कैबिनेट ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दी

कैबिनेट ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है। इस मिशन का उद्देश्य स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा पर उतारना, सैंपल कलेक्ट करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। कैबिनेट ने वीनस ऑर्बिटर मिशन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना को भी मंजूरी दे दी है। दोनों मिशन को साल 2028 तक लॉन्च करने का प्लान बनाया गया है।

एक बयान में कहा गया कि ‘चंद्रयान-4’ अभियान भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को (वर्ष 2040 तक) चंद्रमा पर उतारने और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आधारभूत टेक्नोलॉजी को विकसित करेगा। साथ ही चंद्रमा से नमूने लाकर उनका विश्लेषण करना है। साथ ही चांद और मंगल के बाद अब भारत ने शुक्र ग्रह की ओर कदम बढ़ाए हैं और सरकार ने वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) को भी मंजूरी दी है।

मंजूरी मिलने के 36 महीने के भीतर होगा पूरा

बयान में कहा गया है कि ‘चंद्रयान-4’ अभियान के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के लिए कुल 2,104.06 करोड़ रुपये की धनराशि की आवश्यकता है। इसमें कहा गया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार होगा। उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी से इस अभियान को मंजूरी मिलने के 36 महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। बयान में कहा गया कि इससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित किए जाने की परिकल्पना की गई है।

मानवयुक्त चंद्र मिशन

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय हमें 2035 तक एक आत्मनिर्भर अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक मानवयुक्त चंद्र मिशन के करीब ले आएगा। मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने ‘चंद्रयान-4’ मिशन के लिए 2,104 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।

अटल पेंशन योजना के अंशधारकों की संख्या 6.9 करोड़ हुई

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित अटल पेंशन योजना (APY) में करीब 7 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया है, जिससे 35,149 करोड़ रुपये का कोष जमा हुआ है। 2015 में शुरू की गई APY एक कम लागत वाली पेंशन योजना है, जो ग्राहकों द्वारा किए गए योगदान के आधार पर 1,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये प्रति माह तक की गारंटीकृत न्यूनतम पेंशन प्रदान करती है। ग्राहक की मृत्यु की स्थिति में, पेंशन जीवन भर के लिए पति या पत्नी को दी जाती है, और दोनों की मृत्यु होने पर, नामांकित व्यक्ति को पूरी राशि मिलती है।

मुख्य बिंदु

  • सदस्य और कोष: 6.9 करोड़ से अधिक लोग APY में शामिल हुए हैं, जिससे 35,149 करोड़ रुपये का कोष बना है।
  • पेंशन लाभ: योगदान के आधार पर 60 वर्ष की आयु से 1,000 रुपये से 5,000 रुपये तक की मासिक पेंशन की गारंटी।
  • मृत्यु लाभ: पेंशन पति/पत्नी को मिलती रहती है; पति/पत्नी और ग्राहक दोनों की मृत्यु के बाद, कोष नामित व्यक्ति को दे दिया जाता है।

अटल पेंशन योजना (APY): मुख्य बिंदु

  • शुरूआत वर्ष: 2015, भारत सरकार के अधीन।
  • उद्देश्य: 60 वर्ष की आयु के बाद व्यक्तियों को गारंटीकृत न्यूनतम मासिक पेंशन प्रदान करना।
  • पात्रता: 18-40 वर्ष की आयु के सभी भारतीय नागरिकों के लिए खुला है, विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र को लक्षित करते हुए।
  • पेंशन रेंज: योगदान के आधार पर 1,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति माह।
  • योगदान अवधि: जब तक ग्राहक 60 वर्ष का नहीं हो जाता।
  • मृत्यु लाभ: पेंशन पति/पत्नी को जारी रहती है; ग्राहक और पति/पत्नी दोनों की मृत्यु के बाद नामित व्यक्ति को राशि का भुगतान किया जाता है।
  • संग्रह (2024): 35,149 करोड़ रुपये।
  • ग्राहक (2024): 6.9 करोड़ (69 मिलियन)।

केंद्र सरकार ने डीबीटी की बायो-राइड योजना को मंजूरी दी

केंद्र सरकार ने केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ‘जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवाचार और उद्यमिता विकास (बायो-राइड)’ योजना शुरू करने की मंजूरी दे दी है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की दो मौजूदा योजनाओं का विलय बायो-राइड योजना में कर दिया गया है, और उसमे एक नया घटक बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री को जोड़ा गया है।

