Home   »   पारसी नव वर्ष 2022: इतिहास और...

पारसी नव वर्ष 2022: इतिहास और महत्व

पारसी नव वर्ष 2022: इतिहास और महत्व |_3.1

पारसी नववर्ष यानी नवरोज (Navroz) का पर्व इस साल आज मनाया जा रहा है। फ़ारसी में ‘नव’ और ‘रोज़’ शब्द का मतलब होता है कि ‘नया’ और ‘दिन’। नवरोज को जमशेदी नवरोज, नौरोज, पतेती नाम से भी जानते हैं। हिंदी कैलेंडर के अनुसार, दुनियाभर में नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है। वहीं हिंदू धर्म में नया साल चैत्र मास में मनाया जाता है। उसी तरह पारसी कैलेंडर के अनुसार, नवरोज आज के दिन मनाया जाता है। 

Buy Prime Test Series for all Banking, SSC, Insurance & other exams

पारसी नव वर्ष 2022: इतिहास

नवरोज करीब पिछले 30 हजार सालों से पारसी समुदाय के द्वारा मनाया जा रहा है। यह उत्सव फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं। माना जाता है कि योद्धा जमशेद ने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। इसके साथ ही उन्होंने इस दिन सिंहासन ग्रहण किया था। इस कारण इस दिन को बड़े ही धूमधाम तरीके से हर साल मनाया जाता है। पारसी नव वर्ष समारोह जमशेद-ए-नौरोज के नाम से भी प्रसिद्ध है। पेरिस के लोग फारस के मूल निवासी हैं, उनका धर्म पारसी है। इसकी खोज जरथुस्त्र ने फारस में ही की थी। पारसी नव वर्ष समारोह जमशेद-ए-नौरोज के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसका नाम फारस के राजा जमशेद के नाम पर रखा गया है, उन्होंने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी।

नवरोज का महत्व

इस दिन पारसी समुदाय के लोग जल्दी उठकर तैयार हो जाते हैं और तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं और अपने दोस्तों और करीबियों को बांटते है। इसके साथ ही एक-दूसरे को गिफ्ट्स भी देते हैं। माना जाता है कि नवरोज के दिन गिफ्ट्स को देने के साथ राजा जमशेद की पूजा करने से घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।

Find More Important Days Here

World Day for International Justice 2022 observed on July 17_90.1