भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन को हाल ही में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम और वरिष्ठ अधिकारियों ने मंत्रालय की उन पहलों के बारे में अवगत कराया, जो देशभर की जनजातीय आबादी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही हैं। संसद भवन में हुई इस बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और जनजातीय समुदायों के अधिकारों पर केन्द्रित कई कार्यक्रमों की जानकारी दी गई। उपराष्ट्रपति ने मंत्रालय के बढ़े हुए बजट की सराहना की और विश्वविद्यालयों–स्कूलों के बीच मजबूत संबंध, अधिक शैक्षणिक सहायता और विशेष रूप से जनजातीय-बहुल क्षेत्रों में त्वरित स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
शिक्षा जनजातीय उत्थान रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार ने दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) के नेटवर्क को तेजी से बढ़ाया है।
मध्य-2025 तक:
728 EMRS स्वीकृत
479 स्कूल कार्यरत
1.38 लाख से अधिक जनजातीय विद्यार्थी नामांकित
उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय-सह विद्यालय साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि जनजातीय छात्र उच्च शिक्षा—यहाँ तक कि वैश्विक अवसरों—तक आसानी से पहुँच सकें। उन्होंने ड्रॉपआउट दर कम करने के लिए सतत शैक्षणिक सहयोग की जरूरत भी बताई।
मंत्रालय की विकास दृष्टि बहु-क्षेत्रीय है, जिसे कई प्रमुख योजनाएँ आगे बढ़ाती हैं:
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान
PVTGs (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) को शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और आवास जैसी बुनियादी सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
यह योजना जनजातीय गाँवों में बुनियादी ढाँचे की 100% उपलब्धता पर केंद्रित है—सड़क, बिजली, स्कूल, और डिजिटल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ काम करती है।
जनजातीय युवाओं और अधिकारियों में नेतृत्व और प्रशासनिक क्षमता विकसित करने की अनूठी पहल।
सिकल सेल एनीमिया जनजातीय क्षेत्रों में एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती है। इसे नियंत्रित करने के लिए मंत्रालय ने कई पहलें शुरू की हैं:
व्यापक स्क्रीनिंग और प्रारंभिक पहचान
उपचार और काउंसलिंग तक बेहतर पहुँच
दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढाँचे को मजबूत करना
उपराष्ट्रपति ने इन प्रयासों की सराहना की और यह सुनिश्चित करने की जरूरत बताई कि जनजातीय समुदायों को समय पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ मिलें।
मंत्रालय जनजातीय कला, संस्कृति और विरासत के संरक्षण के साथ-साथ उनकी आजीविका सुधारने पर भी काम कर रहा है। परंपरागत कौशल—हस्तशिल्प, वन उपज संग्रहण, जनजातीय उद्यमिता—को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण के माध्यम से मजबूत किया जा रहा है।
इस प्रयास का उद्देश्य जनजातीय पहचान को संरक्षित रखते हुए बेहतर आय और आर्थिक स्वावलंबन प्रदान करना है।
हालांकि बहुत प्रगति हुई है, लेकिन कुछ प्रमुख चुनौतियाँ अब भी हैं:
योजनाओं को हर जनजातीय परिवार तक पहुँचाना
ड्रॉपआउट दर कम करना और उच्च शिक्षा के लिए मार्ग सुगम बनाना
दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर करना
योजनाओं के क्रियान्वयन में समुदाय की भागीदारी बढ़ाना
उपराष्ट्रपति ने कहा कि केवल तभी भारत विकसित राष्ट्र (विकसित भारत) बन सकता है, जब जनजातीय समुदायों तक कल्याण योजनाओं के वास्तविक लाभ पहुँचें।
मंत्रालय बजट (2025-26): ₹14,925.81 करोड़
EMRS स्वीकृत: 728
EMRS कार्यरत: 479
EMRS नामांकन: 1.38 लाख+
प्रमुख योजनाएँ: PM-JANMAN, धरती आबा अभियान, आदि कर्मयोगी अभियान
लक्ष्य समूह: अनुसूचित जनजाति (विशेष रूप से PVTGs)
स्वास्थ्य फोकस: सिकल सेल एनीमिया स्क्रीनिंग व उपचार
शिक्षा फोकस: विश्वविद्यालय–विद्यालय सहयोग, विदेशी अध्ययन के अवसर
दृष्टि: जनजातीय उत्थान ही विकसित भारत का मार्ग
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