फॉक्सकॉन ने बेंगलुरु प्लांट में iPhone 17 बनाना किया शुरू

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि के तहत फॉक्सकॉन की नई बेंगलुरु इकाई ने आधिकारिक रूप से काम शुरू कर दिया है। इस संयंत्र में अब आईफोन 17 का उत्पादन हो रहा है। कर्नाटक के देवनहल्ली स्थित यह यूनिट चीन से बाहर फॉक्सकॉन का दूसरा सबसे बड़ा कारखाना है, जो भारत की स्थिति को एप्पल की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और मजबूत बनाता है।

यह शुरुआत भारत के उस बड़े लक्ष्य की दिशा में अहम मील का पत्थर है, जिसमें देश को उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक केंद्र बनाना शामिल है।

भारत में फॉक्सकॉन का विस्तार

फॉक्सकॉन, जो एप्पल का सबसे बड़ा विनिर्माण साझेदार है, लगातार भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है।

  • तमिलनाडु के चेन्नई संयंत्र में कई वर्षों से आईफोन का उत्पादन हो रहा है।

  • बेंगलुरु का नया कारखाना, चीन पर निर्भरता घटाने और भारत में उत्पादन विविधीकरण के लिए एक रणनीतिक निवेश है।

प्रमुख तथ्य

  • स्थान: देवनहल्ली, बेंगलुरु (कर्नाटक)

  • निवेश: 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹25,000 करोड़)

  • उत्पाद: आईफोन 17 (प्रारंभिक छोटे पैमाने पर उत्पादन शुरू)

  • महत्त्व: चीन से बाहर फॉक्सकॉन की दूसरी सबसे बड़ी इकाई

यह कदम एप्पल की उस वैश्विक रणनीति के अनुरूप है जिसमें वह चीन पर निर्भरता घटाकर भारत जैसे देशों में उत्पादन का विस्तार कर रहा है।

देवनहल्ली यूनिट का रणनीतिक महत्त्व

यह संयंत्र भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा—

  • एप्पल के एशियाई उत्पादन अड्डों का विविधीकरण

  • भारत को पसंदीदा इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण गंतव्य के रूप में स्थापित करना

  • कर्नाटक में रोजगार और उच्च-प्रौद्योगिकी उद्योगों का विकास

  • वैश्विक निर्यात के लिए ‘मेड इन इंडिया’ आईफोन हब के रूप में उभरना

सरकारी प्रोत्साहन और सहयोग

फॉक्सकॉन की यह पहल भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत संभव हुई, जिसका उद्देश्य है—

  • घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को प्रोत्साहन देना

  • वैश्विक हार्डवेयर दिग्गजों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करना

  • निर्यात और रोजगार के अवसर बढ़ाना

कर्नाटक सरकार ने भी देवनहल्ली इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में भूमि आवंटन, मंज़ूरियाँ और बुनियादी ढाँचे के विकास में सक्रिय सहयोग दिया।

भारत के टेक सेक्टर के लिए क्या मायने

बेंगलुरु में फॉक्सकॉन की नई इकाई का संचालन दर्शाता है—

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत का बढ़ता दबदबा

  • दक्षिण भारत में तेज़ी से बढ़ती तकनीक-आधारित औद्योगिक वृद्धि

  • भारत में बड़े पैमाने पर विनिर्माण के प्रति निवेशकों का मजबूत विश्वास

यह कदम न केवल भारत में आईफोन 17 की यात्रा की शुरुआत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि एप्पल अपने नवीनतम फ्लैगशिप उपकरणों के लिए भारतीय उत्पादन पर भरोसा करता है।

2025-26 की पहली तिमाही में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 47% बढ़ेगा: वाणिज्य मंत्री

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1) में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, जुलाई–सितंबर अवधि में निर्यात 47% बढ़कर 12.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह उछाल ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता और भारत के वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलने का प्रमाण है, खासकर मोबाइल फोन सेक्टर में।

इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात वृद्धि: एक दशक का बदलाव

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग 2014-15 में 31 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 133 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

  • 2014-15 निर्यात: ₹38,000 करोड़

  • 2024-25 निर्यात: ₹3.27 लाख करोड़ (लगभग 8 गुना वृद्धि)

  • Q1 2025-26: $12.4 अरब (47% वार्षिक वृद्धि)

