2025 में सबसे अधिक ऋण-से-जीडीपी वाले टॉप 10 देश

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, वैश्विक सार्वजनिक ऋण में फिर से वृद्धि देखी जा रही है, और 2025 के लिए अनुमान है कि कई देशों में कर्ज़ का स्तर COVID-19 महामारी के चरम बिंदु से भी अधिक हो गया है। IMF की फिस्कल मॉनिटर रिपोर्ट (अप्रैल 2025) के अनुसार, वैश्विक सार्वजनिक ऋण-से-जीडीपी अनुपात एक बार फिर खतरनाक स्तरों के करीब पहुंच सकता है, जिससे विकासशील और विकसित दोनों देशों के लिए आर्थिक और राजकोषीय स्थिरता पर चिंता बढ़ गई है।

कौन है शीर्ष पर?

2025 में सूडान ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे अधिक ऋण-से-जीडीपी अनुपात वाला देश बन गया है। इसका कारण आंतरिक संघर्ष और गंभीर आर्थिक अस्थिरता है। वहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस और कनाडा जैसे बड़े विकसित देशों का कर्ज़ स्तर भी अत्यधिक बना हुआ है, जो ढांचागत घाटों और भू-राजनीतिक चुनौतियों को दर्शाता है।

पृष्ठभूमि और संदर्भ

  • COVID-19 महामारी के दौरान सरकारों ने भारी कर्ज़ लिया ताकि स्वास्थ्य संकट से निपटा जा सके और आर्थिक प्रोत्साहन योजनाएं लागू की जा सकें।

  • इसके चलते 2020 में वैश्विक सार्वजनिक ऋण 98.9% जीडीपी तक पहुंच गया।

  • आर्थिक सुधार के बाद भी व्यापार तनाव, मुद्रास्फीति और नई भू-राजनीतिक घटनाओं ने फिर से कर्ज़ की ज़रूरत को बढ़ा दिया है।

  • IMF ने चेताया है कि यदि सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो 2027 तक यह अनुपात 117% और 2030 तक 99.6% तक पहुंच सकता है।

2025 में ऋण-से-जीडीपी अनुपात के आधार पर टॉप 10 देश:

रैंक देश सार्वजनिक ऋण (% जीडीपी का)
1 सूडान 252%
2 जापान 234.9%
3 सिंगापुर 174.9%
4 ग्रीस 142.2%
5 बहरीन 141.4%
6 मालदीव 140.8%
7 इटली 137.3%
8 अमेरिका 122.5%
9 फ्रांस 116.3%
10 कनाडा 112.5%

स्रोत: IMF – वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, अप्रैल 2025

कुछ प्रमुख देशों की स्थिति:

सूडान:
राजनीतिक अस्थिरता, तेल राजस्व की कमी और प्रतिबंधों ने सूडान को सबसे अधिक ऋणी देश बना दिया है।

जापान:
तकनीकी रूप से उन्नत लेकिन वृद्ध होती आबादी, राजकोषीय घाटा और धीमी वृद्धि ने जापान के कर्ज़ को 234.9% तक पहुंचा दिया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका:
122.5% के ऋण अनुपात के साथ, रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और ब्याज भुगतान की लागत बढ़ रही है।

भारत और चीन की स्थिति:

  • चीन: 21वें स्थान पर, ऋण-से-जीडीपी अनुपात 96%

  • भारत: 31वें स्थान पर, अनुपात 80%, जिसे सरकार 2031 तक 50±1% करने की योजना पर काम कर रही है।

भविष्य की चुनौतियाँ और सुझाव:

जोखिम:

  • भू-राजनीतिक अस्थिरता

  • ऊँची ब्याज दरें

  • धीमी वैश्विक वृद्धि

  • महंगाई और सब्सिडी बोझ

IMF की सिफारिशें:

  • मध्यम अवधि के विश्वसनीय राजकोषीय योजनाएं बनाएं

  • कर संग्रह क्षमता बढ़ाएं

  • अनुत्पादक सब्सिडी कम करें

  • उत्पादक क्षेत्रों में निवेश करें

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vikash

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