एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की आर्थिक संभावनाओं के लिए एक सकारात्मक संकेत देते हुए मंगलवार, 24 जून 2025 को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। यह संशोधित अनुमान वैश्विक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत की आर्थिक मजबूती और नीतिगत स्थिरता पर रेटिंग एजेंसी के विश्वास को दर्शाता है।
यह वृद्धि भारत की आर्थिक मूलभूत ताकतों और प्रभावी नीतिगत ढांचे में विश्वास की पुष्टि करती है। एसएंडपी का आशावादी दृष्टिकोण कई मुख्य मान्यताओं पर आधारित है जो मार्च 2026 में समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष में सतत विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
अनुमान के पीछे मुख्य आधार
1. सामान्य मानसून की उम्मीदें
यह अनुमान इस उम्मीद पर आधारित है कि मानसून सामान्य रहेगा। भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था मानसून पर बहुत निर्भर है। कृषि उत्पादन, ग्रामीण मांग, खाद्य वस्तुओं की कीमतें और समग्र आर्थिक स्थिरता मानसून से प्रभावित होते हैं।
2. कच्चे तेल की कीमतें कम रहने की संभावना
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर बहुत निर्भर है। कम तेल कीमतें व्यापार घाटे को घटाती हैं और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। यह अनुमान भारत की ऊर्जा कीमतों के प्रति संवेदनशीलता को भी ध्यान में रखता है।
3. मौद्रिक नीति का समर्थन
भारतीय रिज़र्व बैंक से नीतिगत दरों में नरमी की उम्मीद भी इस वृद्धि के पीछे है। इससे उधारी सस्ती होगी, जिससे निवेश और खपत को प्रोत्साहन मिलेगा।
4. आयकर में रियायतें
सरकार द्वारा दी गई आयकर छूट से उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे घरेलू मांग को समर्थन मिलेगा — जो भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा इंजन है।
भारत की ऊर्जा निर्भरता और वैश्विक जोखिम
भारत अपनी 90% कच्चे तेल जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है और लगभग 50% प्राकृतिक गैस भी बाहर से खरीदता है। ऐसे में तेल की कीमतों में तेज़ी से भारत की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ सकता है।
मध्य पूर्व संकट का खतरा
एसएंडपी ने आगाह किया है कि अगर ईरान और अमेरिका के बीच संघर्ष के चलते तेल की कीमतों में तेज़ और स्थायी बढ़ोतरी होती है, तो यह पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। हाल ही में अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स पर हमले किए हैं, जिससे संकट और बढ़ गया है।
लेकिन फिलहाल ऊर्जा आपूर्ति स्थिर
हालांकि एसएंडपी का मानना है कि वर्तमान में वैश्विक ऊर्जा बाजार संतुलित हैं और निकट भविष्य में दीर्घकालिक मूल्य वृद्धि की संभावना कम है।
RBI के अनुमानों से मेल
एसएंडपी का 6.5% वृद्धि अनुमान भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हालिया पूर्वानुमान से मेल खाता है। यह घरेलू और वैश्विक संस्थाओं के बीच व्यापक सहमति को दर्शाता है कि भारत की आर्थिक दिशा सकारात्मक बनी हुई है।
पिछले पूर्वानुमानों में बदलाव
एसएंडपी ने पिछले महीने FY26 के लिए अपने अनुमान को 20 आधार अंक घटाकर 6.3% किया था, जो वैश्विक अस्थिरता और संभावित अमेरिकी टैरिफ शॉक पर आधारित था। अब उन्होंने अपने अनुमान को फिर से ऊपर किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक स्थितियों में बदलाव से पूर्वानुमानों में लचीलापन जरूरी होता है।
घरेलू मांग: भारत की ताकत
एसएंडपी की एशिया-प्रशांत रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसे देशों में घरेलू मांग की मजबूती वैश्विक मंदी से कुछ हद तक बचाव देती है। भारत का विकास निर्यात पर कम निर्भर है, जो इसे वैश्विक व्यापार झटकों से कुछ हद तक सुरक्षित बनाता है।
वैश्विक व्यापार और निवेश पर चिंता
एसएंडपी ने चेतावनी दी है कि अमेरिका द्वारा आयात शुल्क बढ़ाने की संभावनाएं वैश्विक व्यापार और निवेश निर्णयों को प्रभावित करेंगी। भारत की घरेलू केंद्रित वृद्धि रणनीति उसे इन जोखिमों से कुछ हद तक बचा सकती है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र पर क्षेत्रीय प्रभाव
मध्य पूर्व संकट से ऊर्जा आयात करने वाले एशियाई देशों के चालू खाता घाटे पर असर पड़ सकता है। भारत जैसे देश जो ऊर्जा के लिए वैश्विक बाजार पर निर्भर हैं, उन्हें नीतिगत स्तर पर सजग रहना होगा ताकि वे आर्थिक स्थिरता बनाए रख सकें और 6.5% वृद्धि लक्ष्य हासिल कर सकें।