1 नवंबर 2024 को समाप्त पखवाड़े में जमा वृद्धि (11.83%) और ऋण वृद्धि (11.9%) लगभग समान हो गई, जो पिछले वर्षों में ऋण वृद्धि के लगातार जमा वृद्धि से अधिक रहने के ट्रेंड में बदलाव का संकेत देती है। मार्च 2022 के बाद से क्रेडिट वृद्धि और जमा वृद्धि के बीच का अंतर 700 आधार अंक तक पहुंच गया था। यह बदलाव भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियामक उपायों और कुछ क्षेत्रों, जैसे असुरक्षित ऋण और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs), में क्रेडिट वृद्धि के धीमे होने का परिणाम है।
मुख्य कारक: जमा और ऋण वृद्धि में बदलाव
1. क्रेडिट वृद्धि में कमी
- RBI ने असुरक्षित ऋण और NBFC को दिए गए ऋणों पर अधिक जोखिम भार लागू किया है।
- ऋण-जमा अनुपात (LDR) को कम करने के निर्देशों ने बैंकों को अधिक सतर्क बनाया है।
- इससे ऋण वृद्धि धीमी हो गई है, जो अब जमा वृद्धि के करीब आ गई है।
2. एचडीएफसी बैंक का योगदान
- भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक, एचडीएफसी बैंक ने अपने उच्च LDR को कम करने के लिए ऋण वृद्धि को धीमा कर दिया है, जिससे क्रेडिट वृद्धि में और कमी आई है।
विशेषज्ञों की राय: क्रेडिट और जमा वृद्धि पर दृष्टिकोण
1. क्रेडिट वृद्धि का परिदृश्य
- विशेषज्ञों के अनुसार, क्रेडिट वृद्धि धीमी हुई है, लेकिन FY25 की चौथी तिमाही में इसमें तेजी आने की संभावना है।
- FY25 के लिए क्रेडिट वृद्धि का अनुमान लगभग 15% है।
2. जमा वृद्धि का परिदृश्य
- जमा वृद्धि स्थिर बनी हुई है, जिसमें निजी बैंकों ने नेतृत्व किया है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बढ़ते LDR प्रबंधन के लिए जमा जुटाने पर अधिक ध्यान देना होगा।
भविष्य के रुझान और अनुमान
1. Q4 में संभावित तेजी
- वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में ऋण की मांग में मौसमी वृद्धि के कारण, क्रेडिट वृद्धि के जमा वृद्धि से आगे निकलने की उम्मीद है।
2. बैंकिंग रणनीतियां
- निजी क्षेत्र के बैंक जमा संग्रहण में अग्रणी रहेंगे, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को LDR प्रबंधन में तेजी लाने की आवश्यकता होगी।