परमाणु परीक्षण निषेध अंतर्राष्ट्रीय दिवस: परमाणु-मुक्त विश्व की ओर एक कदम

दुनिया भर में 16 जुलाई 1945 को पहले परमाणु हथियार परीक्षण के बाद से अब तक 2,000 से अधिक परीक्षण किए जा चुके हैं। इन परीक्षणों ने मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाले हैं। जैसे-जैसे परमाणु हथियार तकनीक और शक्तिशाली होती गई, परमाणु विकिरण और विनाशकारी परिणामों का खतरा और भी बढ़ गया। इन्हीं चिंताओं के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2009 में 29 अगस्त को “परमाणु परीक्षणों के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस” घोषित किया, ताकि इस खतरे के प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाई जा सके और परमाणु हथियार-मुक्त दुनिया की दिशा में प्रयास किए जा सकें।

मूल और उद्देश्य

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 दिसंबर 2009 को अपनी 64वीं बैठक में प्रस्ताव 64/35 को सर्वसम्मति से पारित कर 29 अगस्त को परमाणु परीक्षणों के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किया।

  • यह तिथि कज़ाख़स्तान के सेमिपालातिंस्क परमाणु परीक्षण स्थल के 29 अगस्त 1991 को बंद होने की स्मृति में चुनी गई।

दिवस के उद्देश्य

  • परमाणु परीक्षणों के खतरों और परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाना।

  • दुनिया भर के लोगों को यह शिक्षित करना कि सभी परमाणु विस्फोटों का अंत होना अत्यंत आवश्यक है।

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को प्रोत्साहित करना ताकि परमाणु हथियारों का पूर्ण उन्मूलन और वैश्विक निरस्त्रीकरण सुनिश्चित हो सके।

वैश्विक आयोजन और गतिविधियाँ

2010 से इस दिवस को विश्वभर में विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों के माध्यम से मनाया जा रहा है। इनमें शामिल हैं —

  • सम्मेलन और संगोष्ठियाँ

  • सार्वजनिक प्रदर्शनियाँ और व्याख्यान

  • शैक्षणिक और जन-जागरूकता अभियान

  • प्रतियोगिताएँ और प्रकाशन

  • मीडिया प्रसारण और जन-अधिकार पहलें

26 सितंबर : परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2014 में 26 सितंबर को भी “परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस” घोषित किया।

उद्देश्य

  • परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए वैश्विक प्रयासों को संगठित करना।

  • इस संदेश को सुदृढ़ करना कि पूर्ण उन्मूलन ही परमाणु हथियारों के प्रयोग या उनके खतरे से सुरक्षा की एकमात्र गारंटी है।

मेजर ध्यानचंद जयंती: 29 अगस्त 2025

भारत ने 29 अगस्त 2025 को महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की 120वीं जयंती मनाई। “हॉकी के जादूगर” कहलाने वाले ध्यानचंद अपनी अद्भुत गेंद नियंत्रण और गोल करने की कला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध रहे। उन्होंने 1928, 1932 और 1936 में तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतकर भारत को हॉकी महाशक्ति बना दिया। उनकी जयंती को देशभर में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि उनकी अतुलनीय खेल-योगदान को सम्मान दिया जा सके और नई पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके।

मेजर ध्यानचंद कौन थे?

  • ध्यानचंद को “हॉकी का जादूगर” कहा जाता है, क्योंकि गेंद पर उनका नियंत्रण जादू जैसा लगता था।

  • अपने करियर में उन्होंने 1,000 से अधिक गोल किए।

  • उनकी कला से विदेशी खिलाड़ी तक हैरान रह जाते थे और एक बार तो उनके स्टिक में चुंबक होने का संदेह कर लिया गया था।

प्रारंभिक जीवन

  • जन्म: 29 अगस्त 1905, इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश।

  • पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में थे और हॉकी खेलते थे, जिससे प्रेरित होकर ध्यानचंद ने खेल की शुरुआत की।

