भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने FASTER (फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन आफ इलेक्ट्रानिक रिकार्ड्स) नामक एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली को मंजूरी दी है। अदालतों से जेलों में ई-प्रमाणित प्रतियों को स्थानांतरित करने के लिए FASTER प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (N.V. Ramana), न्यायमूर्ति नागेश्वर राव (Nageswara Rao) और न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Surya Kant) की तीन सदस्यीय पीठ ने राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, जेल विभागों और अन्य संबंधित अधिकारियों को ई-प्रमाणित प्रतियों को स्वीकार करने के लिए जेलों में व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
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FASTER प्रणाली के तहत, अदालतें जेलों में ड्यूटी अधिकारियों को सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से जमानत आदेश, स्थगन आदेश, अंतरिम आदेश और कार्यवाही की ई-प्रमाणित प्रतियां भेज सकती हैं। शीर्ष अदालत एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसे इस साल जुलाई में एक समाचार रिपोर्ट के बाद उठाया गया था जिसमें संकेत दिया गया था कि आगरा की एक जेल में कैदियों को जमानत मिलने के तीन दिन बाद भी जेल में बंद रखा गया था।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण टेकअवे:
- भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश (CJI): नूतलपाटि वेंकटरमण (Nuthalapati Venkata Ramana);
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना: 26 जनवरी 1950।