विश्वभर में अक्टूबर महीने के पहले सोमवार को ‘विश्व पर्यावास दिवस’ मनाया जाता है। इसे ‘विश्व आवास दिवस’ भी कहा जाता है। राज्य या कस्बों और शहरों की स्थिति को प्रतिबिंबित करने और सभी के लिए पर्याप्त आश्रय या आवास के मूल अधिकार को बढ़ावा देने के लिए विश्व पर्यावास दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य वर्तमान पीढ़ी को यह याद दिलाना है कि वे भावी पीढ़ी के पर्यावास (Habitat) हेतु उत्तरदायी हैं।
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विश्व पर्यावास दिवस का उद्देश्य
दरअसल इस दिन को मनाने का उद्देश्य मनुष्य के मूल अधिकारों की पहचान करना और उसे पर्याप्त आश्रय देना है। साथ ही कस्बों और शहरों की स्थिति में सुधार लाना है। गरीबी को खत्म करने के लिए जरुरी कार्रवाई करना है। शहरों और मानव बस्तियों में बढ़ती असमानता को कम करना है।
इस दिवस की थीम
संयुक्त राष्ट्र हर साल इस दिन के लिए एक खास थीम भी जारी करता हैं, जिसके जरिए आम आदमी के जीवन में मूलभूत चीजों का आभाव ना हो, इसके लिए प्रयास किए जाते हैं। इस साल की थीम – ‘Mind the Gap। Leave no one and place behind’ है।
विश्व पर्यावास दिवस का महत्व
बता दें एक तरफ जहां कुछ लोग बड़े-बड़े घरों में शान और शौकत से रहते हैं जबकि दूसरी तरफ कई लोगों के पास रहने के लिए सुरक्षित घर तक नहीं है। एक सर्वे के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 10 करोड़ लोग बेघर है जबकि 1.6 अरब लोग बेहद घटिया आवास में रह रहे हैं। विश्वभर में झोपड़पट्टी में रहने वाले निवासियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।
विश्व पर्यावास दिवस का इतिहास
गौरतलब है कि वर्ष 1985 में संयुक्त राष्ट्र ने प्रत्येक वर्ष अक्तूबर माह के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। पहली बार वर्ष 1986 में विश्व पर्यावास दिवस मनाया गया था, जिसकी थीम ‘शेल्टर इज़ माई राईट’ (Shelter is My Right) रखी गई थी।