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थोक मुद्रास्फीति मार्च में 29 महीने के निचले स्तर 1.34 प्रतिशत पर

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थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति मार्च 2023 में घटकर 29 महीने के निचले स्तर 1.34 प्रतिशत पर आ गई। 17 अप्रैल 2023 को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। थोक मुद्रास्फीति (WPI Inflation) में गिरावट मुख्य रूप से विनिर्मित वस्तुओं और ईंधन के दामों में कमी के चलते हुई है। हालांकि इस दौरान खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़ी है। मार्च 2023 लगातार 10वां महीना है जब थोक मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है। डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति फरवरी 2023 में 3.85 प्रतिशत और मार्च 2022 में 14.63 प्रतिशत थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति भी मार्च में घटाकर 15 महीने के निचले स्तर 5.66 प्रतिशत पर आ गई जो फरवरी में 6.44 प्रतिशत थी।

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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 17 अप्रैल को एक बयान में कहा कि मार्च 2023 में मुद्रास्फीति की दर में कमी की मुख्य वजह बुनियादी धातुओं, खाद्य वस्तुओं, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, खनिजों, रबड़ एवं प्लास्टिक उत्पादों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, कागज और कागज से बने उत्पादों के दामों में कमी आना है। गेहूं और दाल के मामले में मुद्रास्फीति क्रमश: 9.16 प्रतिशत और 3.03 प्रतिशत रही जबकि सब्जियां 2.22 प्रतिशत सस्ती हुईं। तिलहन की महंगाई दर मार्च, 2023 में 15.05 प्रतिशत घटी। ईंधन और बिजली क्षेत्र में महंगाई फरवरी के 14.82 प्रतिशत से कम होकर मार्च, 2023 में 8.96 प्रतिशत रह गई। विनिर्मित उत्पाद 0.77 प्रतिशत सस्ते हुए जिनकी महंगाई दर पिछले महीने 1.94 प्रतिशत थी।

 

WPI इन्फ्लेशन क्या है?

WPI मुद्रास्फीति भारत में उत्पाद मूल्य मापदंडों के आधार पर निर्धारित एक मापक है जो उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index) के रूप में भी जाना जाता है। WPI मुद्रास्फीति वास्तव में उत्पादों के थोक मूल्यों की वास्तविक रूप से वृद्धि की दर को दर्शाता है। WPI मुद्रास्फीति भारत में उत्पाद मूल्य मापदंडों के आधार पर निर्धारित एक मापक है जो उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index) के रूप में भी जाना जाता है। WPI मुद्रास्फीति वास्तव में उत्पादों के थोक मूल्यों की वास्तविक रूप से वृद्धि की दर को दर्शाता है।

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