यूनेस्को ने तीन अफ्रीकी स्थलों को संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची से हटाया

विश्व धरोहर समिति ने तीन अफ्रीकी धरोहर स्थलों – मेडागास्कर, मिस्र और लीबिया – को संकटग्रस्त स्थलों की यूनेस्को की सूची से हटा दिया है तथा इन स्थलों पर खतरों को कम करने और उनकी सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक अखंडता को बहाल करने के सफल प्रयासों की सराहना की है।संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने एक बयान में कहा कि यह निर्णय पेरिस में जारी विश्व धरोहर समिति (डब्ल्यूएचसी) के 47वें सत्र के दौरान नौ जुलाई को लिया गया।

बयान में कहा गया है कि संकटग्रस्त सूची से इन धरोहर स्थलों को हटाया जाना, इन स्थलों के लिए खतरों को उल्लेखनीय रूप से कम करने में सदस्य देशों द्वारा यूनेस्को के सहयोग से किए गए व्यापक प्रयासों का परिणाम हैं। संकटग्रस्त सूची से हटाए गए स्थलों में मेडागास्कर में अत्सिनानाना के वर्षावन, मिस्र में अबू मेना और लीबिया में घदामेस का ‘ओल्ड टाउन’ शामिल हैं।

वे खतरों की सूची में क्यों थे

  • अत्सिनाना के वर्षावनों को 2010 में “खतरे में विश्व धरोहर” सूची में शामिल किया गया था, क्योंकि वहां अवैध कटाई, वनों की अंधाधुंध कटाई और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे लेमूर के नुकसान की घटनाएं बढ़ रही थीं। ये जंगल उन पौधों और जानवरों का घर हैं जो दुनिया में और कहीं नहीं पाए जाते।
  • मिस्र में स्थित अबू मेना, जो एक प्राचीन ईसाई तीर्थ स्थल है, को 2001 में इस सूची में डाला गया था क्योंकि सिंचाई के कारण आई बाढ़ ने इसकी नींव को नुकसान पहुंचाया और कई हिस्से ढह गए।
  • लीबिया का पुराना शहर घदामेस 2016 में युद्ध, जंगल की आग और बाढ़ की वजह से गंभीर क्षति के चलते इस सूची में डाला गया था।

यूनेस्को की भूमिका और बयान

यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ुले ने कहा कि इन तीनों स्थलों को खतरे की सूची से हटाया जाना “पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी जीत” है। उन्होंने यह भी कहा कि यूनेस्को अफ्रीका को विशेष प्राथमिकता दे रहा है और वहां के विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने और विरासत संरक्षण में देशों की मदद करने के लिए काम कर रहा है।

2021 के बाद से, अफ्रीका के तीन और देश – डीआर कांगो, युगांडा और सेनेगल – के स्थल भी इस सूची से हटाए गए हैं। यह दिखाता है कि अफ्रीकी देशों की सहायता के लिए बनाई गई रणनीति सफल हो रही है।

अब आगे क्या होगा

किसी स्थल को “खतरे में विश्व धरोहर” सूची से हटाया जाना दर्शाता है कि अब वह पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित है। हालांकि, इन स्थलों पर नजर रखी जाती रहेगी। अब ये स्थल और अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग व फंडिंग प्राप्त कर सकते हैं, जिससे इनके संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी। यह अन्य देशों को भी प्रेरित करेगा कि वे अपनी धरोहरों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।

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vikash

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