राज्य के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड ने अपने रेशम उत्पादकों की सुरक्षा के लिए देश का पहला “रेशम कीट बीमा” कार्यक्रम शुरू किया है। उत्तराखंड में शुरू हुई पायलट परियोजना के पहले चरण में चार जिलों-देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर, और नैनीताल के पांच ब्लॉकों के 200 रेशम उत्पादकों ने बीमा प्राप्त किया। इस बीमा ने उन्हें जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और अन्य खतरों के प्रभाव से बचाया।
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किसानों को नुकसान से बचाने के लिए राज्य के चार जिलों के पांच विकास खंडों में फैले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। विभाग और भारतीय कृषि बीमा कंपनी ने इसे पूरा करने का फैसला किया है। पहल देहरादून में शुरू की गई थी और इसका प्रबंधन सरल कृषि बीमा द्वारा किया जाता है।
प्रयास का उद्देश्य क्षेत्र में रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देना है। राज्य में 12,000 से अधिक परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रेशम उत्पादन से प्रभावित हैं, और 6,000 हितधारक सालाना लगभग 300 मीट्रिक टन रेशम फ़ाइब्राइन का उत्पादन करते हैं।
चमोली ज़िला क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला है तथा चंपावत सबसे छोटा जिला है।
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