  2. ग्रामीण पहुंच और सीमा निगरानी: इंटरनेट सेवाएं राज्य के 43 शैडो क्षेत्रों तक पहुंच चुकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार केवल एक गांव शेष है, जिसे नवंबर के अंत तक जोड़ दिया जाएगा। अब सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी देश के किसी भी हिस्से से लाइव की जा सकती है।

  3. शासन और प्रौद्योगिकी का एकीकरण: इस योजना के तहत पंजाब में ई-गवर्नेंस, ई-हेल्थ और अन्य डिजिटल सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यह सार्वजनिक कार्यक्रमों और निगरानी के लिए एक मजबूत तकनीकी ढांचा तैयार करती है।

  4. अन्य राज्यों के लिए मॉडल: पंजाब की यह सफलता अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायक मॉडल साबित हो सकती है। यह दिखाती है कि ग्रामीण इलाकों में फाइबर-आधारित ब्रॉडबैंड नेटवर्क और लास्ट माइल कनेक्टिविटी कैसे प्रभावी ढंग से लागू की जा सकती है।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • पंजाब संशोधित भारत नेट योजना को पूरे राज्य में लागू करने वाला भारत का पहला राज्य है।

  • लगभग सभी गांवों में कनेक्टिविटी प्रदान की जा चुकी है; केवल एक गांव शेष है।

  • कुल 43 शैडो क्षेत्रों में उन्नत सेवाएं शुरू की गई हैं।

  • मूल भारत नेट परियोजना 25 अक्टूबर 2011 को सभी 2.64 लाख ग्राम पंचायतों के लिए स्वीकृत की गई थी।

  • संशोधित भारत नेट कार्यक्रम की अनुमानित लागत लगभग ₹1,39,579 करोड़ है, जिसका उद्देश्य सभी आबाद गांवों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

  • योजना के प्रमुख घटक हैं: OFC रिंग टोपोलॉजी (ब्लॉक से ग्राम पंचायत), IP-MPLS नेटवर्क, लास्ट माइल कनेक्टिविटी, सेंट्रल मॉनिटरिंग (CNOC), और दस वर्षीय संचालन एवं रखरखाव योजना (O&M Plan)।

DNA के खोजकर्ता कौन हैं? डीएनए की खोज के बारे में जानें

डीएनए, या डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (Deoxyribonucleic Acid), एक विशेष अणु है जो सभी जीवित प्राणियों में पाया जाता है। यह वह अणु है जो प्रत्येक पौधे, पशु और मानव को विशिष्ट बनाता है। डीएनए में वे निर्देश या सूचना होती हैं जो किसी जीव के निर्माण और कार्य को नियंत्रित करती हैं। डीएनए की खोज की कहानी लगभग 150 वर्ष पहले एक स्विस वैज्ञानिक फ्रेडरिक मीज़र (Friedrich Miescher) से शुरू हुई और आगे चलकर अनेक वैज्ञानिकों ने इसके ढांचे और महत्व को समझाया।

फ्रेडरिक मीज़र की पहली खोज

साल 1869 में स्विस जीवविज्ञानी योहान्स फ्रेडरिक मीज़र ने सबसे पहले डीएनए की खोज की। जर्मनी के ट्यूबिंगन में एक प्रयोगशाला में काम करते हुए उन्होंने अस्पताल की पट्टियों (bandages) से सफेद रक्त कणों का अध्ययन किया। इसी दौरान उन्होंने कोशिकाओं के नाभिक (nucleus) में एक अजीब पदार्थ पाया जो फॉस्फोरस से भरपूर था। उन्होंने इसे “न्यूक्लिन (nuclein)” नाम दिया — जो आज हम डीएनए के रूप में जानते हैं।

उस समय वैज्ञानिक यह नहीं समझ पाए कि मीज़र की खोज कितनी महत्वपूर्ण थी। उन्हें यह ज्ञान नहीं था कि यही पदार्थ आनुवंशिक जानकारी (genetic information) वहन करता है।

मीज़र का जीवन और कार्य

फ्रेडरिक मीज़र का जन्म 13 अगस्त 1844 को स्विट्जरलैंड में हुआ था। उनका परिवार वैज्ञानिक पृष्ठभूमि वाला था — उनके पिता और चाचा दोनों शरीर रचना विज्ञान (anatomy) के प्रोफेसर थे। मीज़र ने चिकित्सा (medicine) की पढ़ाई की, लेकिन श्रवण समस्या (hearing problem) के कारण उन्होंने डॉक्टर बनने के बजाय अनुसंधान का मार्ग चुना।