यह रफ्तार भारत को दुनिया के अग्रणी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यातकों में ला खड़ा करती है।

मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग: आयातक से वैश्विक दिग्गज तक

मोबाइल फोन निर्माण ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया है।

  • 2014-15: भारत में बिकने वाले मोबाइलों में से केवल 26% ही घरेलू उत्पादन थे।

  • 2024-25: 99.2% मोबाइल ‘मेड इन इंडिया’।

  • निर्माण मूल्य: ₹18,900 करोड़ (FY14) → ₹4,22,000 करोड़ (FY24)।

  • निर्माण इकाइयाँ: 2014 में सिर्फ 2 → अब 300 से अधिक फैक्ट्रियाँ।

भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता है।

मोबाइल से आगे का विस्तार

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात अब सिर्फ मोबाइल तक सीमित नहीं है। अन्य प्रमुख उत्पाद—

  • सोलर मॉड्यूल

  • नेटवर्किंग डिवाइस

  • चार्जर एडॉप्टर

  • इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे और पार्ट्स

ये क्षेत्र न केवल निर्यात बढ़ा रहे हैं बल्कि रोजगार सृजन और सप्लाई चेन को भी मजबूत बना रहे हैं।

नीति प्रोत्साहन और आत्मनिर्भर भारत

भारत की इस सफलता के पीछे सरकार की सक्रिय नीतियाँ अहम हैं—

  • PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना

  • मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर और ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ सुधार

  • आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत महत्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्रों में स्वावलंबन

  • सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण को बढ़ावा, ताकि आयात पर निर्भरता घटे

भारत के ‘डीप ओशन मिशन’ ने उत्तर अटलांटिक में 5,002 मीटर मानव गोताखोरी का रचा रिकॉर्ड

भारत ने महासागर की गहराइयों की खोज में नया इतिहास रच दिया है। ‘डीप ओशन मिशन’ के तहत एक भारतीय एक्वानॉट ने उत्तर अटलांटिक महासागर में 5,002 मीटर की गहराई तक गोता लगाया, जो अब तक की भारत की सबसे गहरी मानव गोताखोरी है। फ्रांस के सहयोग से संपन्न यह उपलब्धि भारत के उन्नत गहरे समुद्री प्रौद्योगिकी निर्माण, संसाधन उपयोग और वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

रिकॉर्ड तोड़ गोताखोरी

5 और 6 अगस्त 2025 को फ्रांसीसी सबमर्सिबल ‘नॉटील’ (Nautile) से ये गोताखोरियां की गईं—

  • डॉ. राजू रमेश, वैज्ञानिक (NIOT) – 5 अगस्त को 4,025 मीटर गहराई तक उतरे।

  • जतिंदर पाल सिंह, सेवानिवृत्त नौसेना कमांडर – 6 अगस्त को 5,002 मीटर तक जाकर नया भारतीय रिकॉर्ड बनाया।

इससे भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो गहरे समुद्र में मानवयुक्त अभियान चला सकते हैं।

भारत-फ्रांस सहयोग और तकनीकी लाभ

यह मिशन भारत-फ्रांस साझेदारी का परिणाम है, जिसमें भारत को—

  • चरम समुद्री परिस्थितियों का व्यावहारिक अनुभव,

  • भावी स्वदेशी मिशनों के लिए प्रशिक्षण,

  • और समुद्री विज्ञान व प्रौद्योगिकी में सहयोग—
    प्राप्त हुआ।

डीप ओशन मिशन और ‘समुद्रयान’ परियोजना

भारत का डीप ओशन मिशन मानवयुक्त सबमर्सिबल्स, स्वचालित वाहनों और गहरे समुद्री खनन क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।

  • ‘मत्स्य 6000’ नामक मानवयुक्त सबमर्सिबल 6,000 मीटर की गहराई तक जाने के लिए विकसित किया जा रहा है।

  • इसका परीक्षण दिसंबर 2027 तक होने की संभावना है।

  • फोकस क्षेत्रों में खनिज और हाइड्रोकार्बन खोज, जैव विविधता अध्ययन और जलवायु अनुसंधान शामिल हैं।

