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अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस: 2 अक्टूबर

 

अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस: 2 अक्टूबर |_3.1

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता और अहिंसा के दर्शन और रणनीति के अग्रणी महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर, 2 अक्टूबर को मनाया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय दिवस “शिक्षा और जन जागरूकता के माध्यम से अहिंसा के संदेश को प्रसारित करने” का एक अवसर है. इस दिन को भारत में गांधी जयंती के रूप में जाना जाता है.

इतिहास 

15 जून 2007 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में स्थापित करने के लिए स्वीकृत किया. वर्ष 2020 में वैश्विक शांति आइकन की 151 वीं जयंती है, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.

महात्मा गांधी का जीवन और नेतृत्व 

गांधी, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में मदद की, दुनिया भर में नागरिक अधिकारों और सामाजिक परिवर्तन के लिए अहिंसक आंदोलनों के लिए प्रेरणा रहे हैं. अपने पूरे जीवन में, गांधी दमनकारी परिस्थितियों और बड़ी चुनौतियों में भी अहिंसा के प्रति अपने विश्वास के लिए प्रतिबद्ध रहे.

उनके कार्यों के पीछे का सिद्धांत, जिसमें 1930 के ऐतिहासिक नमक मार्च के साथ ब्रिटिश कानून के लिए बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा को प्रोत्साहित करना शामिल था, वह यह था कि “जस्ट मीन्स लीड टू जस्ट एंड्स (just means lead to just ends)”; अर्थात्, शांतिपूर्ण समाज को प्राप्त करने के लिए हिंसा का उपयोग करने का प्रयास करना तर्कहीन है. उनका मानना था कि भारतीयों को उपनिवेशवाद से आजादी की लड़ाई में हिंसा या नफरत का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

महात्मा गाँधी द्वारा लिखी गई कुछ पुस्तकें हैं:

  • द स्टोरी ऑफ़ मई एक्सपेरिमेंट विथ ट्रुथ 
  • द मोरल बेसिस ऑफ़ वेजिटेरियनिस्म 
  • पीस: द वर्ड्स एंड इंस्पिरेशन ऑफ़ महात्मा गाँधी (मी-वी)

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