तेलंगाना का पुष्प उत्सव बथुकम्मा हाल ही में शुरू हुआ, जिसमें राज्य भर में बड़ी संख्या में महिलाओं ने उत्सव में भाग लिया। बथुकम्मा पर्व पितृपक्ष यानि भादो की अमावस्या (जिसे महालया की अमावस्या भी कहा जाता है) से आरंभ होकर नवरात्र की अष्टमी के दिन पूर्ण होता है। शालिवाहन संवत के अनुसार यह पर्व अमावस्या तिथि से शुरू होकर दुर्गाष्टमी तक चलता है। तेलुगू परंपरा में कहें तो 9 दिनों का यह त्योहार रविवार यानि येंगली बथुकम्मा से आरंभ होकर सद्दुला बतुकम्मा को समाप्त होगा। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस वर्ष 25 सितम्बर से 3 अक्टूबर 2022 तक बथुकम्मा समारोह आयोजित हो रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बथुकम्मा के पावन अवसर पर सभी देशवासियों, विशेषकर तेलंगाना की नारी शक्ति को बधाई दी है।
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Greetings to everyone, particularly the Nari Shakti of Telangana on the auspicious occasion of Bathukamma. May this festival deepen our connect with nature and deepen interest in flowers.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 25, 2022
बथुकम्मा पर्व तेलंगाना की खास सांस्कृतिक पहचान, समृद्ध परंपरा और अनुपम प्राकृतिक विरासत का प्रतीक है। यह पूरे तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाके में धूमधाम से मनाया जाता है। त्योहार में रंग-बिरंगे फूलों की केन्द्रीय भूमिका रहती है और यह पर्व देवी माता को समर्पित है। इसीलिए इसको फूलों का त्योहार (Festival of Flowers) भी कहा जाता है।
नौ दिवसीय इस पूजा के पहले दिन तेलंगाना की महिलाएं अपने घर-आंगन में गाय के गोबर से छोटे-छोटे गोपुरम तैयार करती हैं, फिर उसे फूलों से सजाया जाता है। रोज अलग अलग पकवान से भोग भी लगता है। इस तरह अंतिम दिन तक यह बड़े गोपुरम के रूप में तैयार हो जाता है। दुर्गाअष्टमी यानि नौवें दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं और लोग बड़ी श्रद्धा और उत्साह पूर्वक इस लोकपर्व का आनंद लेते हैं। अंतिम दिन फूलों से तैयार बथुकम्मा को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।