भारत के लिए महत्व

  • प्रौद्योगिकी छलांग: गहरे समुद्र की खोज और दबाव-रोधी तकनीक में विशेषज्ञता।

  • संसाधन खोज: भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में खनिज और दुर्लभ तत्वों तक पहुंच।

  • वैश्विक प्रतिष्ठा: अमेरिका, फ्रांस, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में स्थान।

  • राष्ट्रीय गौरव: अंतरिक्ष की ऊंचाइयों और महासागर की गहराइयों—दोनों पर विजय पाने की क्षमता का प्रमाण।

जुलाई 2025 में दस राज्यों और NCDRC ने हासिल की 100% से अधिक मामलों के निपटान की दर

जुलाई 2025 में भारत की उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रणाली ने ऐतिहासिक सफलता दर्ज की—दस राज्यों और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने 100% से अधिक निपटान दर हासिल की, यानी उन्होंने जितने मामले दायर हुए उससे अधिक मामलों का निपटारा किया। यह उपभोक्ता न्याय प्रदान करने की मजबूत और तेज़ होती प्रक्रिया को दर्शाता है।

जुलाई 2025 निपटान आँकड़े: 100% से आगे

NCDRC और राज्यवार प्रदर्शन (उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा जारी आँकड़े):

  • NCDRC: 122%

  • तमिलनाडु: 277%

  • राजस्थान: 214%

  • तेलंगाना: 158%

  • हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड: 150% प्रत्येक

  • मेघालय: 140%

  • केरल: 122%

  • पुडुचेरी: 111%

  • छत्तीसगढ़: 108%

  • उत्तर प्रदेश: 101%

ये आँकड़े न केवल दक्षता को दर्शाते हैं, बल्कि जुलाई 2024 की तुलना में बेहतर प्रदर्शन भी दिखाते हैं, जब राष्ट्रीय स्तर पर निपटान दर काफी कम थी।

ई-जागृति प्लेटफ़ॉर्म: डिजिटल निवारण को नई ताकत

1 जनवरी 2025 को शुरू किया गया ई-जागृति एक आधुनिक एकीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, जिसने पुराने सभी उपभोक्ता शिकायत तंत्र (OCMS, ई-दाख़िल, NCDRC CMS, CONFONET) को एक जगह जोड़ा।

प्रमुख विशेषताएँ

  • उपभोक्ता और वकीलों के लिए OTP-आधारित पंजीकरण

  • कहीं से भी शिकायत दर्ज करने की सुविधा (विदेश से भी) – ऑनलाइन/ऑफ़लाइन भुगतान विकल्प

  • रियल-टाइम ट्रैकिंग, वर्चुअल सुनवाई और बहुभाषी समर्थन

  • वरिष्ठ नागरिकों व दृष्टिबाधितों के लिए चैटबॉट और वॉयस-टू-टेक्स्ट सुविधा

  • न्यायाधीशों के लिए सुरक्षित एक्सेस, स्मार्ट कैलेंडर, एनालिटिक्स डैशबोर्ड और पूरी तरह डिजिटल वर्कफ़्लो

अब तक की उपलब्धियाँ (6 अगस्त 2025 तक)

  • दो लाख से अधिक उपयोगकर्ता पंजीकृत (NRI समेत)

  • 85,531 शिकायत मामले ई-जागृति पर दायर

यह सफलता न केवल तकनीकी सुधार का उदाहरण है बल्कि भारत में तेज़, पारदर्शी और सुलभ उपभोक्ता न्याय प्रणाली की दिशा में मील का पत्थर भी है।

मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को नागालैंड का अतिरिक्त प्रभार

भारत के संवैधानिक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत, मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को नागालैंड के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह निर्णय नागालैंड के राज्यपाल ला. गणेशन के 15 अगस्त 2025 को निधन के बाद लिया गया। राष्ट्रपति भवन ने 16 अगस्त 2025 को आधिकारिक विज्ञप्ति जारी कर इसकी घोषणा की।

पृष्ठभूमि : नागालैंड राजभवन में रिक्ति

ला. गणेशन फरवरी 2023 से नागालैंड के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे। 80 वर्षीय गणेशन का निधन चेन्नई के एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान हुआ। उनके निधन से उत्पन्न संवैधानिक रिक्ति को देखते हुए त्वरित कदम उठाना आवश्यक हो गया।

