महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के खिलाफ नीतियों को लेकर 14 दिसंबर को ईरान को संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग से बाहर कर दिया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने हिरासत में एक युवती की मौत के विरोध में तेहरान की क्रूर कार्रवाई के बाद ये प्रस्ताव पेश किया था। इसके बाद 54-सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC) ने 2022-2026 के शेष कार्यकाल के लिए इस्लामिक गणराज्य को तत्काल प्रभाव से आयोग से हटा दिया।
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भारत ने हिजाब विरोधी प्रदर्शनों पर कार्रवाई को लेकर संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग (UN Women Commission) से ईरान को हटाने के लिए हुई वोटिंग में भाग नहीं लिया। भारत समेत कुल 16 देशों ने मतदान से भाग नहीं लिया। बावजूद, इसके ईरान को संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग से बाहर कर दिया गया क्योंकि 29 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत, लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने वोट से पहले ECOSOC को बताया कि ईरान को हटाना सही काम था। वहीं, अमेरिका के इस कदम को लेकर ईरान ने आपत्ति जाहिर की है। ईरान के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत अमीर सईद इरावनी ने संयुक्त राज्य अमेरिका को धमकाने वाला बताते हुए अमेरिकी कदम को अवैध बताया। बता दें कि महिलाओं की स्थिति पर 45 सदस्यीय आयोग हर साल मार्च में मिलता है और इसका मकसद लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।
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