हाल ही में सतर्क नागरिक संगठन (SNS) ने सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम 2021-22 के तहत जवाबदेही रिपोर्ट कार्ड जारी किया है, जो दर्शाता है कि तमिलनाडु RTI जवाबदेही में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है, जिसकी निपटान दर 14% है।
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प्रमुख बिंदु
- महाराष्ट्र RTI जवाबदेही में दूसरा सबसे खराब स्थिति वाला राज्य है, जिसकी निपटान दर 23% है।
- इस मूल्यांकन के भाग के रूप में दायर RTI आवेदनों के जवाब में केवल 10 सूचना आयुक्तों ने पूरी जानकारी प्रदान की।
- इनमें आंध्र प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम, नगालैंड और त्रिपुरा शामिल थे।
- बिहार राज्य सूचना आयुक्त (State Information Commissioner- SIC), जो वर्ष 2020 और 2021 में प्रकाशित आकलन के लिये RTI अधिनियम के तहत कोई भी जानकारी प्रदान करने में विफल रहा था, ने अपने प्रदर्शन में काफी सुधार किया और इसकी निपटान दर 67% है।
- देश भर में बड़ी संख्या में सूचना आयुक्तों ने बिना कोई आदेश पारित किये मामले वापस कर दिये थे।
- उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश ने प्राप्त अपीलों या शिकायतों में से लगभग 40% को वापस कर दिया।
- 18 सूचना आयुक्तों में से 11 ने बिना कोई आदेश पारित किये अपील या शिकायत वापस कर दी थी।
- सूचना आयुक्तों के संदर्भ में प्रति आयुक्त निपटान की दर बेहद कम है।
- उदाहरण के लिये पश्चिम बंगाल के SIC के पास मामलों की वार्षिक औसत निपटान दर प्रति आयुक्त 222 थी, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक आयुक्त प्रभावी रूप से एक दिन में मुश्किल से एक मामले का निपटान कर रहा था। वैसे लंबित मामलों की संख्या 10,000 से भी अधिक थी।
- सभी 29 सूचना आयुक्तों में से केवल केंद्रीय सूचना आयुक्त ने एक वर्ष में प्रत्येक आयुक्त द्वारा निपटाए जाने वाली अपीलों अथवा शिकायतों की संख्या के संबंध में एक मानक अपनाया है।
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