भारत की जीडीपी दर तेज बने रहने की उम्मीद है। सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर रेटिंग एजेंसी एसएंडपी के आंकड़ों से सकारात्मक संदेश मिला है। एसएंडपी ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत किया है। एजेंसी का मानना है कि अर्थव्यवस्था के सामने पैदा होने वाले प्रतिकूल हालात की भरपाई मजबूत घरेलू गति से होगी।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की तरफ से जारी बयान में कहा गया, चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर का अनुमान 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत हो सकता है। एजेंसी ने कहा कि विकास की मजबूत घरेलू गति के कारण उच्च खाद्य मुद्रास्फीति और कमजोर निर्यात जैसी अड़चनें दूर हुई हैं।
हालांकि, चालू वित्त विर्ष में तेज आर्थिक विकास के बाद भारत की जीडीपी ग्रोथ पर अगले साल ब्रेक लगने की भी आशंका है। अगले वित्त वर्ष (2024-25) में एसएंडपी ने जीडीपी विकास का अनुमान 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक उच्च आधार, कमजोर वैश्विक विकास और ब्याज दरों में उछाल जैसे कारकों का बड़ा असर दिखेगा। इस कारण जीडीपी विकास धीमा रह सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, कृषि विकास बैंक (एडीबी) और फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों की जीपीडी पर एसएंडपी ने कहा कि इस साल और अगले साल विकास दर सबसे मजबूत होने के आसार हैं। भारत में निजी उपभोक्ता खर्च की तुलना में निश्चित निवेश में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
गौरतलब है कि भारत के केंद्रीय बैंक- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मौजूदा और अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। सरकार के मुताबिक मार्च 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था 7.2 फीसदी की दर से बढ़ी।
इसके बाद जून, 2023-24 की तिमाही में देश की वास्तविक जीडीपी सालाना आधार पर 7.8 फीसदी बढ़ी। मार्च की तिमाही में यह आंकड़ा काफी नीचे- 6.1 फीसदी था।
बता दें कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने पिछले साल मई में बेंचमार्क ब्याज दरों को बढ़ाने की घोषणा की थी। इस एलान के बाद ब्याज दरों में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की गई थी। हालांकि, फरवरी, 2023 के बाद से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है।
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