भारत ने भविष्य-सज्जित हरित ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत तीन प्रमुख बंदरगाहों को ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दी है। ये बंदरगाह होंगे:
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दीनदयाल पोर्ट (गुजरात)
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वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट (तमिलनाडु)
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परादीप पोर्ट (ओडिशा)
यह घोषणा भारत की साफ-सुथरी ऊर्जा संक्रमण और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ग्रीन हाइड्रोजन हब: दृष्टि और रणनीति
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राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत, भारत ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनने का लक्ष्य रखता है।
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ये हब समग्र ज़ोन के रूप में कार्य करेंगे जहाँ साफ हाइड्रोजन का उत्पादन, भंडारण, परिवहन और विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किया जाएगा, जैसे कि शिपिंग, लॉजिस्टिक्स, उर्वरक और रिफाइनिंग।
क्यों बंदरगाह?
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उच्च ऊर्जा मांग के केंद्र
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अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार
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भारी उद्योग और समुद्री गतिविधियों के हब
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निर्यातोन्मुख हाइड्रोजन अवसंरचना के लिए अनुकूल
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योजना कई चरणों में विकसित की जाएगी, जिससे अवसंरचना निर्माण, तकनीकी कार्यान्वयन और व्यावसायिक संचालन संभव होगा।
सरकार की प्रतिबद्धता
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भारत सतत विकास के पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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MNRE ने हाइड्रोजन हब विकास के लिए निर्देश और मार्गदर्शन जारी किए हैं।
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इसमें मुख्य अवसंरचना के लिए वित्तीय सहायता, क्लस्टर-आधारित योजना और सार्वजनिक-निजी सहयोग शामिल हैं।


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