प्रतिष्ठित संस्कृत और हिंदी विद्वान तथा पद्म श्री धारक डॉ. रमा कांत शुक्ला का निधन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हो गया है। उनका जन्म यूपी के बुलंदशहर जिले के खुर्ज़ा शहर में हुआ था। डॉ. रमा कांत शुक्ला दिल्ली में देववाणी परिषद के संस्थापक और महासचिव थें, और संस्कृत में एक त्रैमासिक पत्रिका “अरवासिनसंस्कृतम” के संस्थापक अध्यक्ष और संपादक थें। साहित्यिक और संस्कृत संगठनों द्वारा उन्हें संस्कृत राष्ट्रकवि, कविरत्न और कवि सिरोमणि की उपाधियों से सम्मानित किया गया था।
पुरस्कार (Awards):
- भारत सरकार ने उन्हें साहित्य और शिक्षा के लिए 2013 में पद्म श्री से सम्मानित किया।
- वर्ष 2009 में, उन्हें संस्कृत श्रेणी के तहत राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- उन्हें कविता “मामा जननी (Mama Janani)” के लिए संस्कृत श्रेणी के तहत 2018 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला है।
- उन्हें यूपी सरकार के राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है; संस्कृत राष्ट्रकवि; कालिदास सम्मान; दिल्ली संस्कृत अकादमी के अखिल भारतीय मौलिक संस्कृत रचना पुरस्कार, संस्कृत समरधक पुरस्कार, और अन्य का सम्मान प्राप्त है।
पुस्तकें: उन्होंने कविता की कई पुस्तकें लिखी हैं, और संस्कृत ग्रंथों और इंडोलॉजी का अध्ययन किया है।