भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की एक बड़ी पहल में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जुलाई, 2025 को ₹1 लाख करोड़ के परिव्यय के साथ अनुसंधान विकास और नवाचार (आरडीआई) योजना को मंजूरी दी। यह योजना उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है, विशेष रूप से उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों में, कम या शून्य ब्याज दरों पर दीर्घकालिक वित्तपोषण की पेशकश करके। कार्यक्रम को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) द्वारा रणनीतिक रूप से निर्देशित किया जाएगा।
समाचार में क्यों?
1 जुलाई 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना को मंज़ूरी दी, जिसकी कुल लागत ₹1 लाख करोड़ है।
इस योजना का उद्देश्य सूर्योदय क्षेत्रों (sunrise sectors) और रणनीतिक क्षेत्रों में निजी क्षेत्र द्वारा अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश को प्रोत्साहित करना है।
इस योजना को अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (ANRF) की निगरानी में लागू किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे।
योजना के प्रमुख उद्देश्य:
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), सेमीकंडक्टर्स, हरित ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में निजी R&D को बढ़ावा देना।
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तकनीक अधिग्रहण और व्यावसायीकरण में निवेश को प्रोत्साहित करना।
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उच्च Technology Readiness Level (TRL) परियोजनाओं को वित्तीय सहायता देना।
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राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक प्रतिस्पर्धा से जुड़े रणनीतिक क्षेत्रों को समर्थन देना।
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एक Deep-Tech Fund of Funds की स्थापना जिससे नवाचार को दीर्घकालिक पूंजी सहायता मिले।
दो-स्तरीय संरचना:
Tier 1 – विशेष प्रयोजन कोष (Special Purpose Fund – SPF):
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ANRF के अंतर्गत स्थापित यह कोष मुख्य निधि संरक्षक के रूप में कार्य करेगा।
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यह कोष दूसरे स्तर के निधि प्रबंधकों को पूंजी आवंटित करेगा।
Tier 2 – द्वितीय स्तरीय निधि प्रबंधक (2nd-Level Fund Managers):
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ये प्रबंधक निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स को कम या शून्य ब्याज दर पर दीर्घकालिक ऋण देंगे।
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इससे जोखिम कम होगा और बड़ी संख्या में नवाचार परियोजनाएं आगे बढ़ सकेंगी।
संस्थागत निगरानी:
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ANRF की गवर्निंग बोर्ड की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे।
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योजना सरकार और उद्योग के बीच साझा मॉडल के रूप में कार्य करेगी, जिससे नवाचार को राष्ट्रीय प्राथमिकता दी जा सके।
योजना का महत्व:
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विशेष रूप से स्टार्टअप्स और MSMEs के लिए जोखिम पूंजी (risk capital) को अनलॉक करना।
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भारत को एक वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करना।
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तकनीकी आत्मनिर्भरता को मज़बूत करना; मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशनों को समर्थन देना।
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National Deep-Tech Strategy और विजन 2047 के तहत भारत की दीर्घकालिक तकनीकी आकांक्षाओं को साकार करना।