उन्होंने अत्यंत सावधानी से सफेद रक्त कोशिकाओं के नाभिक को अलग (isolate) किया और पाया कि न्यूक्लिन में फॉस्फोरस और नाइट्रोजन होते हैं, लेकिन सल्फर नहीं — यह विज्ञान में उस समय एक पूरी तरह नई खोज थी।

आगे का शोध और डीएनए की संरचना

मीज़र की खोज के कई वर्षों बाद वैज्ञानिकों ने डीएनए पर अनुसंधान जारी रखा। 1953 में जेम्स वॉटसन (James Watson) और फ्रांसिस क्रिक (Francis Crick) ने डीएनए की “डबल हेलिक्स (Double Helix)” संरचना की खोज की — जो एक मुड़ी हुई सीढ़ी (twisted ladder) के समान होती है।
उनके मॉडल ने यह स्पष्ट किया कि डीएनए आनुवंशिक जानकारी को कैसे संग्रहीत और प्रतिलिपि (replicate) करता है।

रोसालिंड फ्रैंकलिन की महत्वपूर्ण भूमिका

इस खोज में एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक रोसालिंड फ्रैंकलिन (Rosalind Franklin) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। उन्होंने एक्स-रे विवर्तन (X-ray diffraction) तकनीक का उपयोग करके डीएनए की अत्यंत स्पष्ट तस्वीरें लीं। उनकी प्रसिद्ध “फोटो 51” से वॉटसन और क्रिक को डीएनए की वास्तविक संरचना समझने में मदद मिली। मॉरिस विल्किन्स (Maurice Wilkins) ने भी इस शोध में सहयोग किया।

नवेल पुरस्कार और मान्यता

साल 1962 में वॉटसन, क्रिक और विल्किन्स को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार मिला, डीएनए की संरचना की खोज के लिए। दुर्भाग्यवश, उस समय तक रोसालिंड फ्रैंकलिन का निधन हो चुका था, इसलिए उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिल सका — हालांकि उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था।

फ्रेडरिक मीज़र की विरासत

मीज़र की खोज को उनके जीवनकाल में पूरी तरह समझा नहीं गया, परंतु उनकी खोज ने आधुनिक आनुवंशिकी (modern genetics) की नींव रखी। आज उनके सम्मान में दो अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं —

  • फ्रेडरिक मीज़र प्रयोगशाला (Friedrich Miescher Laboratory), ट्यूबिंगन

  • फ्रेडरिक मीज़र इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल रिसर्च (Friedrich Miescher Institute for Biomedical Research), बेसल

उनका कार्य यह साबित करता है कि कभी-कभी सबसे गहरी खोजें शांत प्रयोगशालाओं में जन्म लेती हैं, जो आने वाले समय में जीवन के रहस्यों को उजागर करती हैं।

Children’s Day 2025: भारत में यह कब और कैसे मनाया जाता है?

Children’s Day 2025: बाल दिवस 2025 (Children’s Day 2025) भारत में हर साल बड़े उत्साह और प्यार के साथ मनाया जाता है ताकि बच्चों की निर्दोषता, खुशी और उज्जवल भविष्य का सम्मान किया जा सके। वर्ष 2025 में बाल दिवस 14 नवंबर (शुक्रवार) को मनाया जाएगा, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू, भारत के पहले प्रधानमंत्री की जयंती का दिन भी है। यह दिन हमें नेहरू जी के बच्चों के प्रति गहरे प्रेम और इस विश्वास की याद दिलाता है कि बच्चे ही देश का भविष्य और निर्माणकर्ता हैं।

भारत में बाल दिवस कब मनाया जाता है?

भारत में बाल दिवस हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें बच्चे प्यार से “चाचा नेहरू” कहते थे। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि बच्चों को खुशी, शिक्षा और स्नेहपूर्ण वातावरण देना समाज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

बाल दिवस 2025 (Children’s Day 2025) की थीम

बाल दिवस 2025 की थीम है — “हर बच्चे के लिए, हर अधिकार” (For Every Child, Every Right).
इस वर्ष की थीम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर बच्चे को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का समान अधिकार मिले। यह समाज को प्रेरित करती है कि हर बच्चा सीख सके, खेल सके और सुरक्षित वातावरण में जीवन जी सके।

बाल दिवस का महत्व

बाल दिवस, जिसे “बाल दिवस” या “बाल दिवस (Bal Diwas)” कहा जाता है, बच्चों के महत्व को दर्शाता है। यह दिन माता-पिता, शिक्षकों और समाज को याद दिलाता है कि हर बच्चे को प्यार, सम्मान और विकास के अवसर मिलना चाहिए। नेहरू जी का मानना था कि यदि बच्चों को अच्छी परवरिश और शिक्षा दी जाए, तो वे भारत का उज्जवल भविष्य बना सकते हैं।

नेहरू जयंती को बाल दिवस क्यों कहा जाता है?