  • 17 वर्ष की उम्र में सेना में भर्ती हुए और यहीं से उन्होंने हॉकी को गंभीरता से अपनाया।

ओलंपिक उपलब्धियाँ

  • 1928 (एम्स्टर्डम): भारत ने पहला ओलंपिक स्वर्ण जीता, ध्यानचंद सर्वोच्च स्कोरर रहे।

  • 1932 (लॉस एंजेलिस): भारत ने अमेरिका को रिकॉर्ड 24–1 से हराया; ध्यानचंद और उनके भाई रूप सिंह को “हॉकी ट्विन्स” कहा गया।

  • 1936 (बर्लिन): फाइनल में भारत ने जर्मनी को 8–1 से हराया, जिसमें ध्यानचंद ने 3 गोल दागे। कहा जाता है कि हिटलर उनकी प्रतिभा से इतना प्रभावित हुआ कि उन्हें जर्मन सेना में उच्च पद की पेशकश की, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।

बाद का जीवन और सेवा

  • भारतीय सेना में शानदार करियर के बाद वे 1956 में मेजर पद से सेवानिवृत्त हुए

  • उसी वर्ष उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

  • रिटायरमेंट के बाद उन्होंने युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया और देशभर में हॉकी को बढ़ावा दिया।

विरासत और सम्मान

  • उनकी जयंती, 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाई जाती है।

  • भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार उनके नाम पर है।

  • उनके सम्मान में अनेक प्रतिमाएँ, स्टेडियम और डाक टिकट जारी किए गए हैं।

  • बीबीसी ने उन्हें हॉकी जगत का “मुहम्मद अली” कहा है।

आंध्र प्रदेश SIPB ने 53,922 करोड़ रुपये के निवेश और 83,000 से अधिक नौकरियों को मंजूरी दी

आंध्र प्रदेश राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (SIPB), जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने की, ने अपनी 10वीं बैठक (28 अगस्त 2025) में ₹53,922 करोड़ के कुल 30 नए निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी। इन परियोजनाओं से राज्य में 83,437 नई नौकरियों के सृजन की उम्मीद है। इससे आंध्र प्रदेश एक औद्योगिक और अवसंरचनात्मक विकास केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।

मुख्य निवेश स्वीकृतियाँ

निवेश परियोजनाएँ नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार और हरित प्रौद्योगिकी जैसे विविध क्षेत्रों में फैली हुई हैं। कुछ प्रमुख प्रस्ताव —

  • HFCL (हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशन्स लिमिटेड) – मदाकसीरा में ₹1,197 करोड़ का निवेश

  • अपोलो टायर्स – चित्तूर ज़िले में ₹1,100 करोड़ की परियोजना

  • धीरूभाई अंबानी ग्रीन टेक पार्क – कृष्णपट्टनम में ₹1,843 करोड़ का निवेश

  • सेरेंटिका रिन्यूएबल्स ऑफ इंडिया – अनंतपुर में ₹2,000 करोड़ की परियोजना

इन बड़े निवेशों से न केवल रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि राज्य का औद्योगिक ढांचा भी मजबूत होगा।

मुख्यमंत्री नायडू की प्राथमिकताएँ

सीएम नायडू ने कहा कि वे परियोजनाओं के क्रियान्वयन की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगे ताकि उनका समय पर समापन सुनिश्चित हो सके। उनकी प्रमुख प्राथमिकताएँ —

  • ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस : निवेशकों के लिए त्वरित मंज़ूरी और अनुमति प्रक्रिया को सरल बनाना।

  • विद्युत गतिशीलता (Electric Mobility) : आंध्र प्रदेश में महिंद्रा ईवी संयंत्र लाने के प्रयास जारी।

  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग :

    • चित्तूर और रायलसीमा में बागवानी (Horticulture) को बढ़ावा।

    • चित्तूर ज़िले में आम प्रसंस्करण (Mango Processing) पर विशेष बल।

  • MSME विकास : हर विधानसभा क्षेत्र में MSME पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव, ताकि स्थानीय उद्यमों को प्रोत्साहन मिले।

