
‘Basu Chatterji: और मिडिल-ऑफ-द-रोड सिनेमा’ नामक एक नई किताब रिलीज हुई है, जो भारतीय फिल्म निर्देशक बासु चटर्जी के जीवन और समय को वर्णित करती है। इस किताब का लेखक अनिरुद्ध भट्टाचार्य हैं, जो एक पुरस्कार विजेता लेखक हैं, और इसे पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (PRHI) द्वारा प्रकाशित किया गया है। यह किताब पाठकों को ‘चितचोर’, ‘सारा आकाश’, ‘खट्टा मीठा’ और ‘बातों बातों में’ जैसी कुछ यादगार फिल्मों के पीछे ले जाती है। इसमें चटर्जी की फिल्म निर्माण शैली और उनकी फिल्मों के निर्माण के सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ के बारे में जानकारी दी गई है।
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पुस्तक का सार:
यह पुस्तक चैटर्जी के फिल्म निर्माण के प्रति एक व्यापक विश्लेषण, उनके प्रभाव और उन्होंने भारतीय सिनेमा पर क्या प्रभाव डाला है का विवरण प्रदान करती है। इसके अलावा, यह भारत में 1970 के दशक में मिडिल-ऑफ-द-रोड सिनेमा के उदय के सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ का भी विश्लेषण करती है। यह पुस्तक पाठकों को चटर्जी की कुछ सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों के पर्दे के पीछे की यात्रा पर ले जाती है, जिसमें ‘चितचोर’, ‘सारा आकाश’, ‘खट्टा मीठा’ और ‘बैटन बैटन में’ शामिल हैं। चटर्जी की फिल्मों के विस्तृत विश्लेषण के माध्यम से, पुस्तक फिल्म निर्माण के लिए उनके अद्वितीय दृष्टिकोण और सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है जिसमें उनकी फिल्में बनाई गई थीं। पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित यह किताब बासु चटर्जी के प्रशंसकों और भारतीय सिनेमा में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए जरूर पढ़ी जानी चाहिए।



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