बायो-राइड योजना की अवधि और परिव्यय

  • नव स्वीकृत बायो-राइड 15वें वित्त आयोग की अवधि 2021-22 से 2025-26 तक जारी रहेगा।
  • 2021-2025-26 से तक योजना का प्रस्तावित परिव्यय 9197 करोड़ रुपये है।

बायो-राइड योजना का घटक

  • नव स्वीकृत बायो-राइड में पिछली दो जैव प्रौद्योगिकी विभाग योजनाओं का विलय किया गया है और इसमें एक नया घटक शामिल है।

योजना के घटक हैं;

  • जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास ;
  • औद्योगिक एवं उद्यमिता विकास;
  • बायोमैन्यूफैक्चरिंग एवं बायोफाउंड्री
  • बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री
  • बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री बायो-राइड के नई शुरू की नई घटक हैं।

बायोमैन्युफैक्चरिंग का तात्पर्य भोजन, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, ऊर्जा आदि में उपयोग के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण बायोमोलेक्यूल्स का निर्माण करने के लिए जैविक प्रणालियों (जीवित जीव, पशु / पौधे कोशिकाएं, ऊतक, एंजाइम इत्यादि) का उपयोग करना है। यह एक अंतःविषय क्षेत्र है जिसमें सूक्ष्म जीव विज्ञान, जैव रसायन, और केमिकल इंजीनियरिंग शामिल है।

फाउंड्री एक ऐसा कारखाना है जहां धातुओं को पिघलाया जाता है और वांछित वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए विशेष रूप से निर्मित कंटेनरों में डाला जाता है। इसी तरह, बायो-फाउंड्री में, वांछित जैव प्रौद्योगिकी उत्पाद बनाने के लिए जीवों के डीएनए का उपयोग और उसमे वांछित बदलाव किया जाता है।

बायो-राइड योजना का उद्देश्य

  • जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना और उसका पोषण करना।
  • धन उपलब्ध कराकर बायोप्लास्टिक्स, सिंथेटिक बायोलॉजी, बायोफार्मास्यूटिकल्स और बायोएनर्जी जैसे उन्नत क्षेत्रों में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  • अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और उद्योग के बीच तालमेल बनाएं ताकि प्रौद्योगिकी का बेहतर व्यावसायीकरण किया जा सके।
  • भारत के हरित लक्ष्यों के अनुरूप पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ जैव-विनिर्माण प्रथाओं को बढ़ावा देना।

एमएससीआई एसीडब्ल्यूआई में भारत छठा सबसे बड़ा बाजार बना

भारत अब MSCI ऑल कंट्री वर्ल्ड इंवेस्टेबल मार्केट इंडेक्स (ACWI IMI) में छठा सबसे बड़ा बाजार बन गया है, जो चीन से आगे निकल गया है और फ्रांस से थोड़ा पीछे है। अगस्त 2024 तक, इंडेक्स में भारत का भार 2.35% है, जो चीन के 2.24% से अधिक है, जबकि फ्रांस भारत से सिर्फ़ 3 आधार अंक आगे है। भारत अब पहली बार MSCI ACWI IMI में सबसे बड़ा उभरता हुआ बाजार (EM) भी ​​है।

MSCI ACWI IMI अवलोकन

MSCI ACWI IMI में वैश्विक स्तर पर बड़े और मध्यम-कैप स्टॉक शामिल हैं। जबकि 2021 की शुरुआत से भारत का भार दोगुना से अधिक हो गया है, उसी अवधि के दौरान चीन का भार आधा हो गया है। हालाँकि, मानक MSCI ACWI इंडेक्स में, भारत चीन के 2.41% की तुलना में 2.07% के भार के साथ चीन से पीछे है।

निवेश प्रभाव और निष्क्रिय प्रवाह

विश्लेषकों का सुझाव है कि भारत के बढ़ते भार का निष्क्रिय प्रवाह पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ सकता है, क्योंकि सूचकांक को ट्रैक करने वाले ETF $2 बिलियन से कम का प्रबंधन करते हैं। हालांकि, भारत का शीर्ष EM और छठा सबसे बड़ा भार वाला दर्जा इसकी छवि को बढ़ाता है, जिससे निवेश अपील बढ़ती है।

