अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने मंगल ग्रह पर खोजे गए 2 नए गड्ढों (क्रेटर) का नाम भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार के 2 छोटे शहरों के नाम पर रखने की मंजूरी दे दी है। IAU ने एक अन्य गड्ढे का नाम भारत के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के पूर्व निदेशक प्रोफेसर देवेंद्र लाल के नाम पर करने को भी आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है। ये तीनों गड्ढे मंगल ग्रह पर थारिस ज्वालामुखी क्षेत्र में स्थित हैं।
इन तीनों में सबसे बड़ा गड्ढा 65 किलोमीटर चौड़ा है। इसका नाम प्रोफेसर देवेंद्र लाल के सम्मान में ‘लाल क्रेटर’ नाम दिया गया है। दूसरे और तीसरे गड्ढे को ‘मुरसन क्रेटर’ और ‘हिलसा क्रेटर’ नाम दिया गया है। इनमें प्रत्येक का व्यास 10 किलोमीटर है। मुरसन क्रेटर का नाम उत्तर प्रदेश के एक शहर, वहीं हिलसा क्रेटर का नाम बिहार के एक शहर के नाम पर रखा गया है।
मुरसन क्रेटर, लाल क्रेटर के पूर्वी किनारे पर स्थित है और हिलसा क्रेटर, लाल क्रेटर के पश्चिमी किनारे पर मौजूद है। मुरसन और हिलसा नाम क्रमशः PRL के वर्तमान निदेशक डॉ. अनिल भारद्वाज और PRL वैज्ञानिक डॉ. राजीव रंजन भारती के जन्मस्थानों के सम्मान में चुने गए हैं। मंगल ग्रह पर इन गड्ढों की खोज 2021 में PRL के शोधकर्ताओं सहित भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने की थी। इस महीने IAU ने नामकरण को मंजूरी दी है।
मंगल ग्रह के वायुमंडल में पृथ्वी की तुलना में बहुत कम जलवाष्प है, जिससे मंगल पर बादल दुर्लभ हैं। सतह पर कोई तरल पानी मौजूद नहीं है। जमीन में जमा हुआ पानी हो सकता है, और मंगल के ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ की टोपियां हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड और पानी की बर्फ का एक संयोजन हैं। मंगल ग्रह का आकार पृथ्वी से लगभग आधा है।
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