नेहरू जयंती (14 नवंबर) को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि पंडित नेहरू को बच्चों से अत्यधिक स्नेह था। बच्चे उन्हें प्यार से “चाचा नेहरू” कहते थे। उनका मानना था कि बच्चे देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं और उन्हें प्यार, शिक्षा और समान अवसर मिलना चाहिए ताकि वे अपने सपनों को साकार कर सकें।

भारत में बाल दिवस कैसे मनाया जाता है?

बाल दिवस के अवसर पर पूरे भारत में स्कूलों और समुदायों में बच्चों के लिए कई मनोरंजक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

कुछ प्रमुख आयोजन इस प्रकार हैं —

  • सांस्कृतिक कार्यक्रम – गीत, नृत्य और नाटक प्रस्तुतियाँ।

  • प्रतियोगिताएँ – चित्रकला, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताएँ बच्चों के अधिकारों पर।

  • मिठाइयों और उपहारों का वितरण – बच्चों को सम्मानित और खुश करने के लिए।

  • जागरूकता अभियान – शिक्षा और बाल कल्याण के महत्व पर।

इन आयोजनों का उद्देश्य बच्चों को अपनी प्रतिभा दिखाने, आत्मविश्वास बढ़ाने और मित्रता व सहयोग के मूल्यों को सीखने का अवसर देना है।

बाल दिवस 2025: बच्चों को पढ़ाएं नेहरू के अनमोल विचार

पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawahar Lal Nehru) देश के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका बच्चों के प्रति लगाव जग जाहिर था। पंडित नेहरू हमेशा बच्चों को प्यार और महत्व देने की बात करते थे। नेहरू को ‘आधुनिक भारत का निर्माता’ कहा जाता है। उनका जन्म 14 नवंबर (November 14) 1889 को हुआ था। उनका जन्मदिन हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनमोल विचार

  • संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है।
  • तथ्य, तथ्य हैं और आपके नापसंद करने से गायब नहीं हो जाएंगे।
  • सही शिक्षा से ही समाज की बेहतर व्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है।
  • लोगों की कला उनके मन के विचारों को दर्शाती है।
  • सफलता उन्हें मिलती है, जो निडर होकर फैसला लेते हैं और परिणामों से नहीं घबराते।
  • एक महान कार्य में लगन और कुशल पूर्वक काम करने पर भी, भले ही उसे तुरंत पहचान न मिले, अंततः सफल जरूर होता है।
  • असफलता तब होती है जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं।
  • हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी यह होती है कि हम चीजों के बारे में बात ज्यादा करते हैं और काम कम करते हैं।

बाल साहित्य पुरस्कार 2025 की घोषणा, विजेताओं की पूरी सूची देखें

साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार 2025 की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है, जिसमें 24 भारतीय भाषाओं के बाल साहित्य लेखकों की सृजनात्मक प्रतिभा को सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार 14 नवम्बर 2025 (बाल दिवस) को त्रिवेणी सभागार, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रदान किए जाएंगे। यह आयोजन अकादेमी की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके माध्यम से वह भारतीय संस्कृति से जुड़ी विविधतापूर्ण कहानियों और रचनात्मक लेखन को प्रोत्साहित करते हुए नवोदित पाठकों के लिए समृद्ध साहित्यिक परंपरा को आगे बढ़ा रही है।

बाल साहित्य पुरस्कार 2025 समारोह की मुख्य झलकियाँ

इस वर्ष का पुरस्कार समारोह साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष मधव कौशिक की अध्यक्षता में आयोजित होगा। कार्यक्रम में प्रसिद्ध गुजराती लेखिका वर्षा दास मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी, जबकि अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगी। स्वागत भाषण पल्लवी प्रशांत होलकर, सचिव, साहित्य अकादेमी द्वारा दिया जाएगा।

प्रत्येक पुरस्कार विजेता को ₹50,000 की नकद राशि और कांस्य की पट्टिका (ब्रॉन्ज प्लाक) प्रदान की जाएगी, जो उनके द्वारा अपनी-अपनी भाषाओं में बाल साहित्य को समृद्ध बनाने में किए गए उत्कृष्ट योगदान की सराहना के रूप में दी जाएगी।

