विशाखापत्तनम घोषणा 2025: भारत के डिजिटल परिवर्तन की रूपरेखा

भारत की डिजिटल गवर्नेंस यात्रा ने एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया जब 23 सितम्बर 2025 को विशाखापट्टनम में आयोजित 28वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन (NCeG) में विशाखापट्टनम घोषणा को अपनाया गया। प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (DARPG), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) तथा आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में एक रणनीतिक रोडमैप पेश किया गया, जो विकसित भारत 2047 की राष्ट्रीय दृष्टि से जुड़ा हुआ है।

मुख्य दृष्टि: विकसित भारत, न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन

सम्मेलन की थीम “विकसित भारत: सिविल सेवा और डिजिटल परिवर्तन” रही, जिसने डेटा-आधारित, नागरिक-प्रथम गवर्नेंस मॉडल की आवश्यकता को दोहराया। घोषणा में इन प्राथमिकताओं पर बल दिया गया:

  • सिविल सेवाओं का डिजिटल दक्षताओं के माध्यम से रूपांतरण

  • AI, ML, ब्लॉकचेन, GIS, IoT और डेटा एनालिटिक्स को स्मार्ट गवर्नेंस के सक्षम साधन बनाना

  • साइबर सुरक्षा और डिजिटल ट्रस्ट को राष्ट्रीय लचीलापन (resilience) के स्तंभ के रूप में स्थापित करना

यह सब उस विचार के अनुरूप है जिसे “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” कहा गया है, जहाँ तकनीक नौकरशाही बाधाओं को कम करते हुए सेवाओं की गुणवत्ता और पहुँच को बढ़ाती है।

भारतभर में सफल डिजिटल मॉडलों का विस्तार

घोषणा में विभिन्न राज्यों के सफल डिजिटल मॉडलों को पूरे देश में लागू करने की सिफारिश की गई, जैसे:

  • संपदा 2.0 (मध्य प्रदेश) – कृषि नवाचार के लिए

  • ई-खाता (बेंगलुरु) – डिजिटल संपत्ति अभिलेखों के लिए

  • रोहिणी ग्राम पंचायत (महाराष्ट्र) – जमीनी स्तर पर गवर्नेंस के लिए

  • ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (DAMS) – NHAI द्वारा बुनियादी ढाँचे की निगरानी के लिए

एआई-आधारित प्लेटफॉर्म और नैतिक तकनीक का उपयोग

भारत ने एआई और बहुभाषी सेवाओं पर जोर देते हुए निम्नलिखित प्लेटफॉर्म्स को बड़े पैमाने पर अपनाने पर बल दिया:

  • डिजिटल इंडिया भाषिनी – वास्तविक समय में अनुवाद और संचार

  • डिजी यात्री – हवाई अड्डों पर सुगम चेक-इन

  • नाड्रेस V2 – कृषि आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रणाली

घोषणा में पारदर्शी, नैतिक एआई प्रयोग पर ज़ोर दिया गया जो गोपनीयता की रक्षा करते हुए समावेशन को बढ़ावा दे।

समावेशी डिजिटल विकास

घोषणा में यह सुनिश्चित करने पर बल दिया गया कि पूर्वोत्तर और लद्दाख जैसे अविकसित क्षेत्रों तक डिजिटल पहुँच हो। NeSDA (राष्ट्रीय ई-सेवाएँ प्रदाय आकलन) ढाँचे का विस्तार कर पंचायत स्तर की नवाचार पहलें (जैसे पश्चिम माजलिशपुर, सुakati और पलसाना) देशभर में लागू की जाएँगी।

विशाखापट्टनम की दृष्टि: भारत का भावी टेक हब

आंध्र प्रदेश की महत्वाकांक्षा को दर्शाते हुए घोषणा में विशाखापट्टनम को अग्रणी आईटी और नवाचार केंद्र के रूप में विकसित करने की दृष्टि का समर्थन किया गया। इसमें शामिल है:

  • बुनियादी ढाँचे में निवेश

  • विशेष आईटी जोन की स्थापना

  • उद्योग और अकादमिक सहयोग को सुदृढ़ करना

साथ ही महिलाओं, युवाओं और वंचित समूहों को लक्षित डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को भी प्राथमिकता दी गई ताकि सामाजिक और आर्थिक समावेशन को प्रोत्साहन मिले।

मुख्य बिंदु

  • विशाखापट्टनम घोषणा 28वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन में अपनाई गई।

  • मेज़बान: DARPG, MeitY और आंध्र प्रदेश सरकार।

  • थीम: “विकसित भारत: सिविल सेवा और डिजिटल परिवर्तन”

  • प्राथमिकताएँ: एआई, साइबर सुरक्षा, डिजिटल समावेशन, सिविल सेवा डिजिटल स्किल्स

  • संपदा 2.0, ई-खाता, DAMS जैसे मॉडलों को बढ़ाने पर ज़ोर।

  • ग्रामीण डिजिटल साक्षरता और राष्ट्रीय कृषि स्टैक को समर्थन।

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vikash

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