संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया था ताकि आत्मकेंद्रित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिल सके और वे समाज के अभिन्न अंग के रूप में पूर्ण और सार्थक जीवन जी सकें.इस वर्ष का विषय ‘Assistive Technologies, Active Participation’ है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है जो संचार और समाजीकरण को प्रभावित करता है. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में दोहराव वाली गति, प्रतिबंधित रूचियाँ और / या संवेदी मुद्दे हो सकते हैं.
स्रोत- संयुक्त राष्ट्र