अजय कुमार भल्ला की नियुक्ति

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया,

“नागालैंड के राज्यपाल श्री ला. गणेशन के निधन के उपरांत, भारत के राष्ट्रपति ने मणिपुर के राज्यपाल श्री अजय कुमार भल्ला को, उनके वर्तमान दायित्वों के अतिरिक्त, नागालैंड के राज्यपाल का कार्यभार सौंपा है।”

ऐसी अतिरिक्त प्रभार नियुक्तियाँ भारतीय संविधान में सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा हैं, ताकि अचानक उत्पन्न रिक्तियों के बावजूद राज्यपाल पद की जिम्मेदारियाँ बाधित न हों।

अजय कुमार भल्ला कौन हैं?

  • सेवानिवृत्त IAS अधिकारी

  • गृह मंत्रालय में कई वरिष्ठ पदों पर कार्य, जिनमें केंद्रीय गृह सचिव भी शामिल

  • 2024 से मणिपुर के राज्यपाल

  • अपनी प्रशासनिक दक्षता और सुदृढ़ प्रबंधन क्षमता के लिए प्रसिद्ध

उनकी अस्थायी नियुक्ति नागालैंड में प्रशासनिक और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने की दृष्टि से अहम मानी जा रही है।

महत्व

  • शासन की निरंतरता: नागालैंड में संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन बिना रुकावट जारी रहेगा।

  • उत्तर-पूर्व पर केंद्र का फोकस: यह नियुक्ति क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्र की प्राथमिकता को दर्शाती है।

  • परीक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण: सिविल सेवा और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में समसामयिक घटनाएँ, शासन व राजनीति खंड के लिए प्रमुख तथ्य।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में प्लुमेरिया गार्डन, बनयान ग्रोव और बबलिंग ब्रुक का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक उद्यानों को नया आयाम देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्लूमेरिया गार्डन, वट वृक्ष उपवन और बैबलिंग ब्रुक—अमृत उद्यान के तीन नए विकसित हिस्सों का उद्घाटन किया। इन नवविकसित उद्यानों ने न केवल राष्ट्रपति भवन की दृश्य और पारिस्थितिक सुंदरता को समृद्ध किया है, बल्कि स्वास्थ्य, स्थिरता और जनसहभागिता के नए आयाम भी जोड़े हैं।

अमृत उद्यान के नए आकर्षण

प्लूमेरिया गार्डन
यह उद्यान हरी-भरी ढलानों और चयनित पौधों से सुसज्जित है। इसकी शांति और रंग-बिरंगे पुष्प वातावरण को आत्मिक शांति और चिंतन का स्थान बनाने में सहायक है।

वट वृक्ष उपवन
यह भाग प्राकृतिक चिकित्सा और वेलनेस का अनोखा मिश्रण है। इसमें,

  • नंगे पांव चलने के लिए रिफ्लेक्सोलॉजी पथ

  • पंचतत्व पथ, जो प्रकृति के पाँच तत्वों का प्रतीक हैं

  • वन-प्रेरित ध्वनियों से सजी ध्यानपूर्ण अनुभूति
    यहाँ स्वास्थ्य और मानसिक शांति को बढ़ावा देने का विशेष प्रावधान किया गया है।

बैबलिंग ब्रुक
इस हिस्से में प्राकृतिक झरने जैसे जलप्रपात, कलात्मक फव्वारे और पत्थरों पर बने पगडंडी मार्ग शामिल हैं। यह उद्यान में प्रवाह, ध्वनि और शांति का समन्वय लाता है।

जनता के लिए खुला प्रवेश

ये तीनों नए उद्यान अब जनता के लिए अमृत उद्यान का हिस्सा बन गए हैं और 14 सितंबर 2025 तक खुले रहेंगे।

महत्व

  • राष्ट्रपति भवन की सांस्कृतिक और पारिस्थितिक विरासत को नया स्वरूप

  • जनस्वास्थ्य और ध्यान पर केंद्रित रिफ्लेक्सोलॉजी एवं नेचर ट्रेल्स

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की सतत विकास और समावेशी विरासत पर विशेष दृष्टि

ये नवाचार राष्ट्रपति भवन को और अधिक जन-केंद्रित और पर्यावरण-संवेदनशील बनाने की दिशा में एक अहम कदम हैं।

