भारतीय वायुसेना के अधिकारी और अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 15 जुलाई 2025 को सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आए। वे Axiom-4 मिशन का हिस्सा थे, जो अमेरिका की निजी अंतरिक्ष कंपनी Axiom Space द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष मिशन था। शुक्ला और उनके तीन सह-यात्रियों ने 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बिताए और इस दौरान पृथ्वी की 288 बार परिक्रमा की। उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनका उद्देश्य भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं को सक्षम बनाना और पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाना था। उनकी वापसी भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष अनुसंधान और तकनीकी क्षमताओं को दर्शाता है।
10 प्रमुख बातें:
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स्पेस माइक्रोएल्गी (शैवाल) पर अध्ययन
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अंतरिक्ष में भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन के स्रोत के रूप में माइक्रोएल्गी की उपयोगिता की जांच।
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सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में उनकी वृद्धि, जीवित रहने की क्षमता, और रासायनिक प्रक्रियाओं का विश्लेषण।
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यह अध्ययन भविष्य के चंद्र, मंगल और अंतरिक्ष अभियानों के लिए जीवन समर्थन प्रणाली को बेहतर बना सकता है।
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मांसपेशी कोशिकाओं का अध्ययन (Myogenesis)
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गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में मांसपेशी कोशिकाओं की वृद्धि और संरचना पर असर का विश्लेषण।
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इस अध्ययन से अंतरिक्ष यात्रियों में मांसपेशी क्षय को रोकने और बुजुर्गों में मांसपेशी दुर्बलता की चिकित्सा में मदद मिलेगी।
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मेथी और मूंग के बीजों का अंकुरण
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अंतरिक्ष में बीजों के अंकुरण और संरचनात्मक परिवर्तन की जांच।
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बीजों को -80°C पर संग्रहित किया गया ताकि उनके डीएनए की जांच पृथ्वी पर की जा सके।
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शोध का उद्देश्य अंतरिक्ष में स्थायी खेती के लिए आधार तैयार करना है।
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अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर अध्ययन
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विकिरण, मानसिक स्वास्थ्य, हृदय स्वास्थ्य और तापीय अनुकूलन पर निगरानी।
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Rad Nano Dosimeter डिवाइस से विकिरण की माप की गई।
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न्यूरोमस्कुलर इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन तकनीक का उपयोग मांसपेशी हानि रोकने के लिए किया गया।
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मांसपेशी क्षय का विश्लेषण
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Life Sciences Glovebox के ज़रिए जैविक परीक्षण।
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पौधों की जड़ों में जल अवशोषण की प्रक्रिया का भी अध्ययन किया गया।
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इससे अंतरिक्ष व्यायाम कार्यक्रम और कृषि में मदद मिलेगी।
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भारतीय टार्डीग्रेड्स (जल भालू) पर अध्ययन
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भारत में पाए गए टार्डीग्रेड्स की जीन पहचान कर उनकी चरम परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता की जांच।
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ये शोध अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुरक्षा तकनीक विकसित करने में सहायक होगा।
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सायनोबैक्टीरिया वृद्धि पर अध्ययन
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कार्बन और नाइट्रोजन के पुनर्चक्रण के लिए इन जीवों का उपयोग।
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पोषक तत्त्वों के अवशोषण और प्रजनन प्रक्रिया का सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में परीक्षण।
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दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों में पोषण स्रोत के रूप में इनका उपयोग संभव है।
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वॉयेजर डिस्प्ले अध्ययन
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अंतरिक्ष में डिजिटल स्क्रीन से आंखों पर पड़ने वाले तनाव और मानसिक थकान का विश्लेषण।
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IISc बेंगलुरु द्वारा विकसित प्रयोग।
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अंतरिक्ष यान में बेहतर यूजर इंटरफेस डिज़ाइन की दिशा में एक कदम।
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बीज लचीलापन परीक्षण
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चावल, सेसम, मूंग, बैंगन और टमाटर के बीजों को अंतरिक्ष में परखा गया।
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उनके डीएनए, पोषक तत्वों और रोग प्रतिरोधक क्षमता में संभावित बदलावों का विश्लेषण।
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इससे जलवायु-सहिष्णु फसलें विकसित करने में सहायता मिलेगी।
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Axiom-4 मिशन का संक्षिप्त विवरण
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प्रक्षेपण तिथि: 25 जून 2025
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वापसी तिथि: 15 जुलाई 2025
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स्पेसक्राफ्ट: स्पेसएक्स ड्रैगन, फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा लॉन्च
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क्रू सदस्य:
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पेगी व्हिटसन (कमांडर, अमेरिका)
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स्लावोश उज़नांस्की-विस्निवस्की (पोलैंड)
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तिबोर कापू (हंगरी)
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शुभांशु शुक्ला (भारत)
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यह मिशन भारत के लिए गौरव का विषय है और यह आने वाले गगनयान मिशन और भारत की दीर्घकालिक अंतरिक्ष योजनाओं की नींव को और मज़बूती देता है।


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