सार्वजनिक ऋण निर्गमों में ₹5 लाख तक की बोलियों के लिए अब UPI अनिवार्य

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नए दिशानिर्देश लागू किए हैं, जिसके तहत खुदरा निवेशकों को 5 लाख रुपये तक की राशि के ऋण प्रतिभूतियों के सार्वजनिक निर्गम के लिए आवेदन करते समय धनराशि को अवरुद्ध करने के लिए एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोग करना आवश्यक होगा।

इस विनियमन का उद्देश्य गैर-परिवर्तनीय प्रतिदेय वरीयता शेयरों, नगरपालिका ऋण प्रतिभूतियों और प्रतिभूतिकृत ऋण उपकरणों सहित सार्वजनिक ऋण मुद्दों से जुड़े व्यक्तिगत निवेशकों के लिए आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है। नया नियम 1 नवंबर, 2024 को प्रभावी होगा और यह दक्षता बढ़ाने और प्रक्रिया को इक्विटी शेयर आवेदनों के साथ संरेखित करने के सेबी के प्रयास का हिस्सा है।

मुख्य प्रावधान

UPI अनिवार्यता: ₹5 लाख तक की राशि के लिए बिचौलियों के माध्यम से आवेदन करने वाले निवेशकों को फंड ब्लॉक करने के लिए UPI का उपयोग करना चाहिए, जबकि वे स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से अन्य भुगतान विधियों तक पहुँच सकते हैं।

बैंक खाता लिंकिंग: निवेशकों को अपने आवेदन फॉर्म में UPI-लिंक्ड बैंक खाते का विवरण प्रदान करना आवश्यक है।

कम समीक्षा अवधि: सेबी ने ड्राफ्ट ऑफर दस्तावेजों पर सार्वजनिक टिप्पणी अवधि को सूचीबद्ध प्रतिभूतियों वाले जारीकर्ताओं के लिए 7 कार्य दिवसों से घटाकर केवल 1 दिन कर दिया है, और अन्य जारीकर्ताओं के लिए 5 दिन कर दिया है।

मूल्य बैंड संशोधनों में लचीलापन: यदि मूल्य बैंड या उपज संशोधन होते हैं, तो जारीकर्ता अब बोली अवधि को एक कार्य दिवस तक बढ़ा सकते हैं, जबकि न्यूनतम सदस्यता अवधि को 3 दिनों से घटाकर 2 दिन कर दिया गया है।

वैकल्पिक विकल्प: निवेशकों के पास अभी भी अपने आवेदन के लिए स्व-प्रमाणित सिंडिकेट बैंक या स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म का उपयोग करने का विकल्प है।

तर्क और लाभ

इन परिवर्तनों के पीछे तर्क यह है कि ऋण सुरक्षा आवेदनों को इक्विटी शेयरों के लिए आवेदनों के साथ संरेखित किया जाएगा, जिससे अधिक कुशल और सुव्यवस्थित प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा। यूपीआई को अपनाने से कागजी कार्रवाई कम होने, सुविधा बढ़ने और लेन-देन में तेजी आने की उम्मीद है, जिससे सार्वजनिक मुद्दों के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाकर निवेशकों को लाभ होगा।

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vikash

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