सिएटल के स्पेस नीडल पर पहली बार फहराया गया भारत का तिरंगा

भारत और अमेरिका के गहराते रिश्तों का प्रतीक बनकर, भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर सिएटल के प्रसिद्ध स्पेस नीडल पर भारतीय तिरंगा लहराया गया। यह ऐतिहासिक अवसर इसलिए खास रहा क्योंकि अमेरिकी प्रतीकात्मक स्थल पर पहली बार किसी विदेशी राष्ट्र का ध्वज फहराया गया। यह पल वैश्विक भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक बन गया।

सिएटल के प्रतीक स्थल पर ऐतिहासिक आयोजन

605 फीट ऊँचा स्पेस नीडल, जो सिएटल की पहचान माना जाता है, 15 अगस्त 2025 को तिरंगे के केसरिया, सफेद और हरे रंग की रोशनी से जगमगा उठा।

इस आयोजन की मेजबानी भारतीय वाणिज्य दूतावास (सिएटल) ने की, जिसमें प्रमुख हस्तियों ने शिरकत की:

  • भारत के महावाणिज्य दूत प्रकाश गुप्ता

  • सिएटल के मेयर ब्रूस हैरेल

  • सिएटल नगर नेतृत्व के वरिष्ठ अधिकारी

  • भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य

यह समारोह भारत और अमेरिका के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट क्षेत्र के बीच जीवंत साझेदारी का प्रतीक बना।

स्पेस नीडल का महत्व

1962 की वर्ल्ड फेयर के लिए निर्मित स्पेस नीडल, सिएटल की नवाचार और वैश्विक दृष्टिकोण की पहचान है। इस पर तिरंगे का फहराया जाना दर्शाता है:

  • भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति

  • भारत-अमेरिका के रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों की मजबूती

  • टेक्नोलॉजी, शिक्षा और जनसेवा में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के योगदान की मान्यता

भारत की सॉफ्ट पावर और प्रवासी मान्यता

अमेरिका के इस प्रतिष्ठित स्थल पर भारतीय ध्वज फहराया जाना सार्वजनिक कूटनीति और प्रवासी जुड़ाव में मील का पत्थर है। यह परिलक्षित करता है:

  • भारत की सॉफ्ट पावर का विस्तार

  • अमेरिकी सार्वजनिक जीवन में भारतीय परंपराओं का समावेश

  • सिएटल द्वारा भारतीय-अमेरिकी समुदाय की विविधता और ऊर्जा की स्वीकृति

ऐसे आयोजन आपसी सम्मान, बहुसांस्कृतिकता और द्विपक्षीय सद्भाव को और गहरा करते हैं।

भारत पहली बार एशियाई ओपन शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग ट्रॉफी 2025 की मेजबानी करेगा

भारत पहली बार वैश्विक शीतकालीन खेल मानचित्र पर कदम रखने जा रहा है, क्योंकि देश एशियन ओपन शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग ट्रॉफी 2025 की मेजबानी करेगा। यह ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय आयोजन 20 से 23 अगस्त 2025 तक महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर (देहरादून), उत्तराखंड में होगा। शीतकालीन खेलों के क्षेत्र में अब भी विकसित हो रहे भारत के लिए यह दृश्यता और भागीदारी—दोनों के लिहाज से एक बड़ी छलांग है।

आयोजन की झलकियाँ

आइस स्केटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ISAI) के नेतृत्व में आयोजित इस इवेंट में बर्फ पर रोमांचक और तेज़ रफ्तार दौड़ें होंगी। इसे अब तक का भारत का सबसे बड़ा शीतकालीन खेल आयोजन माना जा रहा है।

मुख्य विवरण:

  • तिथियाँ: 20–23 अगस्त 2025

  • स्थान: महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर (देहरादून)

  • खेल विधा: शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग

  • प्रतियोगिताएँ: 9 दौड़ श्रेणियाँ (222 मीटर से 5000 मीटर रिले तक)

यह खेल न केवल गति बल्कि रणनीति, संतुलन और सहनशक्ति की भी मांग करता है।

एशिया से भागीदारी

इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में 11 से अधिक एशियाई देश हिस्सा लेंगे। आईएसएआई अध्यक्ष अमिताभ शर्मा के अनुसार प्रतिभागी देश होंगे:

