प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और गांधीवादी, सुंदरलाल बहुगुणा (Sunderlal Bahuguna) का निधन हो गया है. वह 94 वर्ष के थे. पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी, श्री बहुगुणा ने 1980 के दशक में हिमालय में बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ आरोप का नेतृत्व किया था. वह टिहरी बांध के निर्माण का घोर विरोध कर रहे थे.
टिहरी गढ़वाल में अपने सिलियारा आश्रम में दशकों तक रहने वाले बहुगुणा ने पर्यावरण के प्रति अपने जुनून में कई युवाओं को प्रेरित किया. उनका आश्रम युवा लोगों के लिए खुला था, जिनसे वे आसानी से संवाद करते थे.
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बहुगुणा ने स्थानीय महिलाओं के साथ मिलकर सत्तर के दशक में पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए चिपको आंदोलन की स्थापना की. आंदोलन की सफलता ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील वन भूमि में पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून बनाया. उन्होंने चिपको का नारा भी गढ़ा: ‘पारिस्थितिकी स्थायी अर्थव्यवस्था है (ecology is the permanent economy)’.