आर्थिक और रोज़गार प्रभाव

मंजूर की गई परियोजनाओं से —

  • आंध्र प्रदेश के युवाओं के लिए 83,437 नौकरियाँ सृजित होंगी।

  • नवीकरणीय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकी क्षमता मजबूत होगी।

  • ऑटोमोबाइल, टायर, दूरसंचार और ईवी क्षेत्र में विनिर्माण क्षमताएँ बढ़ेंगी।

  • खाद्य प्रसंस्करण और बागवानी उद्योगों के ज़रिए किसानों को दीर्घकालिक सहारा मिलेगा।

OpenAI ने पूर्व कोर्सेरा प्रमुख राघव गुप्ता को भारत और एशिया-प्रशांत के लिए शिक्षा प्रमुख नियुक्त किया

एशिया में अपनी उपस्थिति गहरी करने के लिए ओपनएआई (OpenAI) ने एक बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने पूर्व कौरसेरा (Coursera) एशिया-प्रशांत प्रबंध निदेशक राघव गुप्ता को भारत और एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र में शिक्षा पहलों का प्रमुख नियुक्त किया है। यह घोषणा नई दिल्ली में आयोजित ओपनएआई एजुकेशन समिट के दौरान की गई। यह कदम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को डिजिटल शिक्षा परिवर्तन से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

ओपनएआई अब भारत में स्थानीय एआई कार्यक्रम, अनुसंधान सहयोग और डेवलपर एंगेजमेंट शुरू करने की योजना बना रहा है, जिससे देश की एआई-आधारित शिक्षा में वैश्विक नेतृत्व की महत्वाकांक्षा को बल मिलेगा।

नेतृत्व नियुक्ति : राघव गुप्ता का ओपनएआई से जुड़ना

  • राघव गुप्ता ने कौरसेरा में लगभग 8 वर्षों तक कार्य किया और पूरे एशिया में डिजिटल शिक्षा का विस्तार किया।

  • उन्हें भारत और एपीएसी क्षेत्र के लिए शिक्षा प्रमुख नियुक्त किया गया है।

  • यह घोषणा ओपनएआई की उपाध्यक्ष (शिक्षा) लिया बेल्स्की द्वारा की गई।

साझेदारी और प्रतिभा विकास

ओपनएआई ने इंडिया एआई मिशन के साथ साझेदारी की है ताकि,

  • भारतीय डेवलपर्स में तकनीकी प्रशिक्षण और एआई एक्सपोज़र बढ़ाया जा सके।

  • पब्लिक-प्राइवेट सहयोग के माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहित किया जा सके।

  • एंटरप्राइज़ सेल्स और रणनीतिक खातों में नई नियुक्तियाँ की जा सकें।

आगे की राह : भारत में ओपनएआई की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता

यह शैक्षणिक विस्तार ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन की आगामी भारत यात्रा से पहले हुआ है। इस दौरान कई नई रणनीतिक साझेदारियों की घोषणा होने की उम्मीद है।

राघव गुप्ता ने जोर देकर कहा कि ये पहलें भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलने और देश को एआई-संचालित शिक्षा में वैश्विक नेता बनाने में मदद करेंगी।

संजय सेठ ने नई दिल्ली में मिलमेडिकॉन 2025 का उद्घाटन किया

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने 28 अगस्त 2025 को नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में “मिलमेडिकॉन 2025” (MILMEDICON 2025) का उद्घाटन किया। यह दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सैन्य परिस्थितियों में शारीरिक और मानसिक आघात (Trauma) पर केंद्रित है। सम्मेलन का आयोजन डीजीएमएस (सेना) – महानिदेशालय चिकित्सा सेवाएँ (Army) द्वारा किया गया है। यह पहल भारत के सैन्य स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार, लचीलापन और सुधार की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

एक सामरिक चिकित्सा पहल

मिलमेडिकॉन 2025 केवल एक वैज्ञानिक मंच नहीं, बल्कि एक रणनीतिक मील का पत्थर है, जो भारतीय सेना के “सुधार वर्ष” (Year of Reforms) से जुड़ा हुआ है। इसका उद्देश्य है:

