देश की युद्धक्षेत्र निगरानी और टोही क्षमताओं को मजबूत करने के लिए भारतीय सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित हथियार लोकेटिंग रडार (डब्ल्यूएलआर-एम) के हल्के और अधिक कॉम्पैक्ट संस्करण को शामिल किया है, जिसे ‘स्वाति माउंटेन’ कहा जाता है। उत्तर प्रदेश के आगरा में हुए एक समारोह में सेना स्टाफ (डीसीओएएस) के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल जेबी चौधरी ने रडार प्रणाली को हरी झंडी दिखाई।
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने विकसित किया
इसे बेंगलुरु में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने विकसित किया है। आधुनिक सेनाओं के लिए विकसित वेपन लोकेटिंग राडार (डब्ल्यूएलआर) दुश्मनों के तोपखाने, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों का स्वायत्त रूप से पता लगाने और ट्रैक करने के लिए उन्नत सिग्नल प्रोसेसिंग तकनीकों का उपयोग करता है। यह रडार पर्यावरणीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए युद्ध के मैदान में छोटे प्रोजेक्टाइल का पता लगाने और ट्रैक करने में सक्षम है। डब्लूएलआर को दुश्मन की हथियार प्रणालियों के बारे में जानकारी लेने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपायों के प्रतिरोध को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
स्वाति रडार के दो संस्करण
स्वाति रडार के दो संस्करण स्वाति मैदान (डब्ल्यूएलआर) और स्वाति पर्वत (डब्ल्यूएलआर-एम) हैं। मैदानी संस्करण को मुख्य रूप से शत्रु बंदूकों, मोर्टारों और रॉकेटों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह मैदानी इलाकों पर सुधारात्मक उपायों के लिए मित्रवत हथियारों से शॉट के गिरने को भी ट्रैक कर सकता है। दूसरी ओर सेना में शामिल किये गए स्वाति माउंटेन रडार अधिक कॉम्पैक्ट और मोबाइल संस्करण है, जिसे विशेष रूप से पहाड़ी और उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
9,100 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध
रक्षा मंत्रालय ने 30 मार्च 2023 को भारतीय सेना के लिए उन्नत आकाश हथियार प्रणाली और 12 स्वाति माउंटेन रडार की खरीद के लिए 9,100 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। पिछले साल भारतीय सेना ने छह अतिरिक्त स्वाति डब्ल्यूएलआर-एम का ऑर्डर दिया था। स्वाति प्लेन्स रडार के लिए हाल ही में दिए गए ऑर्डर को शामिल करने के साथ भारतीय सेना जल्द ही कुल 48 ऐसी प्रणालियों का संचालन करेगी।