हर साल 7 जुलाई को दुनिया भर में विश्व स्वाहिली भाषा दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य स्वाहिली भाषा के महत्व को सम्मान देना है, जो पूर्वी अफ्रीका में व्यापक रूप से बोली जाती है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने वर्ष 2022 में इस दिवस की घोषणा की थी, ताकि स्वाहिली को एकता, संवाद और संस्कृति का शक्तिशाली माध्यम माना जा सके। यह पहली अफ्रीकी भाषा है जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस प्रकार की वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है।
स्वाहिली, जिसे स्थानीय रूप से किस्वाहिली भी कहा जाता है, अफ्रीका की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है, जिसे 20 करोड़ से अधिक लोग, मुख्यतः द्वितीय भाषा के रूप में उपयोग करते हैं। इसकी उत्पत्ति पूर्वी अफ्रीका के समुद्री तट पर एक व्यापारिक भाषा के रूप में हुई थी, खासकर केन्या, तंज़ानिया, युगांडा, और मैडागास्कर के उत्तरी हिस्सों में।
स्वाहिली भाषा में कई अरबी शब्द शामिल हैं, क्योंकि 15वीं शताब्दी से अरबी व्यापारियों का स्थानीय बंटू समुदायों से संपर्क बढ़ा। ‘Swahili’ शब्द भी अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “तटवासी” या “तट से संबंधित“।
7 जुलाई 1954 को जूलियस नायरेरे (जो बाद में तंज़ानिया के पहले राष्ट्रपति बने) ने स्वाहिली को एकता की भाषा के रूप में अपनाया, ताकि लोग उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष में संगठित हो सकें। जॉमो केन्याटा, केन्या के पहले राष्ट्रपति ने भी स्वाहिली का उपयोग लोगों को एकजुट करने के लिए किया। उनका प्रसिद्ध नारा “हरमबी (Harambee)”, जिसका अर्थ है “मिलकर खींचना”, केन्याई आज़ादी के संघर्ष का प्रतीक बना।
इन नेताओं का मानना था कि स्वाहिली भाषा विभाजन खत्म कर अफ्रीकी देशों में सामूहिकता और राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे सकती है।
2022 में, UNESCO ने आधिकारिक रूप से 7 जुलाई को “विश्व स्वाहिली भाषा दिवस” घोषित किया। यह पहली बार था जब किसी अफ्रीकी मूल की भाषा को इस प्रकार की वैश्विक मान्यता मिली। इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र केवल अपनी छह आधिकारिक भाषाओं — अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश, रूसी, अरबी और चीनी — के लिए ही दिवस मनाता था।
यह घोषणा यह दर्शाती है कि अफ्रीकी भाषाओं और संस्कृतियों का भी वैश्विक महत्व है और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए।
विश्व स्वाहिली भाषा दिवस केवल एक भाषा का उत्सव नहीं है, बल्कि यह अफ्रीकी संस्कृति, पहचान और गर्व का प्रतीक भी है। यह लोगों को स्वाहिली सीखने, बोलने और सम्मान देने के लिए प्रेरित करता है। यह दिवस एक स्मरण है कि भाषाएं केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि एक समुदाय की आत्मा होती हैं।
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