  • चीन

  • जापान

  • हांगकांग

  • इंडोनेशिया

  • सिंगापुर

  • थाईलैंड

  • चीनी ताइपे

  • वियतनाम

  • मलेशिया

  • फ़िलीपींस

  • भारत

यह व्यापक भागीदारी एशिया में शीतकालीन खेलों के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाती है और भारत की अंतरराष्ट्रीय आयोजक के रूप में उभरती भूमिका को मजबूत करती है।

भारत के लिए महत्व

इस आयोजन से भारत को कई लाभ होंगे:

  • शीतकालीन खेल अवसंरचना में बढ़ावा – ठंडे मौसम के खेलों की मेजबानी और प्रोत्साहन में भारत की साख बढ़ेगी।

  • वैश्विक पहचान – देहरादून अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के नक्शे पर उभरेगा।

  • भारतीय खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा – युवा स्केटर्स को पेशेवर स्तर पर आगे बढ़ने का हौसला मिलेगा।

  • पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ – देशी और विदेशी पर्यटकों के आने से उत्तराखंड को बढ़ावा मिलेगा।

यह आयोजन भारत के उस व्यापक लक्ष्य से मेल खाता है जिसमें देश क्रिकेट से परे अपनी खेल पहचान को विविध बनाकर सभी ओलंपिक विधाओं में क्षमता विकसित करना चाहता है।

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान और कोच बॉब सिम्पसन का निधन

क्रिकेट जगत ने अपने सबसे सम्मानित दिग्गजों में से एक—रॉबर्ट बैडली “बॉब” सिम्पसन—को अलविदा कहा, जिनका सिडनी में 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान, ऑलराउंडर और कोच के रूप में सिम्पसन का प्रभाव कई दशकों तक फैला रहा और उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट इतिहास के कई प्रतिष्ठित क्षणों को आकार दिया।

शानदार खेल करियर

बॉब सिम्पसन एक बेहतरीन ओपनिंग बल्लेबाज़, स्लिप फील्डर और पार्ट-टाइम लेग स्पिनर रहे। उन्होंने 1957 से 1978 के बीच ऑस्ट्रेलिया के लिए 62 टेस्ट मैच खेले। उनके आँकड़े उनकी सर्वांगीण प्रतिभा को दर्शाते हैं:

  • रन: 4,869

  • बल्लेबाज़ी औसत: 46.81

  • शतक: 10

  • अर्धशतक: 27

  • सर्वोच्च स्कोर: 311

  • कैच: 110

  • विकेट: 71

  • सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी: 5/57

  • पाँच विकेट हॉल: 2

  • कप्तान के रूप में टेस्ट: 62 में से 39

उनकी 311 रनों की पारी टेस्ट इतिहास की सबसे लंबी और अनुशासित पारियों में से एक मानी जाती है।

बेहतरीन कोच और मार्गदर्शक

खेल करियर के बाद सिम्पसन ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के सबसे सफल कोचों में जगह बनाई। 1980 के दशक के मध्य में उन्होंने टीम की कमान संभाली और अनुशासन, फिटनेस और आक्रामक पेशेवर रवैया जगाया। उनके नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने,

  • 1989 में एशेज जीती

  • 1987 का क्रिकेट विश्व कप जीता

  • 1990 के दशक की शुरुआत में वेस्टइंडीज पर दबदबा बनाया

उनकी कोचिंग ने 1990 और 2000 के शुरुआती वर्षों में ऑस्ट्रेलिया की दीर्घकालिक क्रिकेटीय श्रेष्ठता की नींव रखी।

सम्मान और पहचान

बॉब सिम्पसन के योगदान को कई सम्मानों से मान्यता मिली:

  • 1978: मेम्बर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (AM)

  • 1985: स्पोर्ट ऑस्ट्रेलिया हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल

  • 2006: ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल

  • 2007: ऑफ़िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया (AO)

ये सम्मान उनके मैदान पर और मैदान के बाहर, दोनों जगह के असाधारण योगदान को दर्शाते हैं।

क्रिकेट जगत में विरासत

सिम्पसन को एक दूरदर्शी अनुशासनप्रिय नेता के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और फील्डिंग—तीनों में अपना कौशल दिखाया। वे अपनी स्पष्ट सोच, कोचिंग नवाचारों और खेल की गहरी समझ के लिए भी जाने जाते थे।