  • युद्ध क्षेत्र में ट्रॉमा केयर को बेहतर बनाना

  • वैश्विक चिकित्सा सहयोग को मजबूत करना

  • सैन्य स्वास्थ्य अवसंरचना का आधुनिकीकरण करना

  • अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं (Best Practices) का समावेश करना

सैन्य नर्सिंग सेवा के 100 वर्ष

सम्मेलन की एक प्रमुख विशेषता सैन्य नर्सिंग सेवा (MNS) के शताब्दी वर्ष का उत्सव है।

  • 100 वर्षों से महिला चिकित्सा पेशेवरों की समर्पित सेवा को सम्मानित किया गया।

  • यह “नारी शक्ति” की नेतृत्व क्षमता और विरासत को उजागर करता है।

  • battlefield और नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया गया।

मुख्य विषय और चर्चाएँ

दो दिवसीय कार्यक्रम में सैन्य चिकित्सा के भविष्य को आकार देने वाले विषयों पर उच्च स्तरीय चर्चा हुई, जैसे:

  1. एडवांस्ड कॉम्बैट ट्रॉमा केयर – युद्धक्षेत्र में गंभीर चोटों के लिए आधुनिक उपचार और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली।

  2. सैन्य स्वास्थ्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) – निदान, पूर्वानुमानित देखभाल और परिचालन दक्षता में एआई की भूमिका।

  3. आपातकालीन एवं युद्धक्षेत्र चिकित्सा नवाचार – युद्ध जैसी परिस्थितियों के लिए विकसित हो रही नई तकनीकें और दृष्टिकोण।

  4. कॉम्बैट मेडिकल रोल्स में महिलाएँ – स्वास्थ्य सेवाओं और नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं के बदलते योगदान।

वैश्विक भागीदारी और सहयोग

मिलमेडिकॉन 2025 में 15 से अधिक देशों की भागीदारी रही, जिससे यह एक वास्तविक वैश्विक मंच बन गया। प्रतिभागियों में शामिल रहे:

  • भारतीय सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी

  • अंतर्राष्ट्रीय सैन्य चिकित्सा प्रतिनिधिमंडल

  • नागरिक चिकित्सा विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद

इसके अलावा, पैनल चर्चाएँ, पोस्टर प्रेजेंटेशन और वैज्ञानिक प्रदर्शनी जैसी गतिविधियाँ भी आयोजित हुईं। यह सहयोगात्मक आदान-प्रदान राष्ट्रों के बीच साझा लचीलापन और चिकित्सा तैयारी को सुदृढ़ करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

भारत ने गुजरात में सेमी-कंडक्टर के लिए प्रमुख OSAT सुविधा शुरू की

केंद्रीय आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल ने गुजरात के साणंद में भारत की पहली पूर्ण-स्तरीय आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (OSAT) पायलट लाइन सुविधा का उद्घाटन किया। सीजी सेमी (CG Semi) द्वारा विकसित यह सुविधा भारत के सेमीकंडक्टर रोडमैप में एक बड़ी छलांग है और “आत्मनिर्भर भारत” एवं तकनीकी संप्रभुता की दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम है।वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर की मांग लगातार बढ़ रही है और 2032 तक लगभग 10 लाख पेशेवरों की कमी अनुमानित है। ऐसे में भारत खुद को उत्पादन और प्रतिभा केंद्र दोनों के रूप में स्थापित कर रहा है।

भारत सेमीकंडक्टर मिशन: एक निर्णायक मोड़

  • CG Semi OSAT सुविधा का शुभारंभ इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के अंतर्गत एक मील का पत्थर है।

  • यह OSAT पायलट लाइन चिप असेंबली, पैकेजिंग, परीक्षण और पोस्ट-टेस्ट सेवाओं को सपोर्ट करेगी। इससे 2026 तक वाणिज्यिक उत्पादन का मार्ग प्रशस्त होगा।

