श्यामजी कृष्ण वर्मा की 96वीं जयंती: एक क्रांतिकारी नेता को याद करते हुए

भारत ने 4 अक्टूबर 2025 को श्यामजी कृष्ण वर्मा की 96वीं जयंती मनाई। वे एक प्रमुख क्रांतिकारी, देशभक्त, वकील और पत्रकार थे, जिन्होंने विदेश से भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके योगदान को उजागर किया, उन्हें एक दूरदर्शी राष्ट्रवादी और कई भविष्य के क्रांतिकारियों के लिए वैचारिक मार्गदर्शक बताया।

प्रारंभिक जीवन और प्रभाव

  • जन्म: 4 अक्टूबर 1857, मंडवी, गुजरात

  • प्रेरणास्रोत: बाल गंगाधर तिलक, स्वामी दयानंद सरस्वती और अंग्रेज दार्शनिक हर्बर्ट स्पेंसर से प्रभावित

  • उन्होंने छोटे ही उम्र में राष्ट्रवाद की भावना विकसित की और पश्चिमी राजनीतिक विचारों को भारतीय सुधारवादी परंपराओं के साथ जोड़ा।

लंदन में क्रांतिकारी कार्य
श्यामजी कृष्ण वर्मा लंदन गए, जहाँ उन्होंने महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी संस्थाएँ स्थापित कीं, जो भारतीय छात्रों और क्रांतिकारियों के लिए बौद्धिक और संगठनात्मक केंद्र बन गईं।

  • इंडियन होम रूल सोसाइटी (1905): स्वशासन का समर्थन और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की आलोचना।

  • इंडिया हाउस: लंदन में भारतीय छात्रों का हॉस्टल, जो क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बना। वीर सावरकर सहित कई नेताओं पर इसका प्रभाव पड़ा।

  • द इंडियन सोसियोलॉजिस्ट: एक मासिक पत्रिका, जिसने राष्ट्रवादी विचार और ब्रिटिश नीतियों की आलोचना को फैलाया।

आर्य समाज और राष्ट्रवादी विचारधारा में भूमिका
वर्मा बॉम्बे आर्य समाज के पहले अध्यक्ष बने और भारत में सामाजिक व राजनीतिक सुधारों को बढ़ावा दिया। उन्होंने आर्य समाज और इंडिया हाउस जैसे मंचों का उपयोग कर सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राजनीतिक सक्रियता को जोड़ा, जिससे क्रांतिकारी आंदोलनों का मजबूत आधार तैयार हुआ। उनके लेखन में स्वराज (स्वशासन) का जोर था, जो भारतीय राजनीति में मुख्यधारा बनने से बहुत पहले ही प्रचलित था।

निर्वासन और अंतिम जीवन
ब्रिटिश अधिकारियों के दबाव और आलोचना के कारण, वर्मा इंग्लैंड छोड़ गए।

  • पेरिस: बिना लगातार निगरानी के राष्ट्रवादी कार्य जारी रखने के लिए उन्होंने फ्रांस में स्थानांतरित किया।

  • जिनेवा: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे स्विट्ज़रलैंड में बसे और यहीं 30 मार्च 1930 को उनका निधन हुआ।

देश से दूर होने के बावजूद, वे उपनिवेशवाद के खिलाफ अडिग रहे और कई क्रांतिकारियों के लिए प्रेरणा बने।

विरासत और महत्व

  • श्यामजी कृष्ण वर्मा की विदेश में भारतीय राष्ट्रवाद में योगदान अमूल्य है।

  • इंडिया हाउस जैसी संस्थाओं ने उन क्रांतिकारियों को पोषित किया, जिन्होंने बाद में स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • उनकी पत्रिका, द इंडियन सोसियोलॉजिस्ट, भारतीय स्वशासन के शुरुआती बौद्धिक मंचों में से एक मानी जाती है।

  • उनकी अस्थियाँ 2003 में भारत लौटाई गईं और गुजरात के मंडवी स्थित क्रांति तीर्थ स्मारक में प्रतिष्ठित की गईं, जिससे उनकी विरासत संरक्षित हो गई।

[wp-faq-schema title="FAQs" accordion=1]
vikash

Recent Posts

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली: मुख्य निकाय, कोष, कार्यक्रम और विशेष एजेंसियां

यूनाइटेड नेशंस (UN) एक बड़े इंस्टीट्यूशनल सिस्टम के ज़रिए काम करता है जिसे UN सिस्टम…

35 mins ago

मिज़ोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का 73 वर्ष की उम्र में निधन

मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता स्वराज कौशल का 4 दिसंबर 2025 को 73…

3 hours ago

Aadhaar प्रमाणीकरण लेनदेन नवंबर में 8.5 प्रतिशत बढ़कर 231 करोड़ हुए

भारत में आधार का उपयोग लगातार तेजी से बढ़ रहा है। नवंबर 2025 में, आधार…

4 hours ago

जयंद्रन वेणुगोपाल रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड का चेयरमैन और सीईओ नियुक्त

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने 3 दिसंबर 2025 को घोषणा की कि फ्लिपकार्ट के वरिष्ठ…

4 hours ago

मेघालय 2025 में शिलांग में क्षेत्रीय AI इम्पैक्ट कॉन्फ्रेंस की मेज़बानी करेगा

पूर्वोत्तर भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण…

4 hours ago