विश्व हेपेटाइटिस दिवस 28 जुलाई को हर साल पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का मकसद लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है। यह दिन हेपेटाइटिस पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को आगे बढ़ाने, व्यक्तियों, भागीदारों और जनता द्वारा कार्यों और जुड़ाव को प्रोत्साहित करने और डब्ल्यूएचओ की 2017 की ग्लोबल हेपेटाइटिस रिपोर्ट में उल्लिखित अधिक वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता को उजागर करने का एक अवसर है।
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आंकड़े बताते हैं कि हेपेटाइटिस के चलते पूरी दुनिया में हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। लगातार गंभीर हो रही इस बीमारी को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने साल 2030 तक इसे खत्म करने का लक्ष्य रखा है। यही वजह है कि इस बीमारी को लेकर लोगों में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता बढ़ाई जा रही है क्योंकि जानकारी के अभाव के चलते ज्यादातर लोग इस बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं।
वर्ल्ड हेपिटाइटिस डे थीम 2022
हर साल ये दिन एक थीम के साथ मनाया जाता है। साल 2022 में वर्ल्ड हेपिटाइटिस डे की थीम रखी गई है ‘आई कांट वेट’। इस थीम के पीछे का मकसद यही है कि अब बैठ कर इंतजार नहीं करना है बल्कि साल 2030 तक इस बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकना है।
वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे का इतिहास
वर्ल्ड हेपिटाइटिस डे 28 जुलाई को नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ बारूक ब्लमबर्ग के जन्मदिन पर उन्हें सम्मानित करने हेतु मनाया जाता है। उन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) की खोज की। डॉ बारूक ने ही हेप-बी वायरस के इलाज के लिए एक डायगोनस्टिक टेस्ट और वैक्सीन को डेवलप किया था। ये वर्ल्ड लेवल का अवेयरनेस मिशन है जिसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने वर्ल्ड वाइड हेपेटाइटिस फ्री बनाने हेतु एक मिशन के रूप में शुरू किया है। साल 2008 में, पहली बार वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया गया था।