भारत सरकार ने मध्य प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (eco-sensitive zone – ESZ) घोषित किया है। गंगा डॉल्फ़िन का घर कहे जाने वाला और अत्यंत लुप्तप्राय घड़ियाल के लिए प्रसिद्ध इस अभयारण्य में घड़ियालों की कुल 75 प्रतिशत आबादी पाई जाती है। साथ ही यहां प्रवासी पक्षियों औरताजा पानी में पायी जाने वाली गंगा डॉल्फिन की लगभग 180 प्रजातियों भी पाई जाती है।
इको-सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने के बाद अब यहां रिसॉर्ट्स, होटल या अन्य किसी आवासीय और औद्योगिक भवनों के निर्माण पर प्रतिबंध होगा। ये अभयारण्य विंध्य रेंज से शुरू होकर चंबल नदी और यमुना नदी तक फैला हुआ है। यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी कई किलोमीटर तक फैला हुआ है।
इको-सेंसिटिव जोन क्या है?
इको-सेंसिटिव जोन, पारिस्थितिकी रूप संवेदनशील या कमजोर संरक्षित क्षेत्र हैं जो “शॉक एब्जॉर्बर” के रूप में कार्य करते हैं। साथ ही ये राष्ट्रीय उद्यानों तथा वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास दस किलोमीटर के अंदर आने वाले क्षेत्र हैं। ये पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों को इको-सेंसिटिव जोन घोषित करने का मुख्य उद्देश्य इनके आस-पास निर्माण और औधोगिक संबंधी गतिविधियों प्रतिबंधित करना है।