आर्थिक विकास और बाजार प्रदर्शन

भारत की नाममात्र जीडीपी वृद्धि दर वर्तमान में कम किशोर अवस्था में है, जो चीन की तुलना में तीन गुना से भी अधिक है, जिससे आय वृद्धि का माहौल मजबूत हो रहा है। अगस्त में, भारत ने 22.27% के भार के साथ MSCI EM IMI में चीन को भी पीछे छोड़ दिया, जबकि चीन का भार 21.58% है। MSCI EM IMI को $125 बिलियन का प्रबंधन करने वाले फंड ट्रैक करते हैं, जबकि MSCI EM इंडेक्स को $500 बिलियन की संपत्ति वाले फंड ट्रैक करते हैं।

मॉर्गन स्टेनली की रणनीति

मॉर्गन स्टेनली अपने पैन-एशियाई और ईएम पोर्टफोलियो में भारत और जापान पर 150 आधार अंकों से अधिक वजन रखता है, जबकि चीन पर 150 बीपीएस कम वजन रखता है।

कैबिनेट ने वन नेशन, वन इलेक्‍शन को दी मंजूरी

देश में एक देश एक चुनाव को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई। वन नेशन वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी बनाई गई थी जिसके चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। कोविंद ने अपनी रिपोर्ट इसपर मोदी कैबिनेट को दी जिसके बाद उसे सर्वसम्मति से मंजूर कर दिया गया। बिल शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में संसद में पेश किया जाएगा।

अब देश की 543 लोकसभा सीट और सभी राज्‍यों की कुल 4130 विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की राह खुल गई। एक देश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के बाद प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी है।

1951 से 1967 तक देश में एक साथ ही चुनाव

वन नेशन वन इलेक्शन यानी एक देश एक चुनाव को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हाई लेवल कमेटी की सिफारिशों को मंजूर कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि 1951 से 1967 तक देश में एक साथ ही चुनाव होते थे। हम अगले महीनों में इसपर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे।

वन नेशन वन इलेक्शन क्या है और कैसे लागू होगा?

इसका मतलब है कि एक ही समय या एक ही वर्ष में केंद्र और राज्य के प्रतिनिधियों को चुनने के लिए सभी भारतीय लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान करेंगे। यही नहीं वन नेशन वन इलेक्शन के लागू होते ही नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी साथ होंगे। वर्तमान में, केंद्र सरकार का चयन करने के साथ-साथ एक नई राज्य सरकार के लिए भी लोगा मतदान करते हैं। एक देश एक चुनाव लागू होते ही संसाधनों की भी बचत होगी।

 

Atishi Marlena होंगी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री, जानिए सबकुछ

दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी होंगी। आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक में आतिशी के नाम पर मुहर लग गई है। बैठक में सीएम केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा। केजरीवाल के प्रस्ताव को सर्व सहमति से स्वीकार कर लिया गया। इसके साथ ही आतिशी बतौर सीएम दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। उनके पहले पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित इस पद पर रह चुकी हैं।

दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना आम आदमी पार्टी की सीनियर नेताओं में से एक मानी जाती हैं। आतिशी ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। आतिशी फिलहाल दिल्ली के कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उनके पास दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री के रूप में काम कर रही हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

आतिशी का जन्म 8 जून 1981 को दिल्ली में हुआ था। उनके माता-पिता, विजय सिंह और त्रिप्ता वाही, दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा स्प्रिंगडेल्स स्कूल, दिल्ली से पूरी की और फिर सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से चेवेनिंग स्कॉलरशिप पर प्राचीन और आधुनिक इतिहास में मास्टर्स किया।

राजनीतिक करियर

आतिशी ने 2012 में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान राजनीति में कदम रखा और आम आदमी पार्टी की नींव रखने वाले लोगों में शामिल रहीं। पार्टी को आज इस मुकाम तक पहुंचाने में आतिशी का बड़ा योगदान है। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। 2020 में उन्होंने कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता और विधायक बनीं। इसके बाद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद वे शिक्षा मंत्री बन गईं।

शिक्षा मंत्री बनने के बाद आतिशी ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। उन्होंने मनीष सिसोदिया के सलाहकार के रूप में भी काम किया और शिक्षा नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आतिशी वर्तमान में दिल्ली सरकार में शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री के रूप में कार्यरत हैं।