  • OSAT लाइन चिप आपूर्ति श्रृंखला का एक अहम हिस्सा है, जो पारंपरिक और उन्नत दोनों पैकेजों को संसाधित करने में सक्षम है।

  • अब तक ISM के तहत 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी दी जा चुकी है।

गुजरात: उभरता हुआ सिलिकॉन राज्य

  • गुजरात भारत के सेमीकंडक्टर मिशन का अगुवा बनकर सामने आया है।

  • राज्य की नीतियाँ, अवसंरचना और नेतृत्व ने इसे इस क्रांति का प्रमुख केंद्र बनाया है।

  • CG Semi ने अगले पाँच वर्षों में ₹7,600 करोड़ (870 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है।

  • इसके तहत दो अत्याधुनिक संयंत्र (G1 और G2) बनाए जाएंगे।

    • G1 संयंत्र (आज उद्घाटन) की क्षमता होगी: 5 लाख यूनिट प्रतिदिन

    • G2 संयंत्र (निर्माणाधीन) की क्षमता होगी: 1.45 करोड़ यूनिट प्रतिदिन (2026 के अंत तक)

  • इन संयंत्रों से 5,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे और उच्च तकनीकी कौशल वाले मानव संसाधन को बढ़ावा मिलेगा।

प्रतिभा और शिक्षा को सशक्त बनाना

  • सरकार ने 270 विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी की है और उन्हें अत्याधुनिक चिप डिज़ाइन टूल्स उपलब्ध कराए हैं।

  • वर्ष 2025 में इन टूल्स का 1.2 करोड़ बार उपयोग किया गया।

  • इसके परिणामस्वरूप 17 संस्थानों के छात्रों द्वारा डिज़ाइन की गई 20 चिप्स मोहाली स्थित SCL (Semi-Conductor Laboratory) में निर्मित की गईं।

  • यह पहल उस अनुमानित 10 लाख वैश्विक पेशेवरों की कमी को पूरा करने की दिशा में अहम है, जो 2032 तक देखी जा रही है।

  • भारत का लक्ष्य है कि वह दुनिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर प्रतिभा आधार बने।

रणनीतिक औद्योगिक सहयोग

  • CG Semi एक संयुक्त उद्यम है, जिसमें शामिल हैं—

    • सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन्स (मुरुगप्पा समूह)

    • रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स (जापान)

    • स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स (थाईलैंड)

  • यह साझेदारी भारत में वैश्विक विशेषज्ञता और तकनीक हस्तांतरण सुनिश्चित करेगी।

  • भारतीय इंजीनियरों और तकनीशियनों को मलेशिया में व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे बड़े पैमाने पर चिप असेंबली और टेस्टिंग में दक्ष हो सकें।

  • संयंत्र में हाई-यील्ड उपकरण, MES (Manufacturing Execution System) द्वारा ऑटोमेशन और ट्रेसबिलिटी, तथा विफलता विश्लेषण और विश्वसनीयता परीक्षण प्रयोगशालाएँ शामिल हैं।

  • संयंत्र वर्तमान में ISO 9001 और IATF 16949 प्रमाणन प्रक्रिया में है और शीघ्र ही ग्राहक योग्यता परीक्षण रन शुरू होने वाले हैं।

कपास आयात शुल्क छूट दिसंबर 2025 तक बढ़ाई गई

केंद्र सरकार ने कपास (HS Code 5201) पर आयात शुल्क छूट की समय-सीमा बढ़ाने की घोषणा की है। अब यह छूट 31 दिसम्बर 2025 तक लागू रहेगी। पहले यह छूट 19 अगस्त से 30 सितम्बर 2025 तक दी गई थी। इस कदम का उद्देश्य भारतीय वस्त्र और परिधान क्षेत्र में कपास की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखना है, खासकर तब जब वैश्विक कपास कीमतों में वृद्धि और घरेलू आपूर्ति संबंधी चुनौतियाँ सामने हैं।

