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विश्व ग्रामीण विकास दिवस 2025: इतिहास और महत्व

संयुक्त राष्ट्र ने 6 जुलाई को पहली बार विश्व ग्रामीण विकास दिवस मनाया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने के महत्व को उजागर करना है। यह दिवस दुनिया का ध्यान गरीबी, भूख, कमजोर बुनियादी ढांचे और डिजिटल पहुंच की कमी जैसे मुद्दों की ओर आकर्षित करता है, जिनका सामना ग्रामीण समुदायों को करना पड़ता है। साथ ही, यह अपील करता है कि दूर-दराज और उपेक्षित इलाकों में रहने वाले लोगों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाए, ताकि कोई पीछे न छूटे।

यह दिवस क्यों महत्वपूर्ण है

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 जुलाई को विश्व ग्रामीण विकास दिवस घोषित किया है, ताकि वह 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शा सके। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों—विशेष रूप से महिलाओं, युवाओं और आदिवासी समुदायों—की मदद करना है, जो अक्सर गरीबी, भूख और बुनियादी सेवाओं की कमी का सबसे अधिक सामना करते हैं। यही समूह कृषि, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यह घोषणा सरकारों, नागरिक समाज और वैश्विक संस्थाओं को प्रोत्साहित करती है कि वे इस दिवस को स्थानीय परियोजनाओं, जागरूकता अभियानों और नीतिगत चर्चाओं के माध्यम से सार्थक रूप से मनाएं।

ग्रामीण क्षेत्रों की प्रमुख चुनौतियाँ

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के लगभग 80% सबसे गरीब लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जिनमें से कई की दैनिक आय $2.15 से भी कम है। ग्रामीण आबादी का लगभग आधा हिस्सा उचित स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है, और जहां शहरी क्षेत्रों में 83% लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 50% से भी कम है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, खराब सड़कें, और सीमित शिक्षा सुविधाएं ग्रामीण जीवन को और भी कठिन बना देती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं कृषि कार्यबल का 43% हिस्सा हैं, फिर भी उन्हें भूमि, तकनीक और ऋण जैसी सुविधाओं में समान अवसर नहीं मिलते। इन समस्याओं का समाधान करना समान और सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।

संयुक्त राष्ट्र की दृष्टि और प्रयास

संयुक्त राष्ट्र का ग्रामीण विकास को लेकर दृष्टिकोण आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सुधारों के संयुक्त प्रयास पर आधारित है। इसमें:

  • महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाना

  • डिजिटल पहुंच को प्रोत्साहित करना

  • बेहतर सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं विकसित करना शामिल हैं।

भारत के बिहार राज्य की ‘जीविका परियोजना’ इसका एक सफल उदाहरण है, जहाँ 18 लाख महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ीं और उनकी घरेलू आय में 30% की वृद्धि दर्ज की गई।

हर वर्ष, यह दिवस सरकारों, विश्वविद्यालयों, NGO, निजी कंपनियों और स्थानीय समुदायों को ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगा। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र ने देशों से आग्रह किया है कि वे सफल परियोजनाओं की कहानियां साझा करें और सटीक योजना के लिए डाटा डैशबोर्ड तैयार करें, ताकि विकास योजनाएं अधिक प्रभावी बन सकें।

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