भारत और अमेरिका ऊर्जा सहयोग बढ़ाने पर विचार

भारत और अमेरिका ने ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में अपने द्विपक्षीय सहयोग को गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसका लक्ष्य न्यायसंगत और व्यवस्थित ऊर्जा परिवर्तन है। यह समझौता ह्यूस्टन में गैसटेक 2024 के दौरान भारत के केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी और अमेरिका के ऊर्जा संसाधन सहायक सचिव ज्योफ्रे पायट के बीच हुई बैठक में सामने आया। दोनों नेताओं ने अपने देशों की संस्थाओं और कंपनियों के बीच सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की, जिसमें पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

बैठक की मुख्य बातें

पुरी और पायट ने ऊर्जा सहयोग की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की और अपनी साझेदारी को और मजबूत करने के लिए रणनीतियों पर सहमति व्यक्त की। पुरी ने भारतीय और अमेरिकी संस्थानों और कंपनियों के बीच बढ़ते और गहरे होते सहयोग पर ध्यान दिया, जो ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत और विकसित होते द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाता है।

गैसटेक 2024 इनसाइट्स

पुरी ने गैसटेक 2024 में इंडिया पैवेलियन का उद्घाटन किया, जिसमें भारतीय कंपनियों की नवीनतम तकनीकी प्रगति और भविष्य के निवेश के अवसरों को प्रदर्शित किया गया। उन्होंने वैश्विक ऊर्जा गतिशीलता पर चर्चा करने वाले मंत्रिस्तरीय पैनल में भी भाग लिया, जिसमें भविष्य के ऊर्जा परिदृश्य को आकार देने में उभरते बाजारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया गया। पुरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2045 तक वैश्विक ऊर्जा मांग में लगभग 80% वृद्धि उभरती अर्थव्यवस्थाओं से आएगी, जिसके लिए ऊर्जा बुनियादी ढांचे में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होगी।

रणनीतिक स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी (SCEP)

इससे पहले, पुरी और अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रैनहोम ने वाशिंगटन, डीसी में SCEP मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की। उन्होंने भागीदारी के तहत प्रगति की समीक्षा की, जो स्वच्छ ऊर्जा नवाचार, ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और स्वच्छ ऊर्जा में बदलाव को तेज करने पर केंद्रित है। भागीदारी का उद्देश्य लचीली और विविध आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देना और स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण को बढ़ावा देना है।

 

बैंक और वित्तीय संस्थाएं 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा में 32.5 ट्रिलियन रुपये का निवेश करेंगी

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि प्रमुख बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में करीब $386 बिलियन (₹32.45 लाख करोड़) का निवेश करने का वादा किया है। वे यह बात नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) और CII द्वारा आयोजित 4th RE-Invest समिट के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।

यह वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिहाज से महत्वपूर्ण है। केंद्रीय मंत्री ने चौथे ‘विश्व नवीकरणीय ऊर्जा निवेश सम्मेलन एवं प्रदर्शनी'(री-इन्वेस्ट) के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकारों ने 520 गीगावाट क्षमता की प्रतिबद्धता जताने वाले ‘संकल्प पत्र’ दिए हैं।

विनिर्माण क्षमता की प्रतिबद्धता

उन्होंने कहा कि विनिर्माताओं ने सौर पैनल में 340 गीगावाट, सौर सेल में 240 गीगावाट, पवन चक्की में 22 गीगावाट और इलेक्ट्रोलाइज़र में 10 गीगावाट की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता की प्रतिबद्धता जताई है। जोशी ने कहा कि 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा ग्रिड में कुल 32.45 लाख रुपये की निवेश प्रतिबद्धता जताई गई है।

उन्होंने कहा कि नवीन एवं पर्यावरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने उद्योग मंडल सीआईआई के साथ मिलकर इस सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें 7,000 से अधिक लोगों ने शिरकत की। इसमें करीब 100 कंपनियों ने हिस्सा लिया।

जोशी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए जर्मन और डेनमार्क के राजनियकों के साथ हुए व्यापक विचार-विमर्श के बारे में भी बताया। उन्होंने दुनिया भर में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक भारत-जर्मन मंच की शुरुआत के बारे में भी जानकारी दी।

छह गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ी

उन्होंने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में अपने मंत्रालय की प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि जून-अगस्त 2024 के दौरान 4.5 गीगावाट के लक्ष्य से अधिक छह गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ी है। केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि इस क्षमता में वृद्धि के साथ स्वच्छ ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता 207.76 गीगावाट तक पहुंच गई।

केंद्र ने प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर्स से ई-श्रम पोर्टल पर श्रमिकों को पंजीकृत करने को कहा

