गिद्धों की तेजी से विलुप्त हो रही प्रजाति को संरक्षित करने के लिए विश्व का पहला जटायु एशियाई किंग गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र उत्तर प्रदेश के महराजगंज में स्थापित किया गया। उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में जयति संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र की स्थापना की जा चुकी है। यह विश्व का पहला जटायु एशियाई किंग गिद्ध संरक्षण केंद्र है।
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जटायु संरक्षण केंद्र मुख्यतः गिद्धों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया है। जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र महाराजगंज का कार्य समाप्त हो चुका है। जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र का उद्घाटन किया जाएगा। एशियाई किंग गिद्ध एक तेज गति से विलुप्त हो रही प्रजाति है। इसका संरक्षण वन्य संरक्षण जीव अधिनियम, 1972 के तहत किया जाता है। इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को वन क्षेत्र या केंद्र सरकार द्वारा चिन्हित किसी भी ऐसे क्षेत्र से किसी भी पौधे (जीवित अथवा मृत) को जानबूझकर तोडना, नुकसान पहुँचाना, उखाड़ना, एकत्र करना, बेचना या स्थानांतरित करने से रोकता है।
जटायु गिद्ध एवं प्रजनन केंद्र गोरखपुर वन्य क्षेत्र के अंतर्गत 1.5 हेक्टेर का क्षेत्र है । इसे लगभग 15 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है। विलुप्त हो रही गिद्दो की इस प्रजाति के संरक्षण के लिए इस संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के स्थापना करि गयी है। इस संरक्षण केंद्र में गिद्ध के लिए विभिन्न पिंजड़े बनाए गए हैं। गिद्धों के लिए एक अस्पताल की स्थापना भी की गई है जिससे बीमार गिद्धों का जल्द से जल्द इलाज हो सके। किशोर की दो के लिए एक नर्सरी की स्थापना की गई है जिससे वह प्रशिक्षक के साथ मिलकर अपनी जाति का रहन सहन सीख सकें।
एशियाई किंग गिद्ध मुख्यता उत्तर भारत में पाई जाने वाली चिड़िया है। वर्ष 2004 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा गिद्ध की इस प्रजाति को लगभग विलुप्त की श्रेणी में रखा गया था। वर्ष 2007 में आइयूसीएन द्वारा लगभग श्रेणी से इसे गंभीर खतरे की श्रेणी में रखा गया।
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