उनकी विरासत उन खिलाड़ियों में ज़िंदा है जिन्हें उन्होंने प्रशिक्षित किया—जैसे एलेन बॉर्डर और स्टीव वॉ, जिन्होंने आगे चलकर ऑस्ट्रेलिया को विश्व क्रिकेट का शिखर दिलाया।

जुलाई में भारत का व्यापारिक निर्यात 7.3% बढ़ा; व्यापार घाटा बढ़ा

भारत के माल व्यापार ने जुलाई 2025 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, जहाँ निर्यात 7.3% बढ़कर 37.24 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस वृद्धि को इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों के मजबूत प्रदर्शन ने सहारा दिया। हालांकि, आयात में तेज़ बढ़ोतरी के कारण व्यापार घाटा बढ़कर 27.35 अरब डॉलर पर पहुँच गया, जो पिछले आठ महीनों में सबसे अधिक है। यह आँकड़े वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अस्थायी डेटा में सामने आए।

जुलाई 2025: क्षेत्रवार निर्यात प्रदर्शन

मजबूत क्षेत्र
जुलाई में भारत के निर्यात में मुख्य योगदान रहा –

  • इंजीनियरिंग वस्तुएँ

  • रत्न और आभूषण

  • इलेक्ट्रॉनिक्स

  • फार्मास्यूटिकल्स

  • कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन

इनमें से इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ सबसे तेज़ रहीं, जिनका निर्यात जुलाई 2024 के 2.81 अरब डॉलर से 34% बढ़कर जुलाई 2025 में 3.77 अरब डॉलर हो गया। यह भारत की उच्च-प्रौद्योगिकी विनिर्माण और डिजिटल व्यापार में मज़बूत होती स्थिति को दर्शाता है, जिसे उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी सरकारी पहल का समर्थन प्राप्त है।

आयात वृद्धि और व्यापार घाटा

निर्यात बढ़ने के बावजूद, आयात 8.6% की दर से बढ़कर जुलाई में 64.59 अरब डॉलर पर पहुँच गया। इस वजह से व्यापार घाटा 27.35 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो पिछले आठ महीनों का उच्चतम स्तर है।

आयात बढ़ने के कारण:

  • कच्चे तेल और ऊर्जा संसाधनों की मांग जारी रहना

  • घरेलू उत्पादन के लिए मशीनरी और औद्योगिक इनपुट्स का आयात

  • वैश्विक वस्तु कीमतों में वृद्धि का असर

यह स्थिति दर्शाती है कि सकारात्मक निर्यात गति के बावजूद भारत का बाह्य क्षेत्र वैश्विक कीमतों और आपूर्ति श्रृंखला लागतों के उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील है।

अप्रैल–जुलाई 2025: संचयी व्यापार

वित्त वर्ष के पहले चार महीनों (अप्रैल–जुलाई) में –

  • माल निर्यात: 149.20 अरब डॉलर

  • माल आयात: 244.01 अरब डॉलर

यह आँकड़े स्थायी व्यापार घाटे को दिखाते हैं, हालाँकि अस्थिर वैश्विक माहौल के बावजूद निर्यात का कुल प्रदर्शन उत्साहजनक रहा है।

वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त निर्यात

अप्रैल–जुलाई 2025 के दौरान वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 277.63 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 5.23% की वृद्धि है। यह भारत के व्यापार क्षेत्र की लचीलापन (resilience) को दर्शाता है।

महत्व और नीति निहितार्थ

क्यों ज़रूरी है?

  • निर्यात वृद्धि भारत की जीडीपी, रोज़गार सृजन और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए अहम है।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में उछाल भारत की वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ती भूमिका का संकेत है।

  • परंतु बढ़ता व्यापार घाटा ऊर्जा और पूंजीगत वस्तुओं में आयात-निर्भरता पर चिंता बढ़ाता है।

नीतिगत दिशा-निर्देश:

  • निर्यात बाज़ारों में विविधता और निर्यात अवसंरचना को सुदृढ़ करना।

  • आयात-गहन वस्तुओं का घरेलू उत्पादन बढ़ाना।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और रसायन जैसे क्षेत्रों में मूल्यवर्धित विनिर्माण को प्रोत्साहित करना।

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