
14वीं भारत-वियतनाम रक्षा नीति वार्ता नई दिल्ली में आयोजित की गई, जिसमें द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। मुख्य चर्चाओं में साइबर सुरक्षा और सैन्य चिकित्सा जैसे नए सहयोग क्षेत्रों पर चर्चा की गई, जिसका समापन प्रशिक्षण आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए आशय पत्र पर हस्ताक्षर करने के साथ हुआ।
बैठक का विवरण
गुरुवार को आयोजित इस वार्ता की सह-अध्यक्षता रक्षा सचिव गिरिधर अरामने और वियतनाम के राष्ट्रीय रक्षा उप मंत्री सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल होआंग जुआन चिएन ने की। बैठक में जून 2022 में ‘2030 की दिशा में भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर संयुक्त विजन वक्तव्य’ पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से हुई प्रगति की समीक्षा की गई।
प्रस्ताव और समझौते
वियतनाम ने रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए पांच प्रमुख क्षेत्रों का प्रस्ताव रखा:
- प्रतिनिधिमंडलों का आदान-प्रदान और संवाद
- कर्मचारी वार्ता
- सेवा-से-सेवा सहयोग
- शिक्षा और प्रशिक्षण
- रक्षा उद्योग सहयोग
बैठक के बाद, प्रशिक्षण में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें प्रशिक्षकों और विशेषज्ञों का आदान-प्रदान शामिल है।
सहयोग के उभरते क्षेत्र
भारत ने निम्नलिखित उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव रखा:
- साइबर सुरक्षा
- सूचना सुरक्षा
- सैन्य चिकित्सा
- पनडुब्बी खोज और बचाव
रक्षा सचिव अरामाने ने वियतनाम की सशस्त्र सेनाओं की क्षमता और योग्यता वृद्धि में सहायता के लिए भारत के घरेलू रक्षा उद्योग की क्षमता पर जोर दिया।
सामरिक महत्व
रक्षा सहयोग भारत और वियतनाम के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी का आधार बना हुआ है। वियतनाम भारत की एक्ट ईस्ट नीति में एक प्रमुख साझेदार है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।



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