पृष्ठभूमि व प्रारम्भिक छूट

सरकार ने 19 अगस्त 2025 से कपास आयात शुल्क को अस्थायी रूप से हटा दिया था, जिसका पहला समय-सीमा 30 सितम्बर 2025 तय किया गया था। यह निर्णय इन कारणों से लिया गया:

  • घरेलू आपूर्ति की कमी

  • कपास की कीमतों में उतार-चढ़ाव

  • भारतीय वस्त्र उद्योग से निर्यात की बढ़ती मांग

वस्त्र क्षेत्र भारत के सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक है। कच्चे माल की उपलब्धता में अस्थिरता से उत्पादन, निर्यात और रोजगार पर सीधा असर पड़ सकता है।

विस्तार का कारण

छूट को वर्ष के अंत तक बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य आगामी त्योहारी और निर्यात सीज़न में कपास की उपलब्धता बनाए रखना है। इससे—

  • घरेलू कपास कीमतों को स्थिर करने में मदद मिलेगी

  • वस्त्र निर्माता और निर्यातक लाभान्वित होंगे

  • परिधान उत्पादन श्रृंखला में व्यवधान नहीं होगा

यह निर्णय आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर बनाए रखने और भारतीय कपास उत्पादों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को सशक्त करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

नीतिगत प्रभाव

यह छूट विशेष रूप से भारत की कपास वस्त्र मूल्य शृंखला के लिए अहम है, जिसमें शामिल हैं:

  • स्पिनिंग मिल्स (सूती धागा उद्योग)

  • परिधान निर्माता

  • निर्यातक – खासकर अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों जैसे बड़े बाज़ारों को लक्षित करने वाले

इसके अलावा, यह कदम जलवायु परिवर्तनजन्य फसल उत्पादन में उतार-चढ़ाव और वैश्विक बाज़ार की अस्थिरता से होने वाले प्रभाव को कम करेगा, ताकि निर्माता सुलभ दरों पर पर्याप्त कच्चा माल प्राप्त कर सकें।

भारत का IIP (औद्योगिक उत्पादन सूचकांक) जुलाई 2025 में 3.5% बढ़ेगा

भारत के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में जुलाई 2025 में साल-दर-साल आधार पर 3.5% की वृद्धि दर्ज की गई। यह जून 2025 के 1.5% की तुलना में उल्लेखनीय सुधार है। इस वृद्धि का मुख्य कारण मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 5.4% की तेजी रही, हालांकि खनन क्षेत्र में तेज गिरावट देखी गई। IIP विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के प्रदर्शन को मापने का एक प्रमुख संकेतक है, जो औद्योगिक स्वास्थ्य की झलक पेश करता है।

क्षेत्रवार प्रदर्शन: मैन्युफैक्चरिंग ने संभाली कमान

  • जुलाई 2025 का IIP स्तर: 155.0, जो जुलाई 2024 के 149.8 से अधिक है।

  • मैन्युफैक्चरिंग: 5.4% की वृद्धि, सबसे बड़ा योगदानकर्ता।

  • बिजली: मामूली 0.6% की वृद्धि।

  • खनन: -7.2% की तेज गिरावट।

मैन्युफैक्चरिंग के भीतर 23 में से 14 उद्योग समूहों में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। प्रमुख योगदानकर्ता रहे:

  • मूल धातुओं का उत्पादन: 12.7% वृद्धि

  • विद्युत उपकरण निर्माण: 15.9% वृद्धि

  • गैर-धातु खनिज उत्पाद: 9.5% वृद्धि

इनमें वृद्धि का कारण MS स्लैब, HR कॉइल, इलेक्ट्रिक हीटर, ट्रांसफॉर्मर, सीमेंट और संगमरमर स्लैब के उत्पादन में बढ़ोतरी रहा।

