रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राजस्थान के जोधपुर में उनकी 385वीं जयंती पर “वीर दुर्गादास राठौड़” की प्रतिमा का अनावरण किया। रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर वीर दुर्गादास राठौड़ को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें सामाजिक सद्भाव, ईमानदारी, बहादुरी और भक्ति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि जाति या धर्म के बावजूद लोगों को वीर दुर्गादास राठौड़ से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने समाज में विभाजनकारी तत्वों के खिलाफ शांति और सद्भाव के लिए प्रयास किया।
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कौन हैं वीर दुर्गादास राठौड़?
- 17वीं शताब्दी में महाराजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद वीर दुर्गादास राठौड़ ने अकेले दम पर मारवाड़ (जोधपुर) पर राठौड़ वंश के शासन को बनाए रखा।
- दुर्गा दास राठौड़ (13 अगस्त 1638 – 22 नवम्बर 1718) को 17वीं सदी में जसवंत सिंह के निधन के पश्चात् मारवाड़ में राठौड़ वंश को बनाये रखने का श्रेय जाता है। यह करने के लिए उन्हें मुग़ल शासक औरंगज़ेब को चुनौती दी।
- उनके पिता आसकरण राठौड़ महाराजा जसवंत सिंह के मंत्री थे। उन्हें विशेष सैन्य का दर्ज़ा मिला हुआ था। मां का नाम नेतकँवर बाई था। दुर्गादास का पालन पोषण लुनावा नाम के गाँव में हुआ था।
- 22 नवंबर 1718 को शिप्रा के तट पर उज्जैन, दुर्गादास की 81 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई, लाल पत्थर में उनकी छतरी अभी भी चक्रतीर्थ, उज्जैन में है, जो सभी स्वतंत्रता सेनानियों और राजपूतों के लिए तीर्थ है।




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