भारत सरकार ने अनिवार्य कर दिया है कि प्लेटफ़ॉर्म एग्रीगेटर खुद को और अपने गिग वर्कर्स को ई-श्रम पोर्टल पर शामिल करें, यह पहल असंगठित श्रमिकों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है। सामाजिक कल्याण लाभों तक श्रमिकों की पहुँच सुनिश्चित करने और लाभार्थियों की सटीक रजिस्ट्री बनाए रखने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है।

ई-श्रम पोर्टल का उद्देश्य

ई-श्रम पोर्टल एक राष्ट्रव्यापी डेटाबेस के रूप में कार्य करता है जिसे असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस पोर्टल पर पंजीकरण करके, श्रमिकों को एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्राप्त होगा, जो प्रमुख लाभों तक पहुँच को सक्षम बनाता है। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के साथ एक सलाह जारी की है जिसमें श्रमिकों के पंजीकरण और डेटा अपडेट सहित एग्रीगेटर्स की जिम्मेदारियों को रेखांकित किया गया है।

प्रक्रिया और दिशा-निर्देश

मंत्रालय ने कुछ एग्रीगेटर्स के साथ API एकीकरण का परीक्षण किया है और पंजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। एग्रीगेटर्स को नियमित रूप से कर्मचारी विवरण अपडेट करना आवश्यक है, जिसमें रोजगार की स्थिति और भुगतान शामिल हैं। सटीक रिकॉर्ड सुनिश्चित करने के लिए उन्हें किसी भी कर्मचारी के बाहर निकलने की तुरंत रिपोर्ट भी करनी चाहिए। पंजीकरण और तकनीकी मुद्दों में सहायता के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन (14434) स्थापित की गई है।

आगामी बैठक

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में बुधवार को एक बैठक निर्धारित है, जिसमें इस पहल पर एग्रीगेटर्स को शामिल करने और मार्गदर्शन देने का काम किया जाएगा।

गिग वर्कफोर्स सांख्यिकी

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का गिग वर्कफोर्स 2020-21 में 77 लाख से बढ़कर 2029-30 तक 2.35 करोड़ हो जाने का अनुमान है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2029-30 तक गिग वर्कर्स के गैर-कृषि कार्यबल का 6.7% हिस्सा बनने की उम्मीद है। गिग वर्कर्स को प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स में वर्गीकृत किया जाता है, जो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करते हैं, और नॉन-प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स, जो कैजुअल वेज वर्कर हैं।

अगस्त में थोक मुद्रास्फीति घटकर 1.31 प्रतिशत पर

थोक मूल्य मुद्रास्फीति जुलाई के 2.04 प्रतिशत की तुलना में अगस्त में घटकर 1.31 प्रतिशत रह गई। सरकार ने इसके आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के अनुसार कमोडिटी और खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण थोक मुद्रास्फीति चार महीनों में पहली बार 2 प्रतिशत से नीचे आ गई। 17 सितम्बर को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की थोक मुद्रास्फीति अगस्त माह में घटकर 1.31 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछले महीने यह 2.04 प्रतिशत थी।

खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों, दालों और अनाजों में स्थिर मुद्रास्फीति और सेवा क्षेत्र की मुद्रास्फीति में वृद्धि ने उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों के इजाफे में योगदान दिया। अगर कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा स्तरों पर बनी रहीं तो थोक मुद्रास्फीति में और गिरावट आने की संभावना है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में जुलाई में 2.04 प्रतिशत थी। अगस्त 2023 में यह (-) 0.46 प्रतिशत रही थी।

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति

आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अगस्त में 3.11 प्रतिशत रही, जबकि जुलाई में यह 3.45 प्रतिशत थी। सब्जियों की कीमतों में अगस्त में 10.01 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि जुलाई में यह 8.93 प्रतिशत थी।

आलू और प्याज की मुद्रास्फीति अगस्त में क्रमश: 77.96 प्रतिशत और 65.75 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही। ईंधन और बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति जुलाई में 1.72 प्रतिशत के मुकाबले अगस्त में 0.67 प्रतिशत रही।

नीतिगत दर लगातार नौवीं बार यथावत

पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण अगस्त में 3.65 प्रतिशत रही। यह जुलाई के 3.60 प्रतिशत से अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। आरबीआई ने अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को लगातार नौवीं बार 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा था।