कार्यप्रणाली और संशोधन

  • IIP विभिन्न एजेंसियों और उत्पादन इकाइयों से प्राप्त आँकड़ों पर आधारित होता है।

  • जुलाई 2025 के त्वरित अनुमान 89.5% प्रतिक्रिया दर पर आधारित रहे।

  • जून 2025 के अंतिम अनुमान 93.1% प्रतिक्रिया दर के साथ संशोधित किए गए।

  • आगे से IIP डेटा हर महीने की 28 तारीख को जारी किया जाएगा।

उपयोग-आधारित वर्गीकरण से संकेत

IIP को वस्तुओं के उपयोग पैटर्न के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है, जिससे अर्थव्यवस्था की गतिविधियों की गहराई से जानकारी मिलती है:

  • प्राथमिक वस्तुएँ: -1.7% की गिरावट

  • पूंजीगत वस्तुएँ: 5.0% की वृद्धि

  • मध्यवर्ती वस्तुएँ: 5.8% की वृद्धि

  • बुनियादी ढांचा/निर्माण वस्तुएँ: 11.9% की छलांग

  • उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ: 7.7% की वृद्धि

  • उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुएँ: 0.5% की हल्की वृद्धि

कुल IIP वृद्धि के शीर्ष तीन योगदानकर्ता रहे:

  1. बुनियादी ढांचा/निर्माण वस्तुएँ

  2. मध्यवर्ती वस्तुएँ

  3. उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ

यह आँकड़े बताते हैं कि भारत के औद्योगिक क्षेत्र में निवेश-आधारित और उपभोक्ता-चालित दोनों मोर्चों पर मज़बूत गति बनी हुई है।

भारत ने BioE3 नीति के तहत पहला राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क लॉन्च किया

भारत ने बायोई3 नीति (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, रोजगार) के तहत अपना पहला राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क (NBN) लॉन्च किया। इस पहल को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुरू किया। यह कदम भारत को सतत बायोटेक्नोलॉजी और स्वदेशी बायोमैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रगति माना जा रहा है।

राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क क्या है?

राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क (NBN) एक सहयोगात्मक राष्ट्रीय स्तर का मंच है, जिसमें छह प्रमुख बायोटेक्नोलॉजी संस्थान शामिल हैं। इसका उद्देश्य बायोटेक अनुसंधान को व्यावहारिक और बाज़ार-तैयार समाधानों में बदलना है। यह इन क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देगा:

  • उन्नत बायोमैन्युफैक्चरिंग

  • सिंथेटिक बायोलॉजी

  • जीन एडिटिंग (CRISPR तकनीक सहित)

  • जलवायु-स्मार्ट कृषि

  • हरित बायोटेक्नोलॉजी

यह एक वन-स्टॉप इकोसिस्टम है जो डिज़ाइन → प्रोटोटाइप → परीक्षण → स्केल-अप तक की सभी प्रक्रियाओं को सुगम बनाएगा।

राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क के उद्देश्य

  • स्वदेशी बायोमैन्युफैक्चरिंग क्षमता को मजबूत करना।

  • बायोई3 नीति के तीन स्तंभों (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, रोजगार) के लक्ष्यों को पूरा करना।

  • अनुसंधान से बाज़ार तक बायोटेक नवाचारों की गति को तेज़ करना।

  • युवा नवाचार, स्टार्ट-अप्स और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना।

  • भारत को सतत बायोटेक्नोलॉजी में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाना।

बायोफाउंड्री नेटवर्क की प्रमुख विशेषताएँ

  • एकीकृत नेटवर्क : छह संस्थान एक ही मंच पर मिलकर कार्य करेंगे।

  • एंड-टू-एंड सुविधा : डिज़ाइन से लेकर स्केल-अप तक संपूर्ण ढांचा।

  • आधुनिक तकनीकी फोकस : सिंथेटिक बायोलॉजी, जीन एडिटिंग, सतत बायोटेक्नोलॉजी पर काम।

  • नवाचार फंडिंग : बायोई3 चैलेंज से जुड़ाव, युवाओं के स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन।

  • वैश्विक सहयोग : अंतरराष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क्स के साथ ज्ञान साझेदारी।

  • रोज़गार और स्टार्ट-अप बढ़ावा : बायोटेक क्षेत्र में नए रोज़गार और स्टार्ट-अप्स का निर्माण।

