पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सर्वसम्मति से ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024’ पारित कर दिया है, जो यौन अपराधों के खिलाफ राज्य के कानूनी ढांचे में एक महत्वपूर्ण विकास को दर्शाता है। इस विधेयक में बलात्कार के दोषी व्यक्तियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, यदि उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह अचेत अवस्था में चली जाती है। इस कदम के साथ, पश्चिम बंगाल बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से निपटने वाले केंद्रीय कानूनों में संशोधन करने वाला पहला राज्य बन गया है। इस विधेयक में दुष्कर्म व हत्या के दोषियों को 10 दिनों के अंदर मृत्युदंड (फांसी) की सजा सुनिश्चित करने का प्रावधान है।
‘अपराजिता’ विधेयक का नाम 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर को श्रद्धांजलि देने के लिए रखा गया है, जिसका पिछले महीने आरजी कर मेडिकल सेंटर और अस्पताल में बलात्कार किया गया था और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी। विधेयक के मुख्य प्रावधानों में शामिल हैं:
मृत्युदंड: बलात्कार के लिए लगाया जाता है, अगर पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या उसे गंभीर मस्तिष्क क्षति होती है।
आजीवन कारावास: बलात्कार के दोषी को पैरोल के बिना।
अपराजिता टास्क फोर्स: प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर सजा सुनिश्चित करना।
बढ़े हुए सुरक्षा उपाय: महिला स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मार्गों पर सीसीटीवी कैमरे लगाना और सुरक्षा बढ़ाना, जिसके लिए 120 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
‘रात्रि साथी’ प्रावधान: महिला कर्मियों के लिए ड्यूटी के घंटे बढ़ाता है, जिससे रात की शिफ्ट के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
दुष्कर्म विरोधी इस विधेयक का नाम- अपराजिता वुमन एंड चाइल्ड (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून व संशोधन) बिल 2024 है। इस विधेयक के तहत दुष्कर्म के मामलों की जांच 21 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी, जो पहले दो महीने की समय सीमा से कम है। राज्य में मुख्य विपक्षी भाजपा के विधायकों ने भी इस विधेयक का पूर्ण समर्थन किया।
विधेयक में दुष्कर्म व हत्या के मामले में दोषियों के लिए 10 दिनों में मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है। साथ ही दोषी के परिवार पर आर्थिक जुर्माना का भी प्रावधान है। इसके अतिरिक्त दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषियों को अंतिम सांस तक उम्रकैद की सजा दी जाएगी। दुष्कर्मियों को शरण देने या सहायता देने वालो के लिए भी तीन से पांच साल की कठोर कैद की सजा का प्रावधान भी है।
विधेयक में यौन अपराधों के लिए जांच और अभियोजन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करने की बात है। जांच प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। जांच में तेजी लाने और पीड़ित के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर अपराजिता टास्क फोर्स नामक एक विशेष कार्य बल के गठन का भी सुझाव दिया गया है। इसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे। ये कार्यबल अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार होगा।
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