देशभर में हर साल विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है। इस विशेष दिन को लोग जनसहभागिता के रूप में मनाते हैं। इसका दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना है। हालांकि आज के औद्योगीकरण के दौर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई चिंता का विषय बन गया है। इसके चलते दुनियाभर के इकोसिस्टम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करने का संकल्प लेने के उद्देश्य से ही हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
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संयुक्त राष्ट्र की स्टडी के मुताबिक पूरे विश्व में हर साल 400 मिलिटन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है, जिसमें से सिर्फ 50 फीसदी का ही फिर से प्रयोग होता है और सिर्फ 10 प्रतिशत की ही रिसाइकिलिंग हो पाती है। ऐसे में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा हमारे पर्यावरण को किसी न किसी रूप में नुकसान पहुंचा रहा है, जिसमें 19 से 23 मिलियन टन प्लास्टिक हमारे तालाबों, नदियों और समुद्र में पहुंच जाता है।
पर्यावरण दिवस मनाने का उद्देश्य
दुनिया में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। इसी बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रकृति पर खतरा बढ़ रहा है। जिसे रोकने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत हुई, ताकि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाए और प्रकृति को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
पर्यावरण दिवस की थीम
विश्व पर्यावरण दिवस के लिए प्रतिवर्ष एक खास थीम होती है। विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम “Solutions to Plastic Pollution” है। यह थीम प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित है।
कब मनाते हैं विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल जून के महीने में मनाया जाता है। भारत समेत विश्वभर में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाते हैं। इस मौके पर सभी देश अलग अलग तरीके से पर्यावरण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।
पर्यावरण दिवस का इतिहास
विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत 1972 में हुई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून 1972 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया, तब से हर वर्ष इस दिन को मनाया जाने लगा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला लिया था लेकिन पर्यावरण दिवस सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में मनाया गया। 1972 में स्टॉकहोम में पहली बार पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें 119 देशों में हिस्सा लिया था।