  • सतत विकास दृष्टिकोण : जलवायु लचीलापन, अपशिष्ट में कमी और बायो-आधारित अर्थव्यवस्था पर जोर।

  • ओपन एक्सेस : शैक्षणिक जगत, उद्योग और शोधकर्ताओं के लिए अधोसंरचना तक पहुँच।

मिनर्वा अकादमी ने युवा फुटबॉल में ऐतिहासिक यूरोपीय तिहरा खिताब जीता

केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने नई दिल्ली में मिनर्वा अकादमी फुटबॉल क्लब (मोहाली) के युवा खिलाड़ियों का सम्मान किया। टीम ने हाल ही में वैश्विक युवा फुटबॉल में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करते हुए गॉथिया कप (स्वीडन), डाना कप (डेनमार्क) और नॉर्वे कप (नॉर्वे) जीतकर एक ही सीजन में यूरोपीय ट्रेबल अपने नाम किया। इसे भारतीय फुटबॉल का “नया अध्याय” बताते हुए उन्होंने खिलाड़ियों के जुनून, दृढ़ता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की।

ऐतिहासिक यूरोपीय ट्रेबल

मिनर्वा अकादमी एफसी की अंडर-14/15 टीम (22 खिलाड़ी) ने जुलाई-अगस्त 2025 के दौरान तीन सबसे प्रतिष्ठित युवा फुटबॉल टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रच दिया:

  • गॉथिया कप (स्वीडन) – जिसे “यूथ वर्ल्ड कप” कहा जाता है

  • डाना कप (डेनमार्क)

  • नॉर्वे कप (नॉर्वे)

टीम ने 26 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपराजित रहते हुए 295 गोल दागे और बेहद कम गोल खाए। उन्होंने अर्जेंटीना, ब्राज़ील, जर्मनी और स्पेन जैसी शीर्ष फुटबॉल देशों की युवा क्लब टीमों को हराया।
गॉथिया कप के फाइनल में, मिनर्वा ने अर्जेंटीना की एस्कुएला डी फुटबॉल 18 टुकुमान को 4–0 से मात दी, जिसने उनकी रणनीतिक अनुशासन और आक्रामक क्षमता को उजागर किया।

व्यक्तिगत उपलब्धियाँ

टीम के दो खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत स्तर पर भी चमक बिखेरी:

  • कोंथौजम योहेनबा सिंह – गॉथिया कप 2025 के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी

  • हुइड्रोम टोनी – डाना कप 2025 के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी

ये सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा का प्रमाण हैं बल्कि भारत के ग्रासरूट फुटबॉल ढांचे से निकलती नई प्रतिभा को भी उजागर करते हैं।

सरकारी मान्यता और सहयोग

सम्मान समारोह में डॉ. मांडविया ने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय फुटबॉल के भविष्य के लिए मील का पत्थर है। उन्होंने जोर दिया कि:

  • युवा विकास, खेल विज्ञान, मानसिक दृढ़ता और पोषण अब भारत की खेल रणनीति का केंद्र होना चाहिए।

  • खिलाड़ियों को हर वैश्विक टूर्नामेंट में “राष्ट्र प्रथम” की भावना के साथ उतरना चाहिए।

  • खेलो इंडिया जैसी पहलें सतत खेल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में अहम भूमिका निभाएँगी।

यह सरकार की इस बढ़ती प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है कि भारत को वैश्विक खेल मंचों पर गंभीर दावेदार बनाया जाए।

मिनर्वा अकादमी एफसी के बारे में

मोहाली (पंजाब) स्थित मिनर्वा अकादमी एक खेलो इंडिया मान्यता प्राप्त अकादमी है और देश के सबसे प्रतिष्ठित युवा फुटबॉल विकास केंद्रों में गिनी जाती है। यह गॉथिया कप 2025 में भाग लेने वाले छह भारतीय क्लबों में से एक थी (U-14 बॉयज़ श्रेणी)।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में इसका निरंतर प्रदर्शन इसे भारत की युवा फुटबॉल प्रतिभा का एक अहम स्रोत बनाता है।

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