लगभग तीन दशक तक तमिल सिनेमा के सभी सितारों के साथ काम करने वाले दिल्ली गणेश का 80 साल की उम्र में निधन हो गया। इंस्टाग्राम पर खबर पोस्ट करते हुए उनके बेटे महादेवन ने पुष्टि की कि यह खराब स्वास्थ्य के कारण हुआ। उनके बेटे ने इंस्टाग्राम स्टोरी के जरिए खबर दी, जिसमें लिखा था, “हमें यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि हमारे पिता श्री दिल्ली गणेश का 9 नवंबर को रात करीब 11 बजे निधन हो गया।”
भारतीय वायु सेना में भी की थी सेवा
तमिल अभिनेता दिल्ली गणेश ने अपने करियर की शुरुआत दिग्गज निर्देशक के बालाचंदर के साथ पट्टिना प्रवेशम (1976) से की थी, दिल्ली से थे , जहां वे दक्षिण भारत नाटक सभा, एक थिएटर मंडली के सदस्य भी थे। अभिनेता ने एक दशक यानी 1964 से 1974 तक भारतीय वायु सेना में सेवा की थी। अभिनेता अपने करियर के दौरान 400 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें आखिरी बार कमल हासन की इंडियन 2 में देखा गया था।
इन फिल्मों को दर्शकों ने किया पसंद
दिल्ली गणेश को कॉलीवुड में सबसे बहुमुखी अभिनेताओं में से एक माना जाता था। वह कमल हासन की ज्यादातर फिल्मों में नजर आ चुके हैं, जिसमें नायकन से लेकर इंडियन 2 तक शामिल है। यही नहीं, अभिनेता की व्वाई शानमुघी, तेनाली, माइकल मदना काम राजन और अपूर्व सगोधरगल भी दर्शकों को काफी पसंद आई थी। फिल्मों के अलावा उन्होंने टीवी धारावाहिकों और लघु फिल्मों में भी काम किया था।
इन पुरस्कारों से सम्मानित हुए अभिनेता
उन्होंने पासी (1979) में अपने अभिनय के लिए तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार विशेष पुरस्कार जीता और 1994 में कलैमामणि पुरस्कार सहित कई राज्य सम्मान प्राप्त किए। बता दें कि अभिनेता दिल्ली गणेश का अंतिम संस्कार 11 नवंबर को सुबह 10 बजे होगा । उनके निधन से साउथ इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। फैंस के साथ-साथ इंडस्ट्री के सेलेब्स अभिनेता को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
Summary/Static | Details |
चर्चा में क्यों? | दिल्ली गणेश का 80 वर्ष की आयु में निधन |
जन्म तिथि | 1 अगस्त, 1944 |
फिल्म डेब्यू | पैटिना प्रवेशम (1976) के. बालाचंदर द्वारा निर्देशित। |
फिल्मों की संख्या | तमिल, तेलुगु, मलयालम में 400 से अधिक फिल्में। |
उल्लेखनीय फ़िल्में | नायकन (1987), माइकल मधाना काम राजन (1990), अपूर्व सगोधरार्गल (1989), आहा..! (1997), तेनाली (2000), धुरुवंगल पथिनारु (2016) |
पुरस्कार | तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार विशेष पुरस्कार (1979), कलैमामणि पुरस्कार (1994) |