बाल साहित्य पुरस्कार 2025: भाषा के अनुसार विजेताओं की पूरी सूची

  • असमिया – मैनाहंतार पद्य (कविता), सुरेंद्र मोहन दास
  • बांग्ला – एखोनो गए कांता दये (कहानियां), त्रिदीब कुमार चट्टोपाध्याय
  • बोडो – खांथी ब्वस्वन अर्व अखु दनाई (कहानियां), बिनय कुमार ब्रह्मा
  • डोगरी – नन्हीं तोर (कविता), पी.एल. परिहार ‘शौक’
  • अंग्रेजी – दक्षिण: दक्षिण भारतीय मिथक और दंतकथाएं (कहानियां), नितिन कुशलप्पा एमपी
  • गुजराती – तिनचक (कविता), कीर्तिदा ब्रह्मभट्ट
  • हिंदी – एक बटे बारह (नॉन-फिक्शन और संस्मरण), सुशील शुक्ला
  • कन्नड़ – नोटबुक (लघु कथाएँ), के. शिवलिंगप्पा हंडीहाल
  • कश्मीरी – शुरे ते त्चुरे ग्युश (लघु कथाएँ), इज़हार मुबाशिर
  • कोंकणी – बेलाबाईचो शंकर अनी वारिस कान्यो (कहानियां), नयना अदारकर
  • मैथिली – चुक्का (लघु कथाएँ), मुन्नी कामत
  • मलयालम – पेंगुइनुकालुडे वंकाराविल (उपन्यास), श्रीजीत मूथेदथ
  • मणिपुरी – अंगांगशिंग-जी शन्नाबुंगशिदा (नाटक), शांतो एम।
  • मराठी – अभयमाया (कविता), सुरेश गोविंदराव सावंत
  • नेपाली – शांति वन (उपन्यास), संगमू लेप्चा
  • उड़िया – केते फुला फूटिची (कविता), राजकिशोर परही
  • पंजाबी – जड्डू पत्ता (उपन्यास), पाली खादिम (अमृत पाल सिंह)
  • राजस्थानी – पंखेरुव नी पीड़ा (नाटक), भोगीलाल पाटीदार
  • संस्कृत – बलविस्वम (कविता), प्रीति आर. पुजारा
  • संथाली – सोना मिरू-अग सन्देश (कविता), हरलाल मुर्मू
  • सिंधी – आसमानी परी (कविता), हीना अगनानी ‘हीर’
  • तमिल – ओट्टराय सिरागु ओविया (उपन्यास), विष्णुपुरम सर्वानन
  • तेलुगु – काबुरला देवता (कहानी), गंगीसेट्टी शिवकुमार
  • उर्दू – कौमी सितारे (लेख), ग़ज़नफ़र इक़बाल

पुरस्कार विजेताओं की बैठक: साहित्यिक चिंतन 

पुरस्कार समारोह के पश्चात 15 नवम्बर 2025 को नई दिल्ली के रवीन्द्र भवन सभागार, फिरोजशाह रोड में “पुरस्कार विजेताओं की बैठक” आयोजित की जाएगी। इस बैठक की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा करेंगी। यह मंच पुरस्कार विजेताओं को अपने रचनात्मक सफर, प्रेरणा स्रोतों और साहित्यिक योगदानों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा।

महत्व: विविधता और सांस्कृतिक शिक्षा का संवर्द्धन

बाल साहित्य पुरस्कार का उद्देश्य है—

  • क्षेत्रीय भाषाओं के लेखकों को पहचान और सम्मान देना,

  • भारतीय संस्कृति से जुड़ा बाल साहित्य प्रोत्साहित करना,

  • साहित्यिक विविधता और बहुभाषिकता को बढ़ावा देना,

  • बाल पाठकों और नवोदित लेखकों को प्रेरित करना।

यह वार्षिक पहल नई पीढ़ी के लिए शिक्षा, संस्कार और कल्पनाशक्ति में साहित्य की भूमिका को और सशक्त बनाती है।

स्थिर तथ्य (Static Facts)

  • पुरस्कार का नाम: बाल साहित्य पुरस्कार 2025

  • प्रदाता संस्था: साहित्य अकादेमी

  • पुरस्कार समारोह की तिथि: 14 नवम्बर 2025

  • स्थल: त्रिवेणी सभागार, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली

  • पुरस्कार राशि: ₹50,000 + कांस्य पट्टिका

  • सम्मानित भाषाएँ: 24 भारतीय भाषाएँ

  • मुख्य अतिथि: वर्षा दास (गुजराती लेखिका)

  • अध्यक्षता: मधव कौशिक (अध्यक्ष, साहित्य अकादेमी)

  • पुरस्कार विजेताओं की बैठक: 15 नवम्बर 2025, रवीन्द्र भवन, नई दिल्ली

  • उद्देश्य: बाल साहित्य में उत्कृष्ट योगदान का सम्मान

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