दुनियाभर में हर साल 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस (World Animal Day) मनाया जाता है। इस दिन पशुओं के कल्याण और उनके अधिकारों को लेकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है ताकि लोगों में पशुओं के कल्याण के लिए जागरूकता बढ़े। इस दिन कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें पशुओं की विभिन्न प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने और उनके संरक्षण के बारे में विचार किए जाते हैं।
विश्व पशु दिवस की थीम
इस वर्ष के विश्व पशु दिवस की थीम, “The world is their home too” यानि “दुनिया उनका भी घर है” इस बात पर प्रकाश डालती है कि जानवर न केवल पृथ्वी के निवासी हैं बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह सुरक्षित और संरक्षित वातावरण में रहने के उनके अधिकार पर जोर देता है।
विश्व पशु दिवस का महत्व
विश्व पशु दिवस विभिन्न जानवरों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जिसमें पशु क्रूरता, लुप्तप्राय प्रजातियां, निवास स्थान की हानि और पशु साम्राज्य पर मानव गतिविधियों का प्रभाव शामिल है। यह व्यक्तियों को इन मुद्दों के बारे में खुद को और दूसरों को शिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह दिन जानवरों के अधिकारों और कल्याण के लिए वकालत को प्रोत्साहित करता है। यह इस विचार को बढ़ावा देता है कि जानवरों के साथ दया और सम्मान का व्यवहार किया जाना चाहिए और उनके अधिकारों को कानून के तहत संरक्षित किया जाना चाहिए। विश्व पशु दिवस जानवरों के प्रति करुणा के महत्व पर जोर देता है। यह लोगों को जानवरों की भावनाओं और जरूरतों पर विचार करने और ऐसे विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करता है जो उनकी भलाई को बढ़ावा देते हैं।
विश्व पशु दिवस मनाने का उद्देश्य
- पशुओं के प्रति इंसानों की क्रूरता को रोकना है।
- पशुओं के संरक्षण और उनके चिकित्सा को बढ़ावा देना।
- जीव-जंतुओं को सम्मान और उनका हक दिलाना।
- प्राकृतिक जंगलों का जानवरों के लिए संरक्षण करना।
- पशुओं की स्थिति को और बेहतर करना है।
- पशुओं की भावनाओं का सम्मान करना।
विश्व पशु दिवस का इतिहास
विश्व पशु दिवस को असीसी के सेंट फ्रांसिस के जन्मदिवस पर उनकी याद में मनाया जाता है, जो एक पशु प्रेमी और जानवरों के महान संरक्षक थे। पहली बार वर्ल्ड एनिमल डे 24 मार्च, 1925 को जर्मनी के बर्लिन में सिनोलॉजिस्ट हेनरिक जिमर्मन की पहल पर मनाया गया था। इस दिन को मनाने का उनका उद्देश्य पशु कल्याण के बारे में जागरूकता फैलाना था। इस दिन पहले कार्यक्रम में 5,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया और इसके लिए अपना समर्थन भी दिया। इसके बाद साल 1929 से यह दिवस 4 अक्टूबर को मनाया जाने लगा।