पिछले तीन साल से अधिक समय से वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी का जोखिम बना हुआ है। यूके-यूएस सहित कई देशों में नए वैरिएंट्स को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। इन वैरिएंट्स की संक्रामिकता दर अधिक है, साथ ही इसके अतिरिक्त म्यूटेशंस के कारण उन लोगों में भी संक्रमण का जोखिम बना हुआ है जिनका वैक्सीनेशन हो चुका है या फिर जो पहले के संक्रमण के बाद शरीर में रोग प्रतिरक्षा विकसित कर चुके हैं। कोरोना का जोखिम अभी जारी ही है, इस बीच एक नए महामारी को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को अलर्ट किया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि कोविड-19 के बाद अब एक और नए महामारी का जोखिम हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को अभी से अलर्ट रहने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अगाह किया है कि इस नए महामारी के कारण 50 मिलियन (पांच करोड़) से अधिक लोग चपेट में आ सकते हैं, ये निश्चित ही बड़ा स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि अगली महामारी के लिए जिस बीमारी को प्रमुख कारण के तौर पर देखा जा रहा है, वह संभावित तौर पर ‘डिजीज एक्स’ हो सकती है। इस महामारी का जोखिम अभी भी है जिसका मतलब है कि इसकी शुरुआत हो चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह महामारी कोविड-19 की तुलना में सात गुना अधिक गंभीर और घातक हो सकती है, नतीजतन स्वास्थ्य विभाग पर इसके कारण आने वाले समय में बड़ा दबाव आने का भी खतरा हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बेशक, हर किसी में इस रोग का खतरा नहीं माना जा सकता है, पर निश्चित ही यह वैश्विक स्तर पर बड़ी आबादी को प्रभावित करने वाली हो सकती है।
डिजीज एक्स, जिसे नई महामारी के लिए प्रमुख जोखिम कारक माना जा रहा है, वास्तव में ये कोई बीमारी नहीं बल्कि एक शब्द है। डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, ‘डिजीज एक्स’ का उपयोग उस बीमारी को संदर्भित करने के लिए किया जा रहा है जो मानव में संक्रमण विकसित करती है हालांकि अगली महामारी के लिए कौन सी बीमारी कारक है, फिलहाल चिकित्सा अनुसंधानों में यह स्पष्ट नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने पहली बार साल 2018 में इस टर्म का उपयोग किया था।
यूके की वैक्सीन विकास पहल
डिजीज एक्स के खतरे के जवाब में, यूके के वैज्ञानिकों ने इस अज्ञात लेकिन संभावित घातक रोगज़नक़ को लक्षित करने वाले टीका विकास प्रयास शुरू किए हैं। विल्टशायर में उच्च सुरक्षा वाले पोर्टन डाउन प्रयोगशाला परिसर में किए गए इस शोध में 200 से अधिक वैज्ञानिक शामिल हैं।
ज़ूनोटिक रोगजनकों पर ध्यान दें
शोध मुख्य रूप से जूनोटिक रोगजनकों, पशु वायरस पर केंद्रित है जो मनुष्यों को संक्रमित करने और वैश्विक स्तर पर तेजी से फैलने की क्षमता रखते हैं। जांच के दायरे में आने वाले रोगजनकों में बर्ड फ्लू, मंकीपॉक्स और हंतावायरस शामिल हैं, जो कृंतकों द्वारा फैलता है।
कोरोना वायरस विश्वमारी (2019–20) की शुरुआत एक नए किस्म के कोरोनवायरस (2019-nCoV) के संक्रमण के रूप में मध्य चीन के वुहान शहर में 2019 के मध्य दिसंबर में हुई।
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