केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने COVID-19 महामारी के बीच प्रधानमंत्री द्वारा घोषित “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत आर्थिक राहत पैकेज की कड़ी में कुछ और राहत उपायों को जोड़ते हुए तीसरे चरण के कदमों की विस्तार से जानकारी साझा की है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मुख्य उद्देश्य से की गई यह दूसरी घोषणा 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ही हिस्सा है।
“आत्मनिर्भर भारत अभियान” के तहत जारी आर्थिक राहत पैकेज के तीसरे चरण को कृषि और कृषि से संबंधित गतिविधियों जैसे कि मत्स्य पालन, डेयरी और पशुपालन क्षेत्र को समर्पित किया गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण सेक्टरों के लिए कृषि अवसंरचना लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने, क्षमता निर्माण, गवर्नेंस और प्रशासनिक सुधारों के लिए अहम उपायों के तीसरे भाग की घोषणा की।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान, कहा कि इस तीसरे चरण के तहत 11 उपाय किए जाएंगे जिनमे 8 उपाय कृषि अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हैं और 3 उपाय प्रशासनिक एवं गवर्नेंस सुधारों के लिए हैं जिनमें कृषि उपज की बिक्री और स्टॉक सीमा पर प्रतिबंध हटाना भी शामिल हैं।
“आत्मनिर्भर भारत अभियान” के लिए आर्थिक राहत पैकेज के तीसरे चरण के तहत किए जाने वाले 9 उपायों से जुड़ी मुख्य विशेषताएं:-
1. किसानों के लिए कृषि द्वार (फार्म-गेट) आधारभूत ढांचे पर केन्द्रित 1 लाख करोड़ रुपये का एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड
- भारत सरकार फार्म-गेट से संबंधित क्षेत्र में पर्याप्त कोल्ड चेन और पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि जैसे मौजूद कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
- इससे फार्म-गेट एंड एग्रीगेशन पॉइंट्स को किफायती और वित्तीय रूप से व्यवहार्य पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
- 1 लाख करोड़ रुपये के इस फंड की स्थापना तत्काल की जाएगी.
2. सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना
क्योंकि अन-ऑर्गनाइज्ड माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (MFE) इकाइयों को FSSAI खाद्य मानकों को हासिल करने, ब्रांड खड़ा करने और विपणन के लिए तकनीक उन्नयन की जरूरत होती है।
- भारत सरकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों (MFE) के औपचारिकरण के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना शुरू करेगी जिससे 2 लाख MFE को लाभ मिलने की उम्मीद है.
- यह योजना क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण पर आधारित होगी और मौजूदा सूक्ष्म खाद्य उद्यमों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों के साथ-साथ सहकारी समितियों को भी समर्थन दिया जाएगा ।
- यह योजना बेहतर स्वास्थ्य भावना के मद्देनजर अनछुए निर्यात बाजारों तक पहुंचने में मदद करने के साथ-साथ यह बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों से खुदरा बाजारों के साथ-साथ आय बढ़ाने में भी सहायक होगी.
3. मछुआरों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMY)
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के माध्यम से मछुआरों के लिए 20,000 करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की है, जो समुद्री और अंतर्देशीय (इनलैंड) मछली पालन के एकीकृत, सतत और समावेशी विकास के लिए शुरू की जाएगी।
- इस 20,000 करोड़ रुपये के फंड में से, 11,000 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य और जलीय कृषि गतिविधियों के लिए किया जाएगा.
- शेष बची 9,000 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे फिशिंग हार्बर्स, कोल्ड चेन, बाजार आदि के लिए किया जाएगा.
- इसके तहत केज कल्चर, समुद्री शैवाल की खेती, सजावटी मछलियों के साथ नए मछली पकड़ने के जहाज, ट्रेसेलिबिलिटी (पता लगाने), प्रयोगशाला नेटवर्क आदि को बढ़ावा दिया जाएगा.
- मछुआरों को बैन पीरियड (जिस अवधि में मछली पकड़ने की अनुमति नहीं होती है) सपोर्ट, व्यक्तिगत और नौका बीमा के प्रावधान किए जाएंगे.
- इससे 5 साल में 70 लाख टन अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा, 55 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1,00,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच जाएगा.
4. राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Animal Disease Control Programme)
- खुरपका मुंहपका रोग (Foot and Mouth Disease-FMD) और ब्रुसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम 13,343 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शुरू किया गया.
- यह कार्यक्रम खुरपका मुंह पका रोग और ब्रुसेलोसिस के लिए मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर की आबादी (कुल 53 करोड़ पशुओं) का 100 प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरु किया गया.
- अब तक, 1.5 करोड़ गायों और भैंसों को टैग किया गया है और उन्हें टीके लगाए जा चुके हैं.
5. पशुपालन क्षमता निर्माण के लिए
भारत सरकार द्वारा डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य वर्धन और पशु चारा बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 15,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई गई है।
- भारत सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये के पशुपालन अवसंरचना विकास कोष की स्थापना का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और पशु चारा बुनियादी ढांचे में निजी निवेश का समर्थन करना है.
- इसके अलावा सरकार द्वारा पनीर, प्रसंस्कृत दूध, दूध पाउडर, क्रीम जैसे उत्पादों के निर्यात के लिए संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन भी किया जाएगा.
6. औषधीय अथवा हर्बल खेती को प्रोत्साहन
- भारत सरकार ने अगले दो वर्षों में हर्बल खेती के तहत 10,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने के लिए 4000 करोड़ रुपये आवंटित करने का निर्णय लिया है।
- राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (National Medicinal Plant Board) ने 2.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में औषधीय पौधों की खेती को सहायता प्रदान की है।
- इससे किसानों के लिए लगभग 5000 करोड़ रुपये की आय होगी.
- एनएमपीबी गंगा के किनारे 800 हैक्टेयर क्षेत्र में गलियारा विकसित कर औषधीय पौधे लगाएगा.
- औषधीय पौधों के लिए क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।
7. मधुमक्खी पालन संबंधी पहल
- भारत सरकार ने 2 लाख मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ाने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना की घोषणा की है और जिससे उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शहद उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी.
- इसे परागण के माध्यम से फसलों की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है, जो शहद और मोम जैसे अन्य मधुमक्खी उत्पाद भी प्रदान करेगा.
- सरकार एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों, संग्रह, विपणन और भंडारण केंद्रों, पोस्ट हार्वेस्ट और मूल्य वर्धन सुविधाओं आदि से संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास के लिए एक योजना लागू करेगी.
- इससे मानकों का कार्यान्वयन और ट्रेसबिलिटी सिस्टम का विकास; और क्वालिटी नूक्लीअस स्टॉक और मधुमक्खी पालकों का विकास भी किया जाएगा.
- इससे महिलाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ क्षमता निर्माण भी होगा।
8. (टमाटर, प्याज और आलू) ‘टॉप’ से ‘टोटल’ (सम्पूर्ण) तक
- भारत सरकार ने “ऑपरेशन ग्रीन्स” को टमाटर, प्याज और आलू (TOP) से लेकर सभी फलों और सब्जियों (TOTAL) तक विस्तारित करने का निर्णय लिया है। इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
- यह योजना अगले 6 महीनों के लिए पायलट परियोजना के आधार पर चलाई जाएगी और जिसे आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जाएगा.
- यह योजना कोल्ड स्टोरेज सहित सरप्लस से घाटे वाले बाजारों में परिवहन पर 50% सब्सिडी, भंडारण पर 50% सब्सिडी प्रदान करेगी
- इससे किसानों को बेहतर कीमत की प्राप्ति होगी, बर्बादी में कमी आएगी, उपभोक्ताओं को किफायती उत्पाद मिलेंगे.
इसके अलावा अपने संबोधन के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए शासन और प्रशासनिक सुधार के लिए भी निम्नलिखित घोषणाए की
9. आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन
- आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में लागू किया गया था। भारत सरकार ने किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करने का निर्णय लिया है। यह निवेश को आकर्षित करने और कृषि क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बनाने के द्वारा किया जाएगा।
- अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू सहित कृषि खाद्य पदार्थों को नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा.
- असाधारण परिस्थितियों में ही स्टॉक की सीमा पर प्रतिबंध लगाई जाएगी जैसे राष्ट्रीय आपदा, कीमतों में वृद्धि के साथ अकाल जैसी स्थिति के लिए। इसके अलावा, ऐसी कोई स्टॉक सीमा संसाधक या मूल्य श्रृंखला के भागीदारों पर लागू नहीं होगी.
10. कृषि विपणन सुधार
- भारत सरकार ने किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज को बेचने के लिए पर्याप्त विकल्प प्रदान करने के लिए तथा निर्बाध अंतरराज्यीय व्यापार, और कृषि उत्पादों की ई-ट्रेडिंग के लिए एक रूपरेखा के लिए केंद्रीय कानून बनाने का फैसला किया है.
11. कृषि उपज मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता का आश्वासन
- सरकार किसानों को उचित और पारदर्शी तरीके से संसाधकों, समूहकों, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाने के लिए, एक सुविधाजनक कानूनी संरचना तैयार का निर्णय लिया है।
- इस कानूनी संरचना में किसानों के लिए जोखिम में कमी, सुनिश्चित रिटर्न और गुणवत्ता मानकीकरण शामिल होंगे.