भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 2015 के ‘डार्क फाइबर’ मामले में भारी जुर्माना लगाया है, जिसमें कुछ दलालों ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर का फायदा उठाते हुए अपनी कॉलोकेशन (कोलो) सुविधाओं के लिए तेजी से कनेक्टिविटी प्राप्त की है।बाजार नियामक ने एनएसई पर 7 करोड़ रुपये और पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
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इस मामले में, कुल 18 संस्थाओं पर जुर्माना लगाया गया। इसने समूह के पूर्व संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम और वर्तमान मुख्य व्यवसाय विकास अधिकारी रवि वाराणसी पर भी 5-5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इंटरनेट सेवा प्रदाता संपर्क इंफोटेनमेंट को 3 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा गया है। ऑनलाइन ट्रेडिंग फर्म वे2वेल्थ और जीकेएन सिक्योरिटीज को भी क्रमश: 6 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये का जुर्माना देने को कहा गया है।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण टेकअवे:
- सेबी की स्थापना: 1988;
- सेबी अधिनियम: 1992;
- सेबी का मुख्यालय: मुंबई, महाराष्ट्र;
- सेबी की पहली महिला अध्यक्ष: माधाबी पुरी बुच (वर्तमान);
- सेबी को 1992 में नरसिम्हम समिति की सिफारिश पर वैधानिक मान्यता दी गई थी।