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तुहिन कांता पांडे SEBI के नए अध्यक्ष नियुक्त

भारत के वित्त सचिव तुहिन कांता पांडे को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) का 11वां अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनका कार्यकाल तीन वर्षों के लिए होगा। वह माधबी पुरी बुच का स्थान लेंगे, जो सेबी की पहली महिला अध्यक्ष थीं और 28 फरवरी 2025 को उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है। उनकी नियुक्ति को 27 फरवरी 2025 को कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा मंजूरी दी गई।

सेबी प्रमुख के रूप में बड़ी चुनौतियाँ

पांडे ऐसे समय में सेबी की कमान संभाल रहे हैं जब भारतीय शेयर बाजार भारी बिकवाली के दबाव में है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) द्वारा भारी पूंजी निकासी (₹1.13 लाख करोड़, 2025 में अब तक) ने बाजार को नीचे धकेल दिया है। उनकी गहरी आर्थिक और वित्तीय विशेषज्ञता से बाजार में स्थिरता लाने की उम्मीद की जा रही है।

तुहिन कांता पांडे: एक अनुभवी प्रशासक

शैक्षणिक पृष्ठभूमि

  • पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में परास्नातक
  • यूके से एमबीए, जिससे उन्हें वित्तीय प्रबंधन और आर्थिक नीतियों की गहरी समझ मिली।

प्रशासनिक करियर

  • 1987 बैच के ओडिशा कैडर के IAS अधिकारी
  • केंद्र और राज्य सरकार में वित्तीय नीति और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन से जुड़े अहम पदों पर कार्य किया।

महत्वपूर्ण पद

  • जिला कलेक्टर, संबलपुर
  • वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव
  • योजना आयोग में संयुक्त सचिव
  • नागर विमानन मंत्रालय के सचिव (2021)
  • सार्वजनिक उद्यम विभाग (DPE) के प्रमुख
  • निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के प्रमुख

वित्त सचिव के रूप में योगदान

  • वित्तीय घाटे (Fiscal Deficit) को नियंत्रित करने के लिए आर्थिक नीतियों की रणनीति तैयार की।
  • एयर इंडिया के ऐतिहासिक विनिवेश (Disinvestment) और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के सार्वजनिक निर्गम (IPO) का सफल संचालन किया।
  • वित्तीय स्थिरता बढ़ाने और निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने के लिए सुधार लागू किए।

सेबी प्रमुख के रूप में जिम्मेदारियाँ और प्राथमिकताएँ

बाज़ार सुधार और स्थिरता

  • भारतीय पूंजी बाजार में नियमों की पारदर्शिता और सख्त अनुपालन सुनिश्चित करना।
  • निवेशकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना और धोखाधड़ी पर कड़ी निगरानी रखना।
  • शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और अन्य वित्तीय संस्थानों का सख्त नियमन।

आर्थिक नीतियाँ और सुधार

  • कॉरपोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance) को मजबूत करने के लिए नए दिशानिर्देश लाना।
  • IPO प्रक्रिया और विनिवेश (Disinvestment) को अधिक पारदर्शी बनाना।
  • डिजिटलीकरण और AI-आधारित अनुपालन प्रणाली को बढ़ावा देना।
  • विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए बाजार नियमन को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना।

आगामी चुनौतियाँ और संभावित नीतियाँ

  • FPI के भारतीय बाजार से बड़े पैमाने पर निकासी को संतुलित करने के लिए रणनीति बनाना।
  • घरेलू और विदेशी निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए नीतिगत सुधार लाना।
  • पूंजी बाजार को मजबूत करने के लिए नए वित्तीय उत्पाद और डिजिटल अवसंरचना विकसित करना।

तुहिन कांता पांडे के नेतृत्व में सेबी की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी, क्योंकि भारतीय शेयर बाजार को अस्थिरता से उबारकर नए सिरे से निवेशकों का विश्वास बहाल करना उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगी।

श्रेणी विवरण
क्यों चर्चा में? तुहिन कांता पांडे को तीन साल के कार्यकाल के लिए सेबी का 11वां अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वह माधबी पुरी बुच का स्थान लेंगे।
नियुक्ति की तिथि 27 फरवरी 2025 (कैबिनेट की नियुक्ति समिति द्वारा पुष्टि)
कार्यकाल प्रारंभ तिथि 1 मार्च 2025 (माधबी पुरी बुच के कार्यकाल की समाप्ति के बाद)
पिछला पद वित्त सचिव, भारत सरकार
मुख्य जिम्मेदारियाँ पूंजी बाजार का विनियमन, निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, कॉरपोरेट गवर्नेंस को मजबूत बनाना, स्टॉक एक्सचेंज और म्यूचुअल फंड की निगरानी, नीति सुधारों को लागू करना।
आगामी चुनौतियाँ 2025 में ₹1.13 लाख करोड़ की विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) निकासी के कारण मंदी वाले बाजार को संभालना, नियामक ढांचे को मजबूत करना, और निवेशकों का विश्वास बढ़ाना।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में एमए; यूके से एमबीए।
करियर की प्रमुख उपलब्धियाँ संबलपुर के जिला कलेक्टर, वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव, योजना आयोग में संयुक्त सचिव, DIPAM के प्रमुख के रूप में कार्य किया; एयर इंडिया के विनिवेश और LIC सूचीबद्धता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नीतिगत दृष्टिकोण कॉरपोरेट गवर्नेंस सुधार, डिजिटल अनुपालन तंत्र, IPO प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए सुधार।
सेबी पर प्रभाव पांडे के नेतृत्व में वित्तीय बाजारों में स्थिरता आने, कड़े नियम लागू होने और निवेशक हितैषी नीतियों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
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