जम्मू-कश्मीर का भारत के साथ विलय होना दशकों बाद भी इतिहास में अमर है। भारत के इतिहास में विलय दिवस की गाथा ने विशेष स्थान बनाया है। इस अहम दिन को याद रखते हुए हर साल 26 अक्तूबर को विलय दिवस मनाया जाता है। राजनेताओं और इतिहासकारों के अनुसार विलय दिवस की बदौलत जम्मू-कश्मीर के लोगों को भारतीय नागरिक होने का गौरव हासिल हुआ है।
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इतिहासकारों के अनुसार 24 अक्तूबर, 1947 को कबाइलियों ने रियासत पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। यह सूचना मिलते ही ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह अपनी सेना की टुकड़ी के साथ कश्मीर की उड़ी सीमा पर पहुंचे। तब तक कबाइली गिलगित और बाल्टिस्तान सहित कई इलाकों पर कब्जा कर चुके थे। मुठभेड़ के दौरान कबाइलियों को सेना ने खदेड़ा, लेकिन मुजफराबाद क्षेत्र को पूरी तरह से कबाइली घेर चुके थे। वर्तमान में इस क्षेत्र को पाकिस्तान अनाधिकृत क्षेत्र कहा जाता है। मुठभेड़ के दौरान सेना के कई जवान शहीद हुए थे, लेकिन ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह ने हार नहीं मानी और गोली लगने के बाद भी भूखे-प्यासे दुश्मनों का सामना करते रहे। तीसरे दिन उन्होंने दम तोड़ दिया था।
जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल और प्रशासक: मनोज सिन्हा।
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