मलयालम रंगमंच और टेलीविजन जगत ने एक चमकता सितारा खो दिया, जब एक अनुभवी अभिनेता और प्रख्यात रंगमंच कलाकार केपीएसी राजेंद्रन का 31 जुलाई, 2025 को अलप्पुझा में निधन हो गया। वे 74 वर्ष के थे और अलप्पुझा के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। केरल पीपुल्स आर्ट्स क्लब (केपीएसी) में अपने उल्लेखनीय योगदान और मंच तथा पर्दे पर अपने अविस्मरणीय अभिनय के लिए प्रसिद्ध, राजेंद्रन अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो रंगमंच प्रेमियों की पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
राजेंद्रन ने अपने कलात्मक जीवन की शुरुआत एक रंगमंच कलाकार के रूप में की और जल्द ही वे केरल पीपुल्स आर्ट्स क्लब (KPAC) के सबसे सम्मानित चेहरों में शामिल हो गए। केपीएसी, केरल के सामाजिक-राजनीतिक रंगमंच आंदोलन की आधारशिला रहा है, और राजेंद्रन इस आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार बने।
उनकी सबसे प्रतिष्ठित भूमिका थी नाटक “निंगलेन्ने कम्युनिस्टाक्की” (आपने मुझे कम्युनिस्ट बना दिया), जो केपीएसी के प्रगतिशील रंगमंच में योगदान का प्रतीक माना जाता है। दशकों तक, उन्होंने रंगमंच पर सक्रिय रहते हुए सामाजिक और राजनीतिक विषयों से जुड़े नाटकों का निर्देशन और अभिनय किया।
हालाँकि रंगमंच उनका पहला प्यार था, लेकिन उन्होंने टेलीविज़न की दुनिया में भी अपनी छाप छोड़ी। टीवी धारावाहिक ‘उप्पुम मुलकुम’ में उनका किरदार पडावालम कुट्टनपिल्लै उन्हें घर-घर में पहचान दिलाने वाला साबित हुआ। उनकी बहुमुखी अभिनय क्षमता ने उन्हें सभी उम्र के दर्शकों से जोड़ने में सक्षम बनाया—वे हास्य, संवेदना और यथार्थवाद को सहजता से मिलाते थे।
केपीएसी राजेंद्रन का पाँच दशकों से भी अधिक लंबा करियर केवल अभिनय तक सीमित नहीं था, बल्कि वह सामाजिक प्रतिबद्धता और सांस्कृतिक परिवर्तन का प्रतीक रहा। अपने नाटकों के माध्यम से उन्होंने आम लोगों के संघर्ष और सपनों को आवाज दी। कला और विचारधारा के इस संगम ने उन्हें मलयालम रंगमंच के प्रगतिशील आंदोलन का स्तंभ बना दिया। मंच के पीछे भी, उन्होंने युवा कलाकारों का मार्गदर्शन किया और केपीएसी की परंपरा को जीवित रखने में पूरी निष्ठा से लगे रहे। उनकी नम्रता, समर्पण और कलात्मकता ने उन्हें केरल की सांस्कृतिक दुनिया का सच्चा किंवदंती (लीजेंड) बना दिया।
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