वैश्विक व्यापार नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव के तहत, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अधिकांश देशों के लिए हाल ही में लगाए गए उच्च टैरिफ़ पर 90 दिनों की रोक लगाने की घोषणा की है। इस फैसले से अमेरिका के कई व्यापारिक साझेदारों को कुछ राहत मिली है।
हालांकि, यह रोक चीन पर लागू नहीं होती। इसके विपरीत, चीन पर टैरिफ़ में भारी बढ़ोतरी की गई है, जो अब बढ़कर 125% तक पहुंच गई है। यह कदम अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में एक नाटकीय बढ़त को दर्शाता है। यह कार्रवाई ट्रंप की उस नई रणनीति को दर्शाती है, जिसके तहत वे वैश्विक व्यापार समीकरणों को पुनः निर्धारित करना चाहते हैं, खासकर चीन की ‘अनुचित वर्चस्ववादी नीतियों’ और ‘प्रतिशोधी व्यापार उपायों’ को चुनौती देने के लिए।
मुख्य बिंदु
90-दिन की टैरिफ़ विराम
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ट्रंप ने उन देशों के लिए ऊँचे टैरिफ़ को 90 दिनों के लिए टाल दिया है, जिन्होंने अमेरिकी टैरिफ़ का जवाबी हमला नहीं किया था।
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इन देशों पर अब केवल 10% “लोअर रेसिप्रोकल टैरिफ़” लगाया जाएगा।
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यूरोपीय संघ (EU), वियतनाम और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को पहले तय की गई भारी टैरिफ़ से राहत मिली है।
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ट्रंप ने कहा कि यह विराम “क्योंकि लोग बहुत ज़्यादा शोर मचा रहे थे (yippy)” इसलिए दिया गया।
चीन पर बढ़ते टैरिफ़
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चीनी वस्तुओं पर टैरिफ़ बढ़ाकर 125% कर दिया गया है।
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चीन पहले ही अमेरिकी वस्तुओं पर 84% तक टैरिफ़ लगा चुका था।
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ट्रंप ने चीन पर “सम्मान की कमी” का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि अगर चीन ने रुख नहीं बदला तो और कदम उठाए जाएंगे।
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इस घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाज़ार में तेज़ उछाल आया, जिससे बाज़ार को राहत मिली।
विवाद की पृष्ठभूमि
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ट्रंप ने पहले ही सभी आयातों पर 10% का बेसलाइन टैरिफ़ लागू कर दिया था।
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तथाकथित “सबसे बड़े दोषी” देशों पर 11% से लेकर 100%+ तक के ऊँचे टैरिफ़ लगाए गए।
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इससे वैश्विक बाज़ारों में अफरा-तफरी मच गई, जिससे खरबों डॉलर का नुकसान और मंदी की आशंका पैदा हुई।
बाज़ार पर असर
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अमेरिका का कर्ज ब्याज दर बढ़कर 4.5% हो गया, जो फरवरी के बाद सबसे अधिक है।
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90-दिन की टैरिफ़ विराम की घोषणा के बाद:
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S&P 500 में 9.5% की बढ़त,
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Dow Jones में 7.8% की छलांग दर्ज की गई।
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चीन की प्रतिक्रिया
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चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका पर “धौंसपट्टी वाली नीतियों” का आरोप लगाया।
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कहा कि अमेरिका को “आपसी सम्मान और पारस्परिकता” का पालन करना होगा।
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WTO ने भविष्यवाणी की कि द्विपक्षीय व्यापार में 80% तक की गिरावट आ सकती है, जिससे $466 बिलियन तक का नुकसान हो सकता है।
ट्रंप की दीर्घकालीन सोच
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टैरिफ़ बढ़ोतरी ट्रंप की लंबे समय से चली आ रही एंटी-चाइना नीति का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 2016 के चुनाव से हुई थी।
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ट्रंप ने चीन की “Made in China 2025” योजना की आलोचना करते हुए इसे औद्योगिक वर्चस्व की रणनीति बताया।
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उनका लक्ष्य चीन को “दुनिया की फैक्ट्री” की छवि से बाहर निकालना है।
अन्य नीतियों पर असर
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25% टैरिफ़ कारों, ऑटो पार्ट्स, स्टील और एल्यूमिनियम पर अभी भी लागू हैं।
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EU को “बड़ा दोषी” माने जाने के बावजूद 10% पर रोका गया, क्योंकि उसने जवाबी टैरिफ़ में देरी की थी।
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कनाडा और मैक्सिको को 10% के बेसलाइन टैरिफ़ से भी छूट दी गई है।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं
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UK पर कोई असर नहीं, क्योंकि वह पहले से 10% टैरिफ़ सूची में था।
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UK सरकार ने कहा, “व्यापार युद्ध किसी के हित में नहीं है।”
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WTO और कई अर्थशास्त्रियों ने दी लंबी अवधि के वैश्विक व्यापार विघटन की चेतावनी।