वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत की GDP वृद्धि का अनुमान FY26 के लिए बढ़ाकर 7.4% कर दिया है, जो पहले 6.9% था। यह सुधार मजबूत उपभोक्ता मांग, बेहतर आर्थिक भावना और हालिया जीएसटी सुधारों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है। यह संशोधन 4 दिसंबर 2025 को जारी फिच की ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में किया गया। यह सुधार ऐसे समय आया है जब भारत की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में जीडीपी वृद्धि 8.2% रही — जो छह तिमाहियों में सबसे तेज़ दर है।
निजी खपत बनी वृद्धि की मुख्य शक्ति
फिच ने कहा कि इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख आधार निजी उपभोक्ता व्यय है, जिसे समर्थन मिला है:
-
वास्तविक आय (रियल इनकम) में सुधार
-
उपभोक्ता भावना में मज़बूती
-
हालिया जीएसटी सुधारों के सकारात्मक प्रभाव
इन कारणों से, खासकर शहरी बाज़ारों में मांग में तेज़ी आई है।
हालाँकि, रिपोर्ट ने यह भी कहा कि बेस इफेक्ट और सार्वजनिक निवेश में संभावित कमी के कारण वर्ष के बाकी महीनों में वृद्धि की गति कुछ धीमी पड़ सकती है।
सांकेतिक (Nominal) बनाम वास्तविक (Real) GDP: अंतर कम हुआ
फिच की रिपोर्ट का एक अहम पहलू यह रहा कि भारत की सांकेतिक और वास्तविक जीडीपी के बीच का अंतर काफी कम हुआ है।
-
FY26 की Q2 में GDP डिफ्लेटर मात्र 0.5% रहा।
-
इसका मतलब है कि कीमतों (मुद्रास्फीति) का जीडीपी वृद्धि पर बहुत कम प्रभाव पड़ा।
यह संकेत देता है कि वृद्धि स्थिर महंगाई के बीच हो रही है, जिससे यह ज्यादा टिकाऊ और कम विकृत मानी जाती है।
FY27 का अनुमान: अधिक संतुलित वृद्धि
आगे देखते हुए, फिच का मानना है कि FY27 में भारत की वृद्धि घटकर 6.4% पर आ जाएगी, जो सामान्य संभावित वृद्धि दर के करीब है। अनुमान के अनुसार:
-
सार्वजनिक निवेश की वृद्धि धीमी पड़ेगी,
-
जबकि FY27 के दूसरे आधे में निजी निवेश बढ़ने की उम्मीद है,
-
और उपभोक्ता खर्च आर्थिक वृद्धि का बड़ा आधार बना रहेगा।
इससे संकेत मिलता है कि FY27 में आर्थिक वृद्धि सार्वजनिक-आधारित से निजी-आधारित निवेश की ओर शिफ्ट होगी।
मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण और आरबीआई की नीति
फिच का अनुमान है कि FY26 में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन सिर्फ 1.5% रहेगी। यानी बहुत कम स्तर पर।
इससे RBI को ब्याज दरें कम करने की गुंजाइश मिलती है। फिच के अनुसार:
-
दिसंबर 2025 में एक और रेट कट होगा, जिससे रेपो रेट 5.25% हो जाएगी।
-
इसके बाद दो वर्षों तक और कटौती की संभावना नहीं है।
FY27 में मुद्रास्फीति 4.4% तक बढ़ सकती है — बेस इफेक्ट और धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के कारण।
रुपया और बाहरी क्षेत्र (External Sector)
हालांकि दिसंबर 2025 की शुरुआत में रुपया $1 = ₹90.29 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर गया था, फिच को आगे केवल मामूली अवमूल्यन की उम्मीद है।
फिच का अनुमान:
-
2026 के अंत तक रुपया मजबूत होकर ₹87 प्रति डॉलर हो सकता है।
-
2027 तक भी विनिमय दर अपेक्षाकृत स्थिर रहने की संभावना है।
फिच ने यह भी बताया कि भारत के निर्यात पर अमेरिका में लगभग 35% का उच्च प्रभावी शुल्क लगता है, जो बाहरी मांग को सीमित करता है।
यदि व्यापार समझौते से इन शुल्कों में कमी आती है, तो भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
मुख्य बिंदु
-
फिच ने FY26 के लिए भारत की GDP वृद्धि का अनुमान 7.4% कर दिया (पहले 6.9%)।
-
वृद्धि का प्रमुख कारण निजी उपभोक्ता मांग और जीएसटी सुधार।
-
Q2 FY26 में GDP वृद्धि 8.2% — छह तिमाहियों में सबसे तेज़।
-
Nominal-Real GDP अंतर बहुत कम (डिफ्लेटर सिर्फ 0.5%)।
-
FY27 का अनुमान 6.4%, अधिक संतुलित आर्थिक वृद्धि।
-
FY26 में मुद्रास्फीति 1.5%, FY27 में 4.4%।
-
2026 के अंत तक रुपया ₹87 प्रति डॉलर होने का अनुमान।


भारत नेशनल अकाउंट्स बेस ईयर को 2022-23 म...
भारत का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक अक्टूबर...
वैश्विक मंच पर